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sachinsachin6147
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Dr. of thuganomics

i dum it down for u ,,i keep it simple son ,,i have four fingers gona giving u the middle 🤘 one 😂😂😂😂😂

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Dr. of thuganomics

उदास रातें,,उदास मौसम रूला रहे थे ,,तो तुम कहां थे ,,
हमारे जख्मों को ,,हम ही ,,मरहम लगा रहे थे ,,तो तुम कहां थे ।।
#
बिछड़ रहे हमसे जब तुम यूं,,सुनो ये बिनाइ घट रही थी ,,
हम एक मुद्दत से ख़ाक ए सेहरा उड़ा रहे थे ,,तो तुम कहां थे ।।
#
मैं वो पुरानी सी एक कुर्सी जो घर के कोने में रखी हुई है ,,
और उसको गम के तमाम दिमग जो खा रहे थे ,,तो तुम कहां थे ।।
#
झुका के पलके अब आ रहे हो ,,जब खाक होकर बिखर गया हूं,,
गले दीवारों को रोते रोते लगा रहे थे ,,तो तुम कहां थे ।।
#
हर एक करता ही ले रहा था ये नाम तेरा उदास शब में ,,
हमारे आंसू ये  हाल दिल का सुना रहे थे ,,तो तुम कहां थे ।।
#
हमे बुलाने अब आ रहे ,,जब कूह ए सेहरा के हो गए हम ,,
वो सर्द रातें जुदाई के गम सता रहे थे ,,तो तुम कहां थे ।।
#
बिछड़ रहे हो तो जिस्म से तुम निकाल फेंको ये रूह मेरी ,,
तमाम रातें ही जागकर यूं बुला रहे थे ,,तो तुम कहां थे ।।
#
तुम्हारी यादों का सारा दरिया ,,ये सारी कश्ती ये सारे मोसम,,
उबलते अश्कों से सारा दुख जो बता रहे थे ,,तो तुम कहां थे ।।
#
हमे खीजा रास आ गई है ,,तो अब बहारों का क्या करेंगे ,,
अपनी तन्हाई दूर करने ,जब बुला रहे थे ,,तो तुम कहां थे ।।
#
तमाम शब इंतजार करना ,,फलक के तारे शुमार करना ,,
गम ए जुदाई में जशन ए फुरकत माना रहे थे ,,तो तुम कहां थे ।।
#
बताओ अर्पित पुरानी बातो को याद करके कैसा रोना ,,
तमाम उम्र ही याद तुम मुझको आ रहे थे ,,तो तुम कहां थे ।।
#
(अर्पित शर्मा)

©Dr. of thuganomics #तो तुम कहां थे #अर्पित शर्मा

तो तुम कहां थे अर्पित शर्मा

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Dr. of thuganomics

कोई आस पास नही रहा ,,तो ख्याल तेरी तरफ गया ,,
मुझे अपना हाथ भी छू गया ,,तो ख्याल तेरी तरफ गया ।।
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कोई आकर जैसे चला गया ,,कोई जाकर जैसे गया नहीं,,
मुझे अपना घर भी घर लगा ,,तो ख्याल तेरी तरफ गया ।।
#
मेरी बेकली थी शुघुफ्तगी, सो बहार मुझसे लिपट गई ,,
कहा बहम ने ये कोन था ,,तो ख्याल तेरी तरफ गया ।।
#
मुझे कब किसी की उमंग थी ,,मेरी अपने आप से जंग थी ,,
हुआ जब शिकस्त से सामना ,,तो ख्याल तेरी तरफ गया ।।
#
किसी हादसे की खबर हुई ,,तो सांस जैसे उखड़ गई ,,
कोई इतफाक से बच गया ,,तो ख्याल तेरी तरफ गया ।।
#
(लियाकत अली असीम )

©Dr. of thuganomics #ख्याल

ख्याल

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Dr. of thuganomics

क्यों सुनो तुम ,,पराए लोगो की ।
भाड़ में जाए ,, राय लोगो की ।।
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तजुर्बा है ,,तो मैं समझता हूं,,
मतलबी हैलो हाय लोगो की ।।
#
यार लाशें उठानी पड़ती है ,,
उमर भर के कमाए लोगो की ।।
#
गुफ्तगू सुनने वाली होती है ,,
जिंदगी के सताए लोगो की ।।
#
क्यों सुनो तुम ,,पराए लोगो की ,
भाड़ में जाए ,, राय लोगो की ।।
#

©Dr. of thuganomics #Baagh

Baagh

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Dr. of thuganomics

सफर नसीब में होता तो हम बहक जाते ,,या घर करीब में होता तो ,, बेखटक जाते ,,
अगर न करता इफाजत मैं अपने रास्ते की ,, ख्याल ओ दिल के परिंदे मुझे उचक्क जाते ।।
#
किसी से रब्बत की इज़्जत में चुप रहे हम लोग ,,वरना अपने बचाओ में दूर तलक जाते ,,
अगर वो चांद सा चेहरा न राहबर होता ,, शब ए फ़िराक की राहों में हम भी थक जाते ।।
#
इमाद,, सर ए आम हमने खुद को ललकारा,, के दिल के चोर बस ऐसे नही खिसक जाते ,,
सफर नसीब में होता तो हम बहक जाते ,,या घर करीब में होता तो ,, बेखटक जाते ।।
(इमाद अहमद)

©Dr. of thuganomics #Baagh

Baagh

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Dr. of thuganomics

अगर मुझको जमीं होना पड़ेगा ,,, जहां तुम हो वहीं होना पड़ेगा ।
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खुदा यकसानियत से थक ना जाए ,,,किसी को बे यकीं होना पड़ेगा ।।
#
जवानी की मुहब्बत का भला हो ,,,मुझे बूढ़ा नही होना पड़ेगा ।।
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ये शायर काम पर लग जायेंगे फिर ,,तुम्हे कुछ कम हसीन होना पड़ेगा ।।
#

©Dr. of thuganomics #kinaara

kinaara

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Dr. of thuganomics

इस भरे शहर में ,,सरकार नही है ,, हद है ,,
एक भी मेरा ,,तरफदार नही हैं,, हद है ।।
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मैं तेरे नाम के हर शक्श पे मर मिटता हूं,,
तू समझता है के प्यार नही है ,, हद है ।।
#
बीसियों साहिब ए दस्तार यहां है लेकिन,,
एक भी साहिब ए किरदार नही है ,, हद है ।।
#
कैसे होता है असर देख बुरी सोहबत का ,,
तेरा कुत्ता भी वफादार नही है ,, हद है ।।
#
मैं तुझे देखने लखनऊ तक आ गया हूं,,
और तू ठीक से तैयार नहीं है ,, हद है ।।
#
डूबता जाता हूं तस्वीरे बनाने वालो ,,,
कोई भी मेरा मददगार नही है ,, हद है ।।
#
कैसे होता है असर देख बुरी सोहबत का ,,
तेरा कुत्ता भी वफादार नही है,, हद है।।
#
(अली इरतिजा)

©Dr. of thuganomics #kinaara

kinaara

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Dr. of thuganomics

यकीं टूट रहा है ,,,,,,,,,अभी ,,,,,जरा ठहरो ,,
गुमा भी रूठ रहा है ,,अभी ज़रा ठहरो।।।
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दिमाग़ ओ दिल से दुआ का वक्त तो दो ,,,
ये साथ छूट रहा है ,,,अभी ,,जरा ठहरो।।
#
सफर तो रूह ही करती है ,,,जिंदगी का मगर ,,
बदन जो टूट रहा है ,,,अभी ,,, ज़रा ठहरो।।।
#
मुझे तलाश ए हकिकत तो थी ,,मगर ये शहूर,,
कहां से फूट रहा है ,,,अभी जरा ठहरो ।।
#
अगर जो सारी कहानी बुनी है सच पे ,, इमाद
पर थोड़ा झूट रहा है ,,अभी ,,, ज़रा ठहरो ।।
#
(इमाद अहमद)

©Dr. of thuganomics #WoNazar

WoNazar

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Dr. of thuganomics

अगर ये कह दो बगैर मेरे नही गुजारा ,,तो मैं तुम्हारा ,,या इसी मबनी कोई तासुर कोई इशारा ,,तो मैं तुम्हारा ।।
गुरूर परवर आना के मालिक ,,कुछ इस तरह के हैं नाम मेरे ,,मगर कसक से जो तुमने इक नाम भी पुकारा ,,तो मैं तुम्हारा ।।
तुम अपनी शर्तों पे खेल खेलो ,,,मैं जैसे चाहूं लगाऊं बाज़ी,,अगर मैं जीता तो तुम हो मेरे ,,अगर मैं हारा,,तो मैं तुम्हारा ।।
तुम्हारा आशिक तुम्हारा मुखलिस तुम्हारा साथी तुम्हारा अपना,,रहा न इनमे से दुनिया में जब कोई तुम्हारा ,,तो मैं तुम्हारा ।।
तुम्हारा होने के फैसले को मैं अपनी किस्मत पे छोड़ता हूं,,अगर मुकदर का कोई टूटा कभी  सितारा ,,तो मैं तुम्हारा ।।
ये किसके तबीज कर रहे हो ,,ये किसको पाने के है वजीफे ,,तमाम छोड़ो बस एक कर लो जो इश्तिखारा ,,तो मैं तुम्हारा ।।

©Dr. of thuganomics #तो मैं तुम्हारा ।

#तो मैं तुम्हारा ।

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Dr. of thuganomics

टूटने और बिखरने का चलन मांग लिया ,,हमने हालात से शीशे का वतन मांग लिया ।।
अपने कालर में जो फूल था ,,उसके बदले ,, हमसे इक श्कश में खुआबो का चमन मांग लिया ।।
जब सुना आयेंगे कुछ लोग नसीयत करने ,,एक दूजे से वहीं हमने बचान मांग लिया ।।
वो मुसलमान थी अल्लाह से शरमाती रही ,, और भगवान से गोरी ने सजन मांग लिया ।।
जोर था शेख और ब्राह्मण का हर एक बस्ती में ,,हमने रहने को अलग शहर ए सुखन मांग लिया।।
हम भी मोजूद थे तकदीर के दरवाजे पर ,,लोग दौलत पे गिर ,,हमने वतन मांग लिया ।।
जिसकी तहरीर में हमे होना था दफन , कतील,,उसने वापस वही कागज का कफन मांग लिया।
वो मुसलमान थी ,, शरमाती रही ,,और भगवान से गोरी ने सजन मांग लिया ।।

(कतील शफाई)

©Dr. of thuganomics #सजन मांग लिया ।।

#सजन मांग लिया ।।

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Dr. of thuganomics

भड़काए मेरी प्यास को अक्सर तेरी आंखे ,,
सेहरा मेरा चेहरा है ,,समंदर तेरी आंखे ।।
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फिर कोन भला दाद ए तब्सुम्म इन्हे देगा ,,
रोएंगी बहुत,, मुझसे बिछड़ कर तेरी आंखे ।।
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बोझल नजर आती है बजाहिर मुझे लेकिन,,
खुलती है बहुत दिल में उतरकर तेरी आंखे ।।
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अब तक मेरी यादों से मिटाए नही मिटता,,
भीगी हुई इक शाम का मंजर तेरी आंखे ।।
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मुमकिन हो तो इक ताजा गजल और भी कह लूं
फिर ओढ़ ना ख्वाब की चादर तेरी आंखे ।।
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यूं देखते रहना उसे अच्छा नहीं मोहसिन,,
वो कांच का पैकर है ,,तो पत्थर तेरी आंखे ।।
#
भड़काए मेरी प्यास को अक्सर तेरी आंखे ,,
सहरा मेरा चेहरा हैं,,समंदर तेरी आंखे ।।
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(मोहसिन नक़वी)

©Dr. of thuganomics #WoNazar

WoNazar

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