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kamleshvishnusin9187
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Kamlesh Vishnu Singh"Jigyasu"

🌹वसुधैव कुटुंबकम्.. विश्व बंधुत्व जयतेव 🌹

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Kamlesh Vishnu Singh"Jigyasu"

चैत्र नव वर्ष

स्पंदन होता भी बीजों में
अंकुर बन वे उग आते हैं!
उर्वरता धरती से लेकर
वे तरुवर बन जाते हैं!!
उनके शीतल छांव तले
सब जीव जंतु सुख पाते हैं!
अल्हड़ पन की मद मस्ती में
भगुहारे फाग सुनाते हैं!!

नवसृजन की मधुमय मंगल बेला में हम नव वर्ष मनाते हैं

कठिन परिश्रम कर किसान
जब अपनी थकन मिटाते हैं !
आम्रडाल पर बैठी कोयल
कूं कूं स्वर लहराती है !!
महक उठे बौराई बगिया
देख ललच रह जाते हैं !
फूलों की भीनी सुगंध से
स्वसन रंध्र भर जाते हैं !!

नवसृजन की मधुमय मंगल बेला में हम नव वर्ष मनाते हैं

प्रकृति सजाती लता बल्लरी
वन उपवन गिरी आंगन में ! 
खेतों में फसलें लहराती
हरियाली के रागन में !!
फागुन की रंग रंगीली धरती
दुल्हन सी सज जाती है !
स्नेह सुधा छलकाती धूप
नशीली सी अनुरागन में !!

नवसृजन की मधुमय मंगल बेला में हम नव वर्ष मनाते हैं

चैत्र प्रतिपदा शुक्ल पक्ष में
नव संवत्सर लहराए !
बरबस पायल छनक उठे
महुआरी मादकता छाए !!
राग रंग की मस्ती में लो 
दसों दिशाएं गमक उठी !
सृष्टि सृजन ब्रह्मा ने की देखो
सारी वसुधा चमक उठी !!

आह्लादित हो जिज्ञासु जन
विक्रम नववर्ष मनाते हैं !
स्पंदन होता बीजों में 
अंकुर बन वे उग आते हैं !!

नवसृजन की मधुमय मंगल बेला में हम नव वर्ष मनाते हैं 
नवसृजन की मधुमय मंगल बेला में हम नववर्ष मनाते हैं

कमलेश विष्णु सिंह जिज्ञासु
9140896333
9454348606

©Kamlesh Vishnu Singh"Jigyasu" 🙏🙏
#navratri2021

🙏🙏 #navratri2021

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Kamlesh Vishnu Singh"Jigyasu"

अरुणिम सुबह शाम हो लोहित
जीवन का हर क्षण हो मोहित
भारत का कण कण है चंदन
विश्वमाथ पर रहे सुशोभित

बंदनीय है अपना भारत
ज्योतिपुंज है अपना भारत
अंधकार को दूर भगाएं
धर्म सनातन जग में छाए

©Kamlesh Vishnu Singh"Jigyasu" आंगल नव वर्ष सबके लिए सुखद स्वास्थ्यवर्धक एवं शुभ मंगलमय हो।

नव वर्ष की शुभकामना स्वीकार करें सब मेरी!
नव सृजन में लग जाएं हम करें न इसमें देरी!!
कमलेश विष्णु जिज्ञासु

आंगल नव वर्ष सबके लिए सुखद स्वास्थ्यवर्धक एवं शुभ मंगलमय हो। नव वर्ष की शुभकामना स्वीकार करें सब मेरी! नव सृजन में लग जाएं हम करें न इसमें देरी!! कमलेश विष्णु जिज्ञासु

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Kamlesh Vishnu Singh"Jigyasu"

दीपावली
दिल से जलाएं दिए आज इतने
झिल-मिल सितारे गगन में हैं जितने

अंधेरे को अपनी धरा से मिटाएं 
समता समन्वय की सरिता बहाएं

दुखी ना दिखे अब कोई धरा पर
सैलाब खुशीयों का आए यहां पर

शिक्षित हों जग के सारे निवासी
रहें स्वस्थ सुंदर न छाए उदासी

करें कर्म अच्छे न आए बुराई 
मिलके रहे सब हो सबकी भलाई

जवानों किसानों के संग हों विज्ञानी
सभी में समन्वय बिठाएं व्यापारी

नेता हों सच्चे और अच्छे यहां पर
कोई देशद्रोही न पनपने यहां पर

मतों से हम अपने रामराज्य लाएं
भारत को अपने हम अग्रणी बनाएं

दीवाली में प्रज्ञा की ज्योति जलाएं
समता समन्यव की सरिता बहाएं

कमलेश विष्णु सिंह जिज्ञासु
9140896333
9454348606

©Kamlesh Vishnu Singh"Jigyasu" #wishuveryhappyandsafediwali
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Kamlesh Vishnu Singh"Jigyasu"

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Kamlesh Vishnu Singh"Jigyasu"

#sitarmusic
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Kamlesh Vishnu Singh"Jigyasu"

विपदाएं झेली हैं ऐसी, हमने कई - कई बार
पुनः रहेंगे इस वसुधा पर, हम अपना स्वर्णिम इतिहास

©Kamlesh Vishnu Singh"Jigyasu" #बस_कर_कोरोना
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Kamlesh Vishnu Singh"Jigyasu"

मां ज्योति कलश

मां ज्योतिर्मयी ज्योति कलश छलके ज्योति कलश छलके!
मां ज्योतिर्मयी ज्योति कलश छलके  ज्योति कलश छलके!!

अज्ञानी हूं ज्ञान बिना मां चंचल मन  इधर-उधर भटके! 
मां ज्योर्तिमयी ज्योति कलश छलके ज्योति कलश छलके!!

लोभ मोह माया मय मद मत्सर ईर्ष्या द्वेश न अब फटके!
मां ज्योतिर्मयी ज्योति कलश छलके ज्योति कलश छलके!!

दे दो अब वरदान आत्मज्ञान ध्यान  का निर्मल मन दमके!
मां ज्योतिर्मयी ज्योति कलश छलके    ज्योति कलश छलके!!

कमलेश विष्णु जिज्ञासु
9140896333
9454348606

©Kamlesh Vishnu Singh"Jigyasu" ज्योति कलश छलके

ज्योति कलश छलके #poem

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Kamlesh Vishnu Singh"Jigyasu"

कोरोना कहता है सुनलो, करो ना 
कुछ तो काम!
लाॅकडाउन में खाली ना बैठो, सदा जपो हरि नाम!!

करनी पर अपने शरमाओ, देखो  अपना अंजाम!
गाली क्यौं देते हो मुझको, देखो 
मेरा ये काम!!

ध्वनी वायु जल-वायु प्रदुषण कि, 
की है मैंने सफाई!
पर्यावरण प्रदूषण से है,मैंने ही 
मुक्ति दिलाई!!

घटे हुए ओजोन परत की, की है 
मैंने भरपाई!
देखो समझो मैंने की है, कैसे 
प्रर्यावरण भलाई!!

ताकत और दौलत के आगे,मानवता को भूल गए थे!
स्वार्थ लोभ मोह  में पड़, अपनों से 
भी  दूर हुए थे!!

अल्प ज्ञान को विज्ञान समझकर, मर्यादा सब भूल गए थे !
मद में तुम मगरूर थे इतने,ईश्वर 
को भी भूल गए थे!!

जीवन का कोई मूल्य नहीं था तुम 
जैसे ना दानों को!
आपस में लड़ते मरते थे फ़िक्र नहीं 
था हैवानों को!!

जीव जंतु पशु पक्षी वनस्पतियों को न्याय दिलाने आया हूं!
प्रकृतिनियंता का मान करो यह याद दिलाना आया हूं !!

पर्यावरण संतुलन का, मैं सबक सिखाने आया हूं!
करो ना फिर से ऐसी गलती,बस 
यही बताने आया हूं!!

मानवता होता है क्या, मैं तुम्हें 
बताने आया हूं!
दया धर्म भाईचारा संग जीयो यही  सिखाने आया हूं!! 

जनसंख्या पर करो नियंत्रण मत
करना अब मनमानी!
पर्यावरण प्रदूषित होना हरदम 
रखना निगरानी!!

चला जाऊंगा मैं तो पर अनुशासन 
में रहना सीखो! 
जिज्ञासु जन की बात मान मानव 
बनकर जीना सीखो !!

कमलेश विष्णु सिंह जिज्ञासु
9140896333
9454348606 #corona कोरोना की व्यथा कथा✍️✍️🕯️

#corona कोरोना की व्यथा कथा✍️✍️🕯️

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Kamlesh Vishnu Singh"Jigyasu"

पृथ्वी का सिंगार

वृक्ष धरा के आभूषण हैं
जीवन के आधार सखे!
रोपावनी कराकर करना 
पृथ्वी का सिंगार सखे!!

धरती का करते पोषण हैं
अमृत जल बरसा करके!
कोख कीयारी की भर जाती
रिमझिम बूंदें पाकर के!!

देते जल जंगम चेतन का
जीवन का आधार सखे !
रोपावनी कराकर करना 
पृथ्वी का सिंगार सखे।।


कर्म बीज को सदा उगाएं
ज्ञान ध्यान के दाई हैं!
फैल सके ना धरा प्रदूषण
करते सदा सफाई हैं !!

लोभ में पड़ ना काटो इनको
रक्षा का लो भार सखे !
रोपावनी कराकर करना
पृथ्वी का सिंगार सखे !!

जिज्ञासु जन जीवन चाहे 
तो जल संचय करना है !
बिना वृक्ष के जन गण मन में
बस उपहास ही भरना है !!

छरण न होगा धरती का 
जब इनके संग करें प्यार सखे ! 
वृक्ष धरा के आभूषण हैं
जीवन का आधार सखे !!

कमलेश विष्णु जिज्ञासु
9140 8963 33
94 5434 8606।
22 अप्रैल 20 20 #Earth_Day_2020 पृथ्वी दिवस के पावन अवसर पर आप सभी को समर्पित मेरी ये रचना
          22 अप्रैल 2020

#Earth_Day_2020 पृथ्वी दिवस के पावन अवसर पर आप सभी को समर्पित मेरी ये रचना 22 अप्रैल 2020 #कविता

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Kamlesh Vishnu Singh"Jigyasu"

Manav Ho man per Vijay karo

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