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Mangal Pratap Chauhan

दो के पहाड़े जैसा सीधा इंसान✍ साहित्यकार, पत्रकार एवं शिक्षक

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Mangal Pratap Chauhan

कभी मेरे दिल के समुंदर में उतर करके देखो,
नौसिखिया होकर भी प्यार की तैराकी न सिख गए तो कहना।

    ~ अग्निवंशी ठा० मंगल प्रताप सिंह चौहान
                        राबर्ट्सगंज सोनभद्र (उ०प्र०) दिल के समुंदर में..... मंगल प्रताप चौहान

दिल के समुंदर में..... मंगल प्रताप चौहान #शायरी

6 Love

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Mangal Pratap Chauhan

कभी मेरे दिल के समुंदर में उतर करके देखो,
नौसिखिया होकर भी प्यार की तैराकी न सिख गए तो कहना।

    ~ अग्निवंशी ठा० मंगल प्रताप सिंह चौहान
                        राबर्ट्सगंज सोनभद्र (उ०प्र०) दिल के समुंदर में.... मंगल प्रताप चौहान

दिल के समुंदर में.... मंगल प्रताप चौहान

5 Love

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Mangal Pratap Chauhan

कभी मेरे दिल के समुंदर में उतर करके देखो,
नौसिखिया होकर भी प्यार की तैराकी न सिख गए तो कहना।

    ~ अग्निवंशी ठा० मंगल प्रताप सिंह चौहान
                        राबर्ट्सगंज सोनभद्र (उ०प्र०) दिल के समुंदर में...... मंगल प्रताप चौहान

दिल के समुंदर में...... मंगल प्रताप चौहान

4 Love

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Mangal Pratap Chauhan

कभी मेरे दिल के समुंदर में उतर करके देखो,
नौसिखिया होकर भी प्यार की तैराकी न सिख गए तो कहना।

    ~ अग्निवंशी ठा० मंगल प्रताप सिंह चौहान
                        राबर्ट्सगंज सोनभद्र (उ०प्र०) दिल के समुंदर में..... मंगल प्रताप चौहान

दिल के समुंदर में..... मंगल प्रताप चौहान

5 Love

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Mangal Pratap Chauhan

लफ्जदारी-एक प्रेम कथा.... मंगल प्रताप चौहान

प्रशिक्षण कालेज के पहले ही दिन मेरा सामना कालेज की एक प्यारी सी लड़की से हुआ, मुझे भविष्य के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं था कि कभी हम इस ठाकुराइन से इतना प्यार करने लगेंगे की जान भी दे सकते हैं। बात करने की हिम्मत तो कभी होती नहीं थी मेरी उनसे, इसलिए ठाकुराइन से मेरा जुड़ाव फेसबुक पर हुआ।
वो बातों को बहुत सहजता से कह देती थीं। उनकी मुस्कान तो ऐसी थी की मरा मुर्दा भी श्मसान घाट से उठ खड़ा हो जाए। मैं अपनी ठाकुराइन को देखकर पूरा जीवन व्यतीत कर सकता था। मेरी ठाकुराइन कभी भी किसी बात को गंभीरता से नहीं लेती थी यहां तक की उन्होंने मेरे प्यार को भी कभी गंभीरता का विषय नहीं बनाया। फेसबुक पर दोस्ती होने के बाद धीरे-धीरे हम लोगों की चैटिंग शुरू हो गई, मैं उनके फेसबुक पोस्टों पर बहुत ही सुन्दर शब्दों में कमेंट किया करता था जोकि जलने वालों के लिए काफी था।
कालेज के लगभग एक वर्ष होने वाले थे, मैंने उनसे इतना अधिक बात कर लिया था कि उतनी बात किसी और से करने में मुझे जीवन भर लग जाते। तभी अचानक एक दिन मैंने  अपने प्रेम का इज़हार किया। अब इंतजार था उनके जवाब का, अपने जगह पर मैं भी सही था और वो भी सही, ठाकुराइन जी ने मुझे बहुत ही सहजता से जवाब दिया कि ठाकुर जी आप अपने जगह पर सही हैं, आपने अपने दिल की बात बोल दिया मुझे कोई समस्या नहीं लेकिन मैं आपसे प्यार नहीं कर सकती मेरी कुछ व्यक्तिगत मजबूरिययां हैं । ये सुनते ही जैसे मेरे पैर के नीचे से जमीन खिसक गई, आसमान फटने वाला था, मुझे बहुत दुःख हुआ। मैं उनकी मजबूरियों से समझौता कर सकता था लेकिन उनकी इजाजत के बगैर नहीं। उनकी सिर्फ एक आवाज पर मैं पूरी दुनिया को भूलाकर उनसे शादी कर लेता। लेकिन उन्होंने कभी मुझे आवाज नहीं दिया। मेरा प्रेम एकतरफा साबित हो रहा था।
मैं उनके बिना शायद नहीं रह सकता था। मैं अपनी जुबान का बहुत पक्का था, मैंने प्रण लिया कि अपनी ठाकुराइन को कभी कष्ट नहीं होने दूंगा। मैं उनके लिए जो भी कर सकूं कम है। तेरे साथ बिताया लम्हा मेरी जिंदगी के सबसे बेहतरीन और खूबसूरत लम्हे थे, उन लम्हों के सहारे मैं जीवन भर यूं ही मुस्कुराता रहूंगा। यकीन कर मैं बेहिचक बेहिसाब तुझसे मोहब्बत करता रहूंगा। हमेशा तुमपे जान छिड़कता रहूंगा, यदि तेरे मन में मेरे प्रति ऐसा हो की आपके बाद मेरे जीवन में कोई दूसरी आएगी जिससे मैं आपकी तरह ही पागलों की तरह प्यार करूंगा तो ये बिल्कुल ग़लत है क्योंकि अब आपके जैसा प्यार मुझे कभी किसी से भी नहीं होगा। इस बात का प्रमाण जीवन में कभी आपको जरूर मिलेगा। और लड़कों की तरह मैं बिल्कुल भी नहीं जो सिर्फ स्वार्थ, मतलब और चेहरे की खूबसूरती के लिए प्यार करते हैं, मैंने नि:स्वार्थ भाव से आपके हृदय से प्यार किया है,आपकी चेहरे की खूबसूरती से नहीं क्योंकि चेहरे की खूबसूरती समय के साथ समाप्त हो सकती है लेकिन हृदय की खूबसूरती नहीं। आप जीवन में हमेशा खुश रहें मेरी ठाकुराइन,वो जो एक लम्हा था, जीस लम्हे में हम एक दूसरे से मिले थे, वो लम्हा अजीज था, क्योंकि उन लम्हों में सर्द सा इश्क़ था, 
तुमसे मिलने के बाद जो जिंदगी तुम्हारे संग गुज़री वो सब एक हसीन लम्हों के शुमार हैं, बहुत सारे वादे, इरादे थे, चाहत थी जनून था जज़्बा था, इश्क़ था और मोहब्बत तो लाजवाब थी, 
पर अब इश्क़, मोहब्बत, ख्वाब, जनून, जज़्बात, चाहत का सफर बहुत लंबा हो गया, वक़्त गुज़र गया और लम्हा वहीं ठहरा रह गया, और मैं आज तक उन्ही लम्हों में कैद रहा और तुम वक़्त के साथ गुज़र के उन लम्हों से कहीं दूर निकल गई,
रिश्ता जो कल था वो कल से आज तक मुझे तुझसे बांध कर रखे रहा, लेकिन तुम रिश्ते के नाजुक से धागों के बंधन को छुड़ाकर कब आगे बढ़ गए कि मुझे वो नाजुक से धागा टूटने का एहसास भी नही हुआ।
तुमसे बिछड़ने के वक़्त भी मेरे होंटों पे मुस्कान का रहना वाजिब होगा, आखिर इन मुस्कुराते होंटों को यकीन कैसे होता कि तुम समय के साथ साथ मुझसे दूर होती जा रही हो।, तुम समझदार हो जो जमाने के साथ बदल जाने का हुनर रखते हो, शायद इसलिए तुम आज भी कामयाब हो और मैं अपनी मोहब्बत में नाकामयाब हो गया, वो इसलिए कि तुम्हारी कामयाबी ने मेरी मोहब्बत को नाकामयाब कर दिया,
खैर आज भी तुमसे एक रिश्ता है, आज भी तुमसे कहता हूं कि  बेपनाह मोहब्बत करता हूं, आज भी तुमसे मिलने की चाहत रखता हूं, आज भी तुम्हें बहुत याद करता हूं, आज भी अपनी तन्हाई में तुम्हें पुकारता  हूं। लेकिन शायद मैं बहुत लेट हो गया ठाकुराइन मैं जानता हूं और महसूस कर सकता हूं तुम्हारी आवाज में मोहब्बत साफ दिख रही, तुम्हारे इन्तेजार और तुम्हारे फिक्र में इश्क़ आज भी दिख रहा,
 लेकिन जो बदल दिया तुमने " वो मेरी जिंदगी " है, अब तुम जनून, वो चाहत, वो इरादे, वो वादे, वो कसमें, वो ज़िन्दगी भर साथ रहने की ख्वाहिशें नही रखती, अब तुम मुझे जब तक हो सके उस वक़्त की मोहब्बत मांगती हो, अब तुम मेरी मोहब्बत किसी और का होने तक मांगती हो, अब तुम ऐसी मोहब्बत करती हो जिसमें शादी नही, जिसमें जिंदगी नही, ज़िन्दगी के कुछ पल हैं, 
जानता हूं दिल मे तुम्हारे अब भी हूँ, अब भी तुम ज़िन्दगी भर के लिए चाहती हो, शादी भी करना चाहता था, लेकिन तुम्हारी मजबूरी से वाकिफ हूँ, लेकिन जमाने के साथ तुमने जो समझौता किया है कि तुम मेरी न हो सकोगी लेकिन मुझे चाहते रहोगी, इश्क़ करती रहोगी, जानता हूं तुम बंध से गई ही ज़माने के रस्मों में, जानता हूं " तुम एक लड़की हो " , और ये भी जानता हूँ की समाज में लड़कियों की ख्वाहिशों का गला कैसे घोंट दिया जाता है , 
लेकिन सुनो ठाकुराइन, जब शादी का मिलन नही तो आशिकी ये किस काम की, ऐसा रिश्ता  कबूल नही ,जहां एक जज़्बात को खत्म कर दिए वहीं अब सभी ख्वाहिश, इश्क़, मोहब्बत, चाहत, बातें, वादें ,इरादें, जनून सबको अपने साथ दफ़न कर देने का मन करता है। लेकिन इतना याद रखना ठाकुराइन की मरने के बाद भी मैं सिर्फ तेरा रहूंगा और तुमसे मोहब्बत भी इसी तरह करता रहूंगा। बहुत मन करता है मेरा तुझसे बात करने को, गले लगाने को, तेरी यादों में डूब जाने को, बहुत मन करता है तुझसे बात करते हुए पूरा जीवन व्यतीत कर जाने को, मेरी पगली,मेरी गुड़िया,मेरी सोना,मेरी मैडम, मेरी ठाकुराइन लेकिन शायद तू जमाने से मजबूर हो सकती है लेकिन मैं नहीं। 

                 ~ मंगल प्रताप चौहान
                      (राबर्ट्सगंज सोनभद्र उप्र) लफ्जदारी-एक प्रेम कथा....... मंगल प्रताप चौहान

लफ्जदारी-एक प्रेम कथा....... मंगल प्रताप चौहान

7 Love

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Mangal Pratap Chauhan

इतने भी कच्चे रिश्ते नहीं हैं इस दुनिया में मेरे लिए,
जान भी दे दूंगा कभी ये सनम हंसकर तेरे लिए।

~ मंगल प्रताप चौहान इतने भी कच्चे रिश्ते नहीं हैं.... मंगल प्रताप चौहान

इतने भी कच्चे रिश्ते नहीं हैं.... मंगल प्रताप चौहान

6 Love

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Mangal Pratap Chauhan

मां-बाप,भाई-बहन, दोस्त एवं पत्नी के प्रति प्यार 
जब तक अंतिम सांसें चले तब तक होनी चाहिए। 
एक दिन के दिखावे प्यार का कोई महत्व नहीं।।। 
                                
         ~ मंगल प्रताप चौहान प्यार की अंतिम सीमा.....मंगल प्रताप चौहान

प्यार की अंतिम सीमा.....मंगल प्रताप चौहान

4 Love

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Mangal Pratap Chauhan

वो मुझसे hate you hate you करती है,
मैं उससे love you love you करता हूं।
एक दिन मैंने किसी और की थोड़ी तारीफ क्या कर दी,
 मुझे 4 थप्पड़ लगाकर, लिपटकर रोने लगी और बोली....जान ले लूंगी तुम्हारी!!!

कसम से आज तक बहुत डरा हुआ हूं भाई😂😁😀

~ मंगल प्रताप चौहान प्यार का बुखार..... मंगल प्रताप चौहान

प्यार का बुखार..... मंगल प्रताप चौहान

5 Love

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Mangal Pratap Chauhan

( 2)- मुलाकातों का दौर........ (ग़ज़ल)

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मुलाकातों का दौर तो सदियों से चला आ रहा है,
ये कालचक्र भी तीव्र वेगी से चला जा रहा है।

जैसे लैला-मजनू छले गए थे जमाने से,
वैसे अब  मुझे भी छला जा रहा है।

मेरे इश्क के जज्बातों को भला समझे कौन?
ये ज़माना तो खुद में ही जला जा रहा है।

कभी तोता-मैना भी बैठते थे एक ही डाली पर,
अब तो कंकड़ से मारकर भगाया जा रहा है।

अब तो यादों में ही इश्क,शादी और बर्बादी होगी,
मुझसे तन्हाई का ये ग़म ना भुलाया जा रहा है।
  
                              ग़ज़लकार ~ मंगल प्रताप चौहान मुलाकातों का दौर...... मंगल प्रताप चौहान

मुलाकातों का दौर...... मंगल प्रताप चौहान

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Mangal Pratap Chauhan

बेदाग चांद........अग्निवंशी ठा० मंगल प्रताप चौहान

आज पूर्णिमा की रात में मुझे दो चांद दिख रहे हैं,
एक दाग वाला और दूसरा बेदाग वाला।

   दाग वाला तो दूर लेकिन बेदाग वाला मेरे पास है,
उससे मिलने को मेरे दिल में अभी भी थोड़ी आस है।

यदि मिल गया तो मेरे दिल का दर्पण मिल जाएगा,,
नहीं मिला तो यह जिस्म भी कण-कण में मिल जाएगा।
 
मैं आतुर हूं उससे मिलने को,वह आतुर है मुझसे मिलने को,
मिलन की इस बेला को भी तर्पण मिल जाएगा।

मेरे चांद से आसमानी चांद भी शरमा रहा है,
इतनी खूबसूरत क्यों बना दी,खुदा पर भी गरमा रहा है, बेदाग चांद....... मंगल प्रताप चौहान

बेदाग चांद....... मंगल प्रताप चौहान

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