नज़्म
ख़ुदकुशी, मगर क्यों?
ख़ुदकुशी के क़रीब हूँ मैं और
जानता हूँ मैं ख़ुदकुशी की सजा
के ख़िरद में नहीं मिलेगी जगह
फिर तो आसां है ख़ुदकुशी करना #Shayari
Md Akhter Ansari
ग़ज़ल/غزل
नसीब का लिखा ख़ुदा को है पता
ख़ुदा को है पता ख़ुदा को है पता
نصیب کا لکھا خدا کو ہی پتہ
خدا کو ہے پتہ خدا کو ہی پتہ
#Shayari
#urdupoetry#sher#Life#gham
मैं अपने गम़ का जिक्र नहीं करने वाला सखी
ये मेरा गम़ है फिल्म नही जो दिखाऊँ तूम्हें
میں اپنے گم کا زکر نہیں کرنے والا سکھی
یہ میرا گم ہے فلم نہیں جو دکھا دؤں تمہیں
Kunal Rajput (नज़र نظر)