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bharatbhushanroy9259
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BHARAT BHUSHAN ROY

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BHARAT BHUSHAN ROY

किसी भी आशिक का निगाह उन पर नहीं हैं।
 लगता है खुदा के हिफाज़त में रहती हैं।।

©BHARAT BHUSHAN ROY
  #ChaltiHawaa
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BHARAT BHUSHAN ROY

मैं उन से बिछड़ कर भी, उसकी राह देखता रह गया। 
मिली भी राह मे थी तो,वह सिंदूर मे थी। 
और मै देखता रह गया ।। 
उन रात जुगनूओं ने भी रातों से रंजिश कर ली थी। 
मेंहताब भी उस मंज़र देख टुकढ़ो में बट गया फिर भी देखता रह गया।।

©BHARAT BHUSHAN ROY
  #Hum  Pkroy

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BHARAT BHUSHAN ROY

बड़े उदास रहते हो?
 हाँ.मेरी जो उलझने हैं।
 उस तरह के उलझनों मे जिंदगी गुज़ार कर के तो देखों।।
 ये जो चेहरें पर चमक हैं न।
पसीनों से घुल जाऐगा।।

©BHARAT BHUSHAN ROY
  #Hum
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BHARAT BHUSHAN ROY

मेरे रुह से उस का नशा अगर उतार सके कोई।
हैं कोई जो उस से जीतकर मुझसे हार सके!
एक ऐसे बदन की अब असद जरुरत हैं हमें।
 जो मेरी रुह से उस की बदन उतार,भुला सके!!

©BHARAT BHUSHAN ROY
  #lonelynight
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BHARAT BHUSHAN ROY

मेरे तो हर एक दिन तेरी ख्वाब सज़ाने मे बदल गई। 
नजाने तुम किसके ख्वाब मे बदल गई। ।

©BHARAT BHUSHAN ROY #Her
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BHARAT BHUSHAN ROY

तुम्हें एक दफा देखने का हसरतें
      जाग उठी  थी।
 फिर तुम्हें ढूंढने निकले तो,
 तुम गुमनाम निकली थी।। 
जिन्हें पत्थर भी जानते थे।

©BHARAT BHUSHAN ROY #walkingalone
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BHARAT BHUSHAN ROY

कुछ लम्हें कुछ माझी की बातें वह चेहरा                  आंखों में अब परछाई सा है।                
 फिर भी क्यों लगे रुह को तुम से रूबरू               होने को।
अगर हम मिल भी जाए अनजाने में पहचान ना सके तो।।
 वह बीते लम्हें माझी की बातें बता कर हमें रूबरू करा जाना।

©BHARAT BHUSHAN ROY #togetherforever
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BHARAT BHUSHAN ROY

न तेरी किसी राह का मैं गुनेंहगार हूँ।
                 ना तेरे किसी दुआ में हूँ।।
          ना तेरी किसी फरियाद में हूँ।
लोग हंसकर भी रोकर भी जी लेते हैं,
       यहाँ।। 
क्यों लगता हैं मुझे खुश देख कर भी तेरा - 
                          गुजारा ना हूँआ यहाँ।

©BHARAT BHUSHAN ROY #alone
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BHARAT BHUSHAN ROY

तेरी हर गलियों में हर चौराहों पर ठिकाना हैं, हर मुसाफ़िर ठहरता हैं यहाँ! 
और देखो मेरी गलियों में चाँद,सितारे,सुरज अब भी इजाज़त लेकर ठहरते है। यहाँ!

©BHARAT BHUSHAN ROY #alone
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BHARAT BHUSHAN ROY

तुम्हें अपनी कामयाबी पर गुरूर है। 
               या हुस्न पर गुरूर है।।
मिले कभी फुर्सत तो आना मेरे हुजरे में      जहाँ मेरी पसंद देखकर!
 चाँद भी घूँघट ओढ़ लेता है।।

©BHARAT BHUSHAN ROY #leaf
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