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Arun kr.

कुछ नहीं बस शब्दों से खेल लेता हूँ।

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Arun kr.

तुम पूजो देवी देवता
हम पूजे फुले
नही चाहिये मन्दिर-मस्जिद
दे दो हमको अपने ढंग से जीने
हम मांगे  अपना हक और अधिकार
आने तो दो हमे भी बराबरी में सरकार
काहे डर है तुमको 
लगा लेने दो ज्ञान की डुबकी हमे भी
मालूम है हमे गंगा कितना पवित्र है
हमारा विरोध तो आडम्बर और ब्राह्मणवाद से है
पतृसता और जात-पात से है
एकाधिकार और वर्चस्ववाद से है
ना कि किसी इंसान से है
जियो औऱ जीने दो
हम भी तो चाहते है रहे सब एक समान
हम भी इसी समाज का हिस्सा है
हमे न नकारा जाए
बात जब हिस्सेदारी की हो तो हमारा नाम भी पुकारा जाए।
महात्मा फुले जयंती की हृदय से वंदन- अभिनंदन ,कोटि -कोटि नमन🙏🙏🙏

©Arun kr. #MahatmaFule
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Arun kr.

White प्यार किसी को पा लेना या शारिरिक संबंध भर ही नही हैं
प्यार सुख की अनुभूति या ना मिलने का दुख भर ही नही हैं
प्यार बदलाव है ,सुधार है ,क्रांति है ,विद्रोह है
जाति से, धर्म से,उच्च -नीच, भेदभाव से
रूढ़िवादी रीति- रिवाज और लोगों के अलगाव से
प्यार  मुक्ति है दहेज से , शोषण , उत्पीड़न , अत्याचार से
पतृसता से लिपटे जंजीर से
प्यार प्रतीक है समानता का
आत्मनिर्णय और स्वालंबन का
प्यार दूर करता है लिंग भेद को
चारदीवारी  कैद से कैदी को
प्यार जीत है विश्वास का ,भरोसे का, एक -दूजे के साथ का
प्यार उड़ान है अपनी पहचान का ,अपनी अरमान का
प्यार गवाह है सिमा पार सिमा का
मेहनतकश दशरथ मांझी का
प्यार राजा और रंक की खाई को भरता है
प्यार तो इंसानियत की पाठ पढ़ता है ।

©Arun kr. #Couple
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Arun kr.

लंबी है उड़ान
संघर्ष भी जारी है
विलंब है ,है निराशा भी 
पाएंगे मंजिल ,है आशा भी
बिखरता हूं तो लोग लग जाते है सम्हालने
टूटता हैं उम्मीद पर देते नही हारने
हूं जो भी आज  या आगे रहूंगा
उनमे अनगिनत के हिस्से हैं
हमे बनाने में बहुतों के किस्से है
कर भला तो हो भला की नेकी सीखी है
अनजाने  में हो जाए कोई गुस्ताखी 
जानकर किसी को तकलीफ न पहुचाई है
प्रेम के बदले प्रेम की रीत  निभाई है ।

©Arun kr. #self
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Arun kr.

BeHappy  शौक न था उनसे दूरी बनाना
चाहते तो हम भी थे करीब रहना
ये दूरी भी  तो उनके लिए था
आख़िर नाकामयाब और बेरोजगार को कौन पूछता
कब तक रहते करीब हम ऐसे
एक वक्त के बाद वो भी रोजी रोटी जुटाने को कहते 
बिन आमदनी वो हमारे साथ कैसे रहते
क्या तब वो मेरे करीब रहना चाहते
चाहते तो हम भी थे करीब रहना
ये दूरी भी तो उनके लिए ही था
अपना क्या अपना तो कट जाती जिंदगी जैसे तैसें
उनके सपनो को कौन संजोगता
अपने प्रिय को खुश देखना कौन नही चाहता
ये दूरी भी तो उनके लिए था
पर शायद उनके समझ से परे था।

©Arun kr.
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Arun kr.

ऐसा नही  की बातें नही होती
जंहा होनी होती है वहां नही होती
आसान है बंद कमरों में भाषण देना
जमीन पर उतरना बड़ा मुश्किल है
हम बदलाव ओर सुधार की  बड़ी बड़ी बातें करते
जिनमें और जिनके लिए करना है
उनके बीच कभी नही जाते
करें कितनी भी गोष्ठी-संगोष्ठी, चर्चा -परिचर्चा
ये सारी बातें हम आप 
या किसी परिसर तक ही सिमट कर रह जाते
बदलना बहुत कुछ चाहते पर बदल नही पाते
मिल जाये नौकरी या लग जाए पैकेज
फिर वही सिस्टम का हिस्सा बन कर रह जाते
कुछ नही बदलेगा कह हम भी चुप हो जाते ।

©Arun kr.
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Arun kr.

कम तो नही पर आंकी गयी
सदा से पावंदी में बांधी गयी
प्रथा, रीति- रिवाज की  बोझ ढोती गयी
अपनी पहचान खोती गयी
लोगों की उपभोग की  वस्तु होती गयी
उड़ न पाए बंधनों से जकड़ी गयी
खुद को कैद कर , अपनी अस्मिता गवांती गयी
अपनो के नाम पर ओरो को आगे बढ़ाती गयी
कम तो नही पर आंकी गयी
सदा से पावंदी में बांधी गयी
पीड़ा में भी मुस्कुराती गयी ।

©Arun kr. #womeninternational
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Arun kr.

Red sands and spectacular sandstone rock formations सब परेशान है
हाल उनका तो और भी खराब है
जो कहते है , 
पाकर किसी को कोई क्या पाया है
ये इश्क़ मोहब्बत ,प्रेम और प्यार सब मोह माया है
ये बेचारे अपने भावनाओं को बेबसी में छुपाया है
उनकी तन्हाई उनकी भावनाओं को अच्छे से उबाला है
आखिर उसने भी मोह माया में पड़ने को तैयार हो आया हैं
भावनाएं बयां करे किसी से, कोई हो जो समझे
तन्हाई खलती है कोई हो जो साथ मुस्कुरए
कोई एक हो जिससे अपनी सारी बात बताएं
दो लब्ज हम भी प्रेम के सुने और सुनाए
हो तन्हा हम फिर भी किसी को गुनगुनाए।

©Arun kr. #alone
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Arun kr.

सड़को पे "हम अपना अधिकार मांगते नही किसी से भीख मांगते" की गूंज हैं
चौकिदार फ़िर भी कहते  देश महफूज है
नाराजगी जन जन में झलक रही
चौकिदार फिर भी कहते इस बार चार सौ पार आ रही
विचार अभिव्यक्ति पर भी पाबंदी हैं
कोई' मन की बात' थोपे ये नही कोई गुंडागर्दी है
लोकतंत्र के चार कमान
चारो सुने एक की ही फरमान
घर घर लड़ाते है फिर भी शांति का संदेश सुनाते हैं
इनके हर बात में अच्छे दिन आते है
सबका साथ सबका विकास और  सबका विश्वास
ठीक विपरीत है इसके एक वर्ग छोड़ सबका विनाश
गर्त में जाता ये देश
फिर भी  चौकिदार विश्वगुरू का देता संदेश
जबरन वाहवाही की हौड़ हैं
मानो चौकिदार का ही दौड़ हैं
लोग सड़क पर गुहार लगाते
चौकिदार हैं कि रूआब दिखाते
लोगों के जीवन नरक हो आई
चौकिदार कहते देखो राम राज्य है आई
अरे चपा चपा गूंज रहा इंकलाब के नारों से
सुन लो  चौकिदार हम नही डरते भारो की दलालों से।

©Arun kr.
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Arun kr.

जंहा तक निगाहें जाता
वंही तक सोच पाता हूँ
उससे आगे बढूं तो एक नई दुनिया पाता हूँ
बिल्कुल अनभिज्ञ -अनजान सा
देख सब चौंक जाता हूँ
पीछे जो बबर शेर था आगे  डरा- सहमा सा
आगे वाले से बिल्कुल हारा सा
अक्कल का मारा सा
खुद को खूब समझने की भ्रम टूटता हैं
जब -जब आगे बढूं
तब- तब  हम तो कुछ भी नही का सवाल उठता हैं
जंहा हूँ वंहा लाखों रह चुके हैं
लाखों के सपने भी हैं वंहा पहुंचने के
अपने पीछे वाले से बेहतर 
आगे वाले से बदतर
हर बार खुद को मध्य में पाता हूँ
अपनी निगाहों से आगे बढूं तो हर बार एक नई दुनिया पाता हूँ ।

©Arun kr. #seagull
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Arun kr.

सोचता हूं कि पा लूं उसे
फिर सोचता हूं कि  लिख न पाऊंगा
ये जो एहसास है भर जाएगा
मिल जाने के बाद फिर वो याद नही आएगा
फिर अरुण कैसे लिख पायेगा
उसे खोकर ही तो चर्चित हो पाया हूं
न मिलने से ही तो ये हुनर पाया हूं 
अब पाकर भी क्या करूं
जब सब जग जाहिर हैं
यही किस्से सुनाने में तो अरुण माहिर हैं।

©Arun kr.
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