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Dakshata Sharma

🖋️💭

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Dakshata Sharma

Someone asked me out of curiosity - What's your superpower?
I replied with a smile - Do the hell with me and I'll forgive you!

©Dakshata Sharma
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Dakshata Sharma

I am nothing
but a MIRROR for you..

©Dakshata Sharma
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Dakshata Sharma

It takes sacred intent of a man and his precise ability to dive deeper to get to know that
'She is not just a drop of bliss'
Rather;
"SHE IS AN OCEAN OF INDUBITABLE LOVE, INSUPERABLE STRENGTH & INTERMINABLE PROSPERITY."

©Dakshata Sharma #womensday
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Dakshata Sharma

जिन भी किन्हीं से मोह था मुझे,
मैं उनसे दूर हो गई

बस यूंही कुछ इस तरह से मैं ख़ुद के क़रीब हो गई।

©Dakshata Sharma #morningcoffee
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Dakshata Sharma

IF YOU 'DESERVE' TO BE THERE
YOU REACH THERE ANYWAY
And if not,
"That's where you encounter the revelation of your true existing personality"

©Dakshata Sharma
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Dakshata Sharma

बीत गया जो उन्हीं ख्यालों में रहकर बेवजह वक़्त अब गुज़ारना नहीं चाहती
हुआ सही क्या गलत हुआ क्या उसी असमंजस को और आगे अब बढ़ाना नहीं चाहती
उलझा जो पड़ा है बहुत कुछ, उलझना ही तय भी था जिनका, उन निर्दिष्ट उलझनों को अब सुलझाना नहीं चाहती

अपने अतीत को अब मैं और संवारना नहीं चाहती

जीवन की इस अनोखी डगर में अंजान गुमराही बन और अब भटकना नहीं चाहती
प्रवंचकों के बीच रहकर अपने एकमात्र अस्तित्व को अनर्थक अब खोना नहीं चाहती
निभ सकते नहीं जो रिश्ते, एक तरफा ही रहकर केवल मुझसे, उन रिश्तों को व्यर्थ अब संजोना नहीं चाहती

अपने अतीत को अब मैं और संवारना नहीं चाहती

गलतियां हुईं जितनी भी मिली उनसे हर सीख को अपने अनुभव में दर्ज करने से अब चूकना नहीं चाहती
समय रहते उठ चुके अनेक अज्ञानी परदों को दोबारा अपनी आंखें ढक लेने अब देना नहीं चाहती
रह जो गए हैं अस्पष्ट, कुछ सवालों के अधूरे जवाब, उन्हें तलाशने में आने वाला कल अब गंवाना नहीं चाहती

अपने अतीत को अब मैं और संवारना नहीं चाहती

©Dakshata Sharma "अपने अतीत को अब मैं और संवारना नहीं चाहती"

"अपने अतीत को अब मैं और संवारना नहीं चाहती"

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Dakshata Sharma

बाहर वृक्षों की कटाई कर, 
मंदिरों में भगवान तलाश रहा है इंसान

धरती पर जल व्यर्थ बहाकर, 
स्वर्ग में अमृत की गुहार लगा रहा है इंसान

यह दृश्य देखकर भगवान स्वयं ही विस्मित हो उठे हैं..

आखिर मेरे द्वारा ही निर्मित प्रकृति को क्यों समझ नहीं पा रहा है इंसान!

©Dakshata Sharma #Nature
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Dakshata Sharma

किसी के रूठने पर उसे मनाया जा सकता है लेकिन किसी के छूटने पर उसे अपनाया नहीं जा सकता

©Dakshata Sharma

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Dakshata Sharma

I am EXPLICIT while I speak,

But...

I am 'ESOTERIC' while I am silent.

©Dakshata Sharma #emptystreets
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Dakshata Sharma

इतनी सरलता से किसी के साथ मन मिला लेना मेरी प्रकृति में नहीं..
 लेकिन,
 किसी से मन मिल जाने के बाद निर्मित किए गए अन्तर को कायम रखना मुझे बख़ूबी आता है।

©Dakshata Sharma

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