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anujpratapsinghs5824
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Anuj Pratap Singh Suriyavanshi

अष्टादस पुराणेषु व्यासस्य वचनं द्वयम् । परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् ॥

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Anuj Pratap Singh Suriyavanshi

ज़िंदगी का हर पल समय से पहले ही गुजर जाता है 
 मोहब्बत ही ऐसी दवा है जो ठोकर लगने पर मानव सुधार जाता है 

 अनुज  प्रताप सिंह सूर्यवंशी 
     7599289803 द्रोपदी स्वयंवर मे द्रोपदी के पिता ने देश विदेश के राजाओं को निमन्त्रण भेजकर बुलाया | स्वयंवर मे महाराजा कर्ण ने भी भाग लिया | मछली  नेत्र भेदन के समय द्रोपदी ने सूत पुत्र कहकर एक प्रतापी महाराजा का अपमान किया | इस प्रकार के व्यंग का द्रियोधन के सिवाय किसी ने भी बिरोध नही किया जबकि कर्ण के लिए उचित था | ऐसी दुष्ट सभा और स्त्री को हम कहें |

द्रोपदी स्वयंवर मे द्रोपदी के पिता ने देश विदेश के राजाओं को निमन्त्रण भेजकर बुलाया | स्वयंवर मे महाराजा कर्ण ने भी भाग लिया | मछली नेत्र भेदन के समय द्रोपदी ने सूत पुत्र कहकर एक प्रतापी महाराजा का अपमान किया | इस प्रकार के व्यंग का द्रियोधन के सिवाय किसी ने भी बिरोध नही किया जबकि कर्ण के लिए उचित था | ऐसी दुष्ट सभा और स्त्री को हम कहें |

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7599289803 अष्टादस पुराणेषु व्यासस्य वचनं द्वयम् ।
परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् ॥

अष्टादस पुराणेषु व्यासस्य वचनं द्वयम् । परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् ॥

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