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pooja7092330500628
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Parastish

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Parastish

शराब  जैसी  हैं  उसकी  आँखें,  है  उसका  चेहरा  किताब  जैसा
बहार  उस  की  हसीं  तबस्सुम,  वो  इक   शगुफ़्ता  गुलाब  जैसा

वो ज़ौक़-ए-पिन्हाँ, वो सबसे वाहिद, वो एक इज़्ज़त-मआब जैसा
वो रंग-ए-महफ़िल, वो नौ बहाराँ, वो नख़-ब-नख़ है  नवाब  जैसा 

उदास  दिल  की  है  सरख़ुशी  वो,  वो  ज़िन्दगी के  सवाब  जैसा
वो  मेरी  बंजर सी  दिल  ज़मीं  पर,  बरसता है  कुछ सहाब जैसा

कभी   लगे    माहताब   मुझ  को,  कभी   लगे   आफ़ताब  जैसा
हक़ीक़तों की  तो  बात  छोड़ो, वो  ख़्वाब में भी  है  ख़्वाब  जैसा

न वो शफ़क़ सा, न बर्ग-ए-गुल सा, न रंग वो  लाल-ए-नाब जैसा 
जुदा  जहां का  वो रंग  सबसे,  है  उसके  लब  का  शहाब  जैसा

उसी  से  शेर-ओ-सुख़न  हैं  मेरे, उसी  से  तख़्लीक़  मेरी   सारी 
वो अक्स-ए-रू  है  मेरी  ग़ज़ल का,  मेरे  तसव्वुर के  बाब जैसा

©Parastish शगुफ़्ता - cheerful 
ज़ौक़-ए-पिन्हाँ - hidden desire
वाहिद - unique 
इज़्ज़त-मआब- most esteemed; respected
नख़-ब-नख़ - row by row, line by line 
सरख़ुशी - happiness
सवाब - reward 
सहाब - a cloud

शगुफ़्ता - cheerful ज़ौक़-ए-पिन्हाँ - hidden desire वाहिद - unique इज़्ज़त-मआब- most esteemed; respected नख़-ब-नख़ - row by row, line by line सरख़ुशी - happiness सवाब - reward सहाब - a cloud #ghazal #sher #parastish

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Parastish

किसने दर पर ये आहटें कर दीं!
तेज़ दिल की ये धड़कनें कर दीं!

दश्ते दिल सब्ज़ हो उठा फिर से,
आपने  कुछ यूँ  बारिशें  कर दीं!

थी उदासी  फ़क़त  मिरे  घर  में,
आप  आए  तो  रौनकें  कर दीं!

उन की नज़रों ने यूँ तराशा मुझे,
जों  ख़ुदा  ने   इनायतें  कर  दीं!

उसकी चाहत में, मैं हूँ वारफ़्ता,
लो  बयाँ  मैंने, हसरतें  कर  दीं!

©Parastish
  दश्त-ए-दिल = दिल का रेगिस्तान/जंगल 
सब्ज़ = हरा 
वारफ़्ता = बेसुध, बेखु़द

#गजल #sher #Shayari #ghazal #Poetry #parastish #lovepoetry

दश्त-ए-दिल = दिल का रेगिस्तान/जंगल सब्ज़ = हरा वारफ़्ता = बेसुध, बेखु़द #गजल #sher #Shayari #ghazal Poetry #parastish #lovepoetry

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Parastish

कैसे  बिगड़े  मिरे  हालात  न मालूम मुझे 
वक़्त ने क्या किए ज़ुल्मात न मालूम मुझे

बिखरे रिश्ते मिरे क्यूँ काँच के पैकर जैसे 
दरमियाँ क्या हुए ख़दशात न मालूम मुझे 

मैं हूँ  खोई हुई  माज़ी की किन्हीं यादों में 
क्या अभी गुज़रे हैं लम्हात न मालूम मुझे 

साथ तन्हाई है औ' ग़म की  फ़रावानी है 
कैसे कटते हैं  ये दिन-रात न मालूम मुझे 

उसको चाहा ही नहीं,मैंने परस्तिश'की है 
वस्ल की होती है क्या रात न मालूम मुझे

©Parastish
  पैकर= आकृति/body, figure 
ख़दशात= शंकाएं/ doubts
माज़ी= अतीत/past
फ़रावानी= अधिकता/abundance,plenty
परस्तिश= इबादत,पूजा/worship

#ghazal #sher #Shayari #Poetry #parastish

पैकर= आकृति/body, figure ख़दशात= शंकाएं/ doubts माज़ी= अतीत/past फ़रावानी= अधिकता/abundance,plenty परस्तिश= इबादत,पूजा/worship #ghazal #sher #Shayari Poetry #parastish

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Parastish

कितने ताइर  क़ैद है उसकी  आँखों के  ज़िंदानों में 
चर्चा  ज़ोरों  पर  है  इक  सय्यादी  की  काशानों में 

नशा असल में तो बस उसके शीरीं लब ही रखते हैं 
पागल हैं  वो लोग  जो  पीने  जाते हैं  मयख़ानों  में 

बात  हसीं  शामों की  हो या  तन्हा भीगी  रातों की 
बस उसका ही  ज़िक्र मिलेगा मेरे  इन अफ़्सानों में 

नहीं  मिला  वो  सूना-पन  जो  टूटे दिल में  होता है 
मैंने   जा  कर  देखा  है,  सहराओं  में,  वीरानों  में 

ख़्वाब परस्तिश' जिसके देखे वो सच से वाबस्ता हो 
एक  यही  अरमाँ  है  शामिल  मेरे  सब अरमानों में

©Parastish
  ताइर - पंछी
ज़िंदानों - क़ैद ख़ानों
सय्यादी - शिकारी 
काशानों - घरों 
शीरीं लब - मीठे लब
सहराओं - रेगिस्तानों
वाबस्ता - जुड़ा हुआ

ताइर - पंछी ज़िंदानों - क़ैद ख़ानों सय्यादी - शिकारी काशानों - घरों शीरीं लब - मीठे लब सहराओं - रेगिस्तानों वाबस्ता - जुड़ा हुआ #ghazal #Shayari #sher #parastish #nojohindi

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Parastish

कितने चढ़े हैं सूली औ' कितनों ने लहू बहाया है
ऐसे ही  नहीं  ये अपना  झण्डा ऊँचा लहराया है

होकर आज़ाद जहाँ से हमको आज़ाद कराया है
तब जाके कहीं हमने आज़ादी का जश्न मनाया है 

नमन है ऐसे वीरों को जो हँस कर फन्दे झूल गए
बर्बाद किया घर अपना हमको आबाद कराया है

कितने चढ़े हैं सूली औ' कितनों ने लहू बहाया है ऐसे ही नहीं ये अपना झण्डा ऊँचा लहराया है होकर आज़ाद जहाँ से हमको आज़ाद कराया है तब जाके कहीं हमने आज़ादी का जश्न मनाया है नमन है ऐसे वीरों को जो हँस कर फन्दे झूल गए बर्बाद किया घर अपना हमको आबाद कराया है #IndependenceDay #Shayari #parastish #nojohindi #15thAugust #happyindependenceday

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Parastish

रातों की बस्ती में ख़्वाबों का डेरा है 
जो पूरा होता नहीं, वो ख़्वाब मेरा है 

हूँ मैं तन्हा मगर दिल कब अकेला है 
तेरी यादों के साये ने हर वक्त घेरा है 

गुमसुम-सी रातें, बेबसी का पहरा है 
ख़्यालों का झुरमुट है,घुप्प अँधेरा है 

अज़ीज़ वो भी हमें ऊपर जो बैठा है 
लब पर आता मगर बस नाम तेरा है 

तुम वो शम्स जिसके हर सू सवेरा है 
मैं वो चाँद जिसपे तीरगी का फेरा है

©Parastish
  शम्स- सूरज
हर सू- हर तरफ़

#parastish #Poetry #nojotohindi #randomthoughts #Shayari

शम्स- सूरज हर सू- हर तरफ़ #parastish Poetry #nojotohindi #randomthoughts #Shayari


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