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debasmitapani3218
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Debasmita Pani

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Debasmita Pani

ठूँठ पेड़ और 
उजड़ा घर संसार,
उजड़ी ज़िन्दगी, 
उदासियों से भरा चेहरा,
 धूल जम चुकी किताबें. 
मुरझायी हुई मुस्कराहट.... 
उनमें  एक खुद की खूबसूरती होती है...
 खुद का एक गुरुर एक स्वाभिमान होता है.... 
एक संपूर्णता होती है....
कभी प्यार से मुठ्ठी में भर लो उनकी उदासियों को...
 देखना खिल जाएगी दोनों की जिंदगी... 
हरी भरी हो जाएगी उनकी दुनियां.....
 वह पेड़.. वो संसार...
खिल जाएगा  
मुस्कुराहटों से  दोनों का चेहरा....।।Debasmita

©Debasmita Pani
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Debasmita Pani

मोहब्बत वह आग का दरिया है...
जिसमें ना ना करते हुए पैर रखते हैं हर कोई...
खुद को बचते, बचाने की कोशिश में 
बीच दरिया की भंवर में डूब जाते हैं हर कोई...
हां मोहब्बत वह आग का दरिया है...
जिसमें ना ना करते हुए 
डुबकी लगाता है हर कोई...
यूं ही पैर फिसल जाता है 
आग के दरिया के भंवर में,
पैर के नीचे जमीन रहती नहीं,
ना कश्ती, ना किनारा...
आग में झुलस जाता है
 जिंदा जिस्म और आत्मा..
 कतरा कतरा जल जाता है यूंही, 
बोलते हैं ना... 
शुरुआत में पैर जमीन में रहता नहीं...
और अवशेष में 
पैर के नीचे जमीन रहती नहीं... Debasmita

©Debasmita Pani
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Debasmita Pani

रिश्तों की दांव-पेच हमें आती  नहीं......
हमेशा  हर रिश्ते की नींव को
 मजबूत पकड़ने की कोशिश करती रहती  हूं,
ताकि ढह ना जाए रिश्ते......
बड़ा नाजुक दिल है मेरा,
यूं उजड़ ना जाए
मुझसे मेरे ही  रिश्ते.....। Debasmita

©Debasmita Pani
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Debasmita Pani

जब हम छोटे थे, तब मेरी सहेलियों के साथ
 खेलना कूदना,
तितलियों  के पीछे भागना, जी भर सब कितना अच्छा लगता था....
मस्ती में दिन कैसे गुजर जाता था पता ही नही चलता था....
जब शादी हुई, गुम सी हो गई मैं मेरी नई दुनियां में,
 फिर जब बच्चे हुए तो खो गई मैं उनकी मासूमियत में...
हर बार जब थकी हारी लौट कर आई ,
तो तुम वहीं खड़ी थी मेरा इंतजार करते हुए.....
     ........मां ....... Debasmita

©Debasmita Pani
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Debasmita Pani

Read the caption below...

©Debasmita Pani
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Debasmita Pani

कृपया अनुशीर्षक पढ़े...

©Debasmita Pani
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Debasmita Pani

हां मैंने नजरअंदाज किया....
तुमने आंसू छुपाए मुझसे , 
मैने नजरअंदाज किया...
कहीं तुम्हारे दर्द  और बढ़ ना जाए,
 इसलिए कुछ ना पुछा और नजरअंदाज किया....।
तुमने खुद के अनछुए दर्द कभी किसी को ना सुनाया,
मैने भी नहीं पूछा नजरअंदाज किया...
तुम हर बात पे  ख़ामोश रहे,
मैंने ख़ामोशी पर सवाल नहीं उठाया 
और नजरअंदाज किया....
जहां जहां तुमने लकीरें खींची, 
वहां -वहां ....
मै रुकी और ख़ुद पर पाबंद लगाया....।
 तुमने अपने आंसू, सारे दर्द खामोशी से छुपाया,
 शायद मुझे दर्द दिखाते दिखाते तुम टूट न जाओ
 बस इसीलिए मैं हमेशा नासमझ रहा ...
हां मैंने नजरअंदाज किया....।।Debasmita

©Debasmita Pani
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Debasmita Pani

हां मैंने नजरअंदाज किया....
तुमने आंसू छुपाए मुझसे , 
मैने नजरअंदाज किया...
कहीं तुम्हारे दर्द  और बढ़ ना जाए, 
इसलिए कुछ ना पुछा और नजरअंदाज किया....।
तुमने खुद के अनछुए दर्द  कभी किसी को ना सुनाया,
मैने भी नहीं पूछा नजरअंदाज किया...
तुम हर बात पे  ख़ामोश रहे,
मैंने ख़ामोशी पर सवाल नहीं उठाया और नजरअंदाज किया....
जहां जहां तुमने लकीरें खींची, 
वहां -वहां
मै रुकी और ख़ुद पर पाबंद लगाया....।
 तुमने अपने आंसू, सारे दर्द खामोशी से छुपाया,
 शायद मुझे दर्द दिखाते दिखाते तुम टूट न जाओ 
बस
 इसीलिए मैं हमेशा नासमझ रहा 
हां
 मैंने नजरअंदाज किया....।।Debasmita

©Debasmita Pani
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Debasmita Pani

काबिल नहीं हूं आपके,
ये एहसास  कभी आपने होने ही नहीं दिया,
थोड़े से खडूस हो,थोड़ा कम बोलते हो,
परवाह करना कभी नहीं छोड़ा आपने
हम...हक़ जताना नहीं आता तुम्हें,
 पर मुझे नजर अंदाज कभी किया नहीं ,और...
मैंने कभी इंतजार किया ही नहीं, की जताओ आप .
बिन कहे अपना एहसास जता देते हो आप, 
मैं कभी खरी नहीं उतर पाऊंगी
आपकी परीक्षा में, 
क्योंकि मुझे कभी  आपने आजमाया ही नहीं .
राह चलते डगमगा जाती हूं जब, 
एक सख्त एहसासो से संभाल लेते हो आप मुझे,
इतना ही तो चाहिए एक रिश्ते को,
अपनापन और समझदारी की,
बाकी  मैं कुछ नहीं माँगूँगी कभी आपसे,
आपका मिलना ही तो एक मन्नत जैसा है मेरे लिए।।Debasmita

©Debasmita Pani
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Debasmita Pani

हर बार तेरे बंद दरवाजे को खटखटाना,
हर बार मेरा यूं ही दस्तक देना... 
बंद दरवाजे से टकराते हुए
 लौट कर आ जाना,
कभी वक्त मिले तो 
 खिड़की से झांकना .....
दरवाजे के पास पड़ी हुई मिलेगी 
मेरी तमन्ना, इंतजार... आसुं 
और अनगिनत आशाएं जो तुम्हें लेकर...। 
कमरे के अंदर रह जाओगे तुम,
तुम्हारी आंखें विस्तृत और विलीन हो जाएगी 
दूर बहुत दूर, 
क्षितिज से परे  वहीं पर मिलूंगी मैं 
तब भी तुम्हारा
 इंतज़ार करते हुए...।। Debasmita

©Debasmita Pani
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