कुछ लिखने की चाह रखती हूं.. कुछ पढ़ने की चाह रखती हूं.. वक्त के साथ साथ..मैं भी बदलने की चाह रखती हूं.. ❤️❤️❤️❤️💝💝💖💔💕💕 पढ़ लेती हूं..अल्फाजो के फ़नकारों को इत्मिनान से.. कुछ समझ लेती हूं... दर्द ऐ गम उनका.. कुछ खुशियों में उनके...मैं भी खुश हो जाती हूं कभी लिख लेती हूं ..दरमियान ऐ हालात कभी यूं ही खामोश हो जाती हूं! कुछ-कुछ उतर जाती हूं शब्दों में.. कुछ कुछ खुद में ही रह जाती हूं!
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