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rajkishorverma9818
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Raj Kishor Verma ✍️

परिचय क्या दूँ , शब्द मेरे जीवन हैं ।।

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Raj Kishor Verma ✍️

सत्य तो ईश्वर हैं 🍁🙏

जीवन मायाजाल सा
सत्य तो सदैव ईश्वर हैं ,
जन्म मृत्यु का कालचक्र
स्नेह प्रेम का बंधन ,
पाने की ख़ुशी, खोने का गम
कभी आँसु तो कभी हँसी ।

स्थिति परिस्थिति के मध्य
रंगमंच सा ये नश्वर जीवन ,
नाट्यतरंग के सभी पात्र
कठपुतली सा प्राणी का जीवन ,
आशा, अभिलाषा, तमन्ना
द्वेष, नफ़रत, गुस्सा 
सब भाव है नाट्य जीवन के ।

कालचक्र में 
आयु पूर्व निर्धारित है ,
जन्म सत्य है तो मृत्यु महासत्य !
क्यों फिर ,
चिंतित करे खुद को इन्सान
मूल स्वरूप को पहचान ,
भक्ति भाव में डुबो
सहज स्वीकार करे 
हर घटित घटनाक्रम को ।

जीवन का मूल उद्देश्य
ईश्वर की भक्ति हो ,
सहज भाव, शांत जीवन
सत्य की खोज ,
ॐ में खुद का अंश पाना हो ।

✍️राज किशोर वर्मा🌻
दिनाँक: 13-01-2021

©Raj Kishor Verma ✍️ सत्य तो ईश्वर हैं 🍁🙏

सत्य तो ईश्वर हैं 🍁🙏

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Raj Kishor Verma ✍️

बातें अनकही सी 🍁🎙️
#romance

बातें अनकही सी 🍁🎙️ #romance

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Raj Kishor Verma ✍️

मेरा जीवन 🍁🌷

मेरा जीवन 🍁🌷

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Raj Kishor Verma ✍️

India quotes  🇮🇳 देश मेरा ये कर्ज रहा 🇮🇳


इस माटी पे हीं जन्म लिया 
इस माटी का हीं हो जाऊं ,
सौगंध हैं माँ मेरी तुझसे
तिरंगे को लहराता जाऊं ।

देश मेरा ये कर्ज रहा 
आँसू न बहने मैं दूंगा ,
महफूज रहे हर दामन 
तिरंगे को ना झुकने दूंगा ।

सह लूंगा लाखों दर्द खुद पे
खून ना अब बहने दूंगा ,
तिरंगे की सौगंध मुझे 
वतन पे आंच कभी न आने दूंगा ।

माँ तेरी ख़ुशी, हाँ तेरे लिए
हर कर्म हमारे फीके हैं ,
जन्म लिया इस पावन माटी पे
कर्ज अभी तो बांकी हैं ।

सौगंध मेरी माँ तेरे लिए
सौ बार भी मर कर जियूँगा ,
आँसु न आये तेरी कसम
फक्र से हर बार कुर्बानी दूंगा ।

रग में हमारे ज्वाला हैं
जो माँ तेरे लिए ही बहते हैं ,
आँख उठा न कोई देख सके
मिटटी की कसम हम ये कहते हैं ।


✍️ राज किशोर वर्मा
दिनांक: 06-05-2020

©Raj Kishor Verma ✍️ देश मेरा ये कर्ज रहा 🇮🇳

देश मेरा ये कर्ज रहा 🇮🇳 #कविता

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Raj Kishor Verma ✍️

💖 दीवाने दिल की धड़कन 💖

दीवाने दिल की धड़कन से आवाज निकली है
किस्से कहानियों में फिर एक बात निकली है ..2

चमन के सितारों में हमारा भी एक सितारा हो
हुस्न की छाँव में छोटा सा एक घर हमारा हो..

दीवाने दिल की धड़कन से आवाज निकली है
किस्से कहानियों में फिर एक बात निकली है...2

सपने वफ़ा की देखे थे मिलकर हमने 
कई सारी रस्में ..कई सारी कसमें ..
हर एक दुआ मैं माँगा था उसको  
हर एक जर्रे में, नाम तुम्हारा हो .. 
सफर के साथी के संग साथ हमारा हो
जीने की हर इक वजह में प्यार तुम्हारा हो ...2

दीवाने दिल की धड़कन से आवाज निकली है
किस्से कहानियों में फिर एक बात निकली है...2

आँसु हैं गम के मिलने के, कई सारी वादें
मन्नत में माँगा है, बीतें कल की वो यादें ..
आओ न मिल कर फिर साथ चले हम
जन्मो जन्म तक यूँ साथ रहे है हम...2

दीवाने दिल की धड़कन से आवाज निकली है
किस्से कहानियों में फिर आज बात निकली है...2

पंक्षी पवन और सावन का ये मौसम
बारिश की बूंदों संग साथ हमारा हो ..
आओ न मिल कर हम भींग जाए
साथी बन सफर के हमसफ़र कहलाये ..

दीवाने दिल की धड़कन से आवाज निकली है
किस्से कहानियों में फिर एक बात निकली है...2


✍️ राज किशोर वर्मा
दिनाँक: 20-09-2020

©Raj Kishor Verma ✍️ 🌸 दीवाने दिल की धड़कन 🌸

🌸 दीवाने दिल की धड़कन 🌸 #संगीत

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Raj Kishor Verma ✍️

🌸 अपरिचित से परिचय  🌸

परिचय मोहताज़ नहीं होता
सफर है जिंदगी अब इंतजार नहीं होता ,
बस इतना हीं तो पूछा था क्या है हालचाल 
परिवार का पूछना कभी अवसाद नहीं होता ।

शिरक़त करने कितने आये 
अभिवादन में ही भड़क गए ,
रश्क़ ! कैफियत के दरम्यां !
खुद के ही होकर बिखर गए ।

गुनाह अभिवादन में था 
या की नफ़्ज़ की रुख्सियत ,
अपने पराये का हीं एक दर्द है !
वरना हर ज़ख्म असरदार नही होता ।

अश्क़ छलके हैं या शुष्क है ये नैना 
कहते हैं नभ में आज चाँद दिखा है ,
बारिश हो गए हैं फिर से शायद 
इंद्रधनुष की सौंदर्य यूँ बेकार नहीं जाता ।
 
इबादत में भी वही दुआ करो
जो ज़ख्म ना दे कोई अपरिचित को ,
अजीब सी है दास्ताने जिंदगी 
वरना आपस में यूँ दरार नहीं होता !!

✍️ राज किशोर वर्मा
दिनाँक: 14- 09- 2020

©Raj Kishor Verma ✍️ अपरिचित से परिचय 🍁

#InspireThroughWriting

अपरिचित से परिचय 🍁 #InspireThroughWriting #अनुभव

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Raj Kishor Verma ✍️

🌸 रिश्ता अहसासों का 🌸

गैरों से रिश्ता के बाट जोहते थे
मेहरबां इश्क़ में अश्क़ ढूंढते थे,
वो तो नजरिया था देखने का जनाब
कोई कीचड़ में कमल तो कोई
कमल में ख़ुशबू ढूंढते थे ! 

ख़ुशबू की चाहत ने कमल को बेवफा बना दिया,
गुलाब के सुगँध ने कमल के हुश्न को फीका बना दिया !
नजरिया है जनाब इस ज़माने का
किसी ने आँसु को हँसी समझा ,
तो किसी ने आँसु को गले से लगा लिया !

ख़्वाब बस इतना है कि 
टूटते हुए तारों को भी अपना बना लूँ ,
गर्दिशों में पड़े जीवन को 
फिर से शिखर पे पंहुचा दूँ  !

नायाब फितरत कहूँ या फ़ितूर जुनून का
हर ज़ख्म को अपने में समां लूँ ,
और लिखूँ कविता उन अहसासों पे
फ़लक के नूर को फिर रौशन बना दूँ  !!

✍️ राज किशोर वर्मा
दिनांक: 06-09-2020

©Raj Kishor Verma ✍️

©Raj Kishor Verma ✍️ 🌸 रिश्ता अहसासों का 🌸

#alonesoul

🌸 रिश्ता अहसासों का 🌸 #alonesoul

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Raj Kishor Verma ✍️

घरेलु हिंसा 👧 🍂

जवान होती नहीं ,
कर दी जाती हैं लड़कियाँ !

उम्र से पहले,
खुद के हीं घर में ,
हुस्न के दलाल से ,
अपने हीं रिश्तेदार से !

बोल नहीं पाती कुछ 
क्योंकि वो तो अपने हैं ,
जिस्म का बाजार सजा है
खरीददार भी अपने हैं !

तीखी नजर सीधे 
तन पे बार कर जाती है ,
घर के चारदिवारी में
अस्मत लूटी जाती है !

कुछ होते हैं हितेषी ,
तो कुछ खुद को रिश्तेदार कहते हैं !
ये मत पहनो, वहां ना जाओ ,
गले से लगा, फिर प्यार करते हैं !

हवस जब मिटता नहीं 
गुड़िया कह पास बुलाते हैं ,
बिटिया रानी, लाडो बहन कह 
हाथ योनि पे रख सहलाते हैं !

वक्ष तो दीखते नहीं ,
बदन सहला प्यार करते हैं ,
जांघो के बीच अंगुली रख
लिंग से प्रहार करते हैं !

चीख निकल जाती है जब ,
नन्ही योनि छिद्र में अंगुली कर जाते हैं !
लिंग को, गुड़िया के हाथों से घर्षण करवाते
जब तक वीर्य स्खलित नहीं हो जाते हैं !

गुड़िया रो जाती है बहुत 
उस असहनीय दर्द से ,
ख़ुशी मिलता है रिश्तेदार को,
वीर्य निकल जाने के चरमोत्कर्ष से !

बोल नहीं पाती कुछ 
सोच ये तो अपने रिश्तेदार हैं ,
क्या गलत था क्या सही है, 
ये तो मेरे अपने पालनहार हैं !

जवान थी नहीं ,कर दी गई 
जीवन भर ये कसक रहता है ,
अपने ही बन गए थे भक्षक
सोच के दिल हर बार रोता है ।

✍️ राज किशोर वर्मा
दिनाँक: 23-09-2020

©Raj Kishor Verma ✍️ घरेलु हिंसा 🍁
#shadesoflife

घरेलु हिंसा 🍁 #shadesoflife #विचार

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Raj Kishor Verma ✍️

जीवन दर्पण 🍁

प्रेम की पराकाष्ठा 
या की ,
वजह बेवजह में उलझा ये मन ,
जीवन की सरगम 
और उसमें उलझता ये मन !

जीवन दर्पण सा 
संज्ञान लेते मेरे शब्द ,
उलझी सी ये उलझन 
और ,
सुलझती ये 
मर्यादित जीवन ।

सम्मान मान में 
सहज असहज होता ये मन ,
सरल भाव की वो स्वामी
पूर्ण प्रतिष्ठित 
पावन मेरा ये जीवन !

राग भाव में द्वेष नहीं है
सरगम की ये निर्मल स्वर ,
ध्वनि उन्मांद में उलझा 
मन भंवर सा
कोमल हृदय ,
और भाव में उलझा 
मेरा मन हाँ मेरा मन।

पूछते हैं कि 
कविता में भाव कहाँ से आते हैं ,
जीवन को फिर 
सुलझा लेता हूँ ,
उलझ भाव की 
कोलाहल से
मार्ग प्रतिष्ठित
फिर हो जाती है ,
संज्ञान ज्ञान के 
कर्म भाव के ज्ञापन से ।

✍️ राज किशोर वर्मा
दिनांक: 08-09-2020

©Raj Kishor Verma ✍️ जीवन दर्पण 🍁
#alonesoul

जीवन दर्पण 🍁 #alonesoul

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Raj Kishor Verma ✍️

🌸 जीवन चक्र 🌸

दर्द लब्जों में बिखर जाते
रूबरू दिल भी रो जाते,
रूह आत्मा से जुदा हो जाते
ग़र अपने एक बार अपने हो जाते!

इत्तफाक कहो या हकीकत ,
रंगमंच सी कुछ ये जिंदगी है ।
पास जिसको पाने का सोचा , 
दूर कहीं हो वो बिखरी पड़ी है ।

सावन की वो साँझ है ,
हिचकोले खाते दरिया !
कश्ती सा है ये जीवन ,
मांझी को किनारे का इंतजार है ।

कुछ पल है जीवन के ,
फिर एक बार हस के जी लो ।
जीवन मरण के कालचक्र में
खुद का परिनिर्वाण कर लो ।

किस्से कहानी में याद रहोगे ,
जीवन को जी भर कर जी लेने से।
महाकाल भी अमर हो गए
हलाहल विश का प्याला पीने से ।।

✍️ राज किशोर वर्मा
दिनांक : 25 जुलाई 2020

©Raj Kishor Verma ✍️ 🌸 जीवन चक्र 🌸

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🌸 जीवन चक्र 🌸 #ink

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