Nojoto: Largest Storytelling Platform
deepti6089002579399
  • 180Stories
  • 1.6KFollowers
  • 14.5KLove
    1.3LacViews

deepti

कुछ लिखने की चाह रखती हूं.. कुछ पढ़ने की चाह रखती हूं.. वक्त के साथ साथ..मैं भी बदलने की चाह रखती हूं.. ❤️❤️❤️❤️💝💝💖💔💕💕 पढ़ लेती हूं..अल्फाजो के फ़नकारों को इत्मिनान से.. कुछ समझ लेती हूं... दर्द ऐ गम उनका.. कुछ खुशियों में उनके...मैं भी खुश हो जाती हूं कभी लिख लेती हूं ..दरमियान ऐ हालात कभी यूं ही खामोश हो जाती हूं! कुछ-कुछ उतर जाती हूं शब्दों में.. कुछ कुछ खुद में ही रह जाती हूं!

  • Popular
  • Latest
  • Repost
  • Video
ef7f96a5d09e476f957be1cbdace3f68

deepti

एक रात्रि का जीवन लिये....कीट..
प्रकाश प्रेम में. 
अंतिम सांस तक लड़ते हैं..
प्रकाश से..
प्रकाश पाने के लिए !

ना तो वह प्रकाश को जीत पाते हैं.. 
ना ही साथ जी... 

भूल जाते हैं..
आरंभ रात्रि है..
जीवन भी रात्रि..
और प्रारब्ध भी...रात्रि!
..................
..….......................

सार...उदाहरण ..
एक..
जीवन के अंत तक प्रयास करना !
दूसरा..
लालसा में...प्राप्त...खो देना !
तीसरा..
प्रेम मे..स्वयं का...विलयन!

©deepti #Truth_of_Life
ef7f96a5d09e476f957be1cbdace3f68

deepti

ए मंजिल..
छोड़ दे तू इतराना !
अभी मेरी...
तुझ से मुलाकात है बाकी 
मालूम है अंधेरा है..
और पूरी रात है बाकी
पर..डर कर...
कदम रुक जाए ?
......बिल्कुल नहीं.....
अभी दिल में जिंदा है उम्मीद..
और जिंदा हूं मैं
ना डगमग है हौसला मेरा..
ताकत है बाकी
सब्र कर..ए मंजिल...
तुझ से अभी...
मुलाकात है बाकी !
मशक्कत जारी है..
उस हद तक..
जब तक मेरी...
मौत है बाकी !

©deepti #Thoughts

Thoughts #Motivational

136 Love

ef7f96a5d09e476f957be1cbdace3f68

deepti

कुछ बादल.. 
कुछ बरसात से हो तुम !
सर्दी में बिखरती हुई.. 
धूप का स्पर्श लिए.. 
सौगात से हो तुम !
अंधेरी रात में छटकती..
चांदनी के श्रृंगार मे हो तुम !
मधुबन में मुस्कुराती..
कुसुम बहार से हो तुम !
अधरों पर  मौन..
नैनों की नमी मे हो तुम!
मैं रूठूँ तुम मनाओ
प्रतीक्षा में हो तुम!
मेरी कविता मे अंकित..
हर अक्षर मे हो तुम !
मेरी प्रीत बहाव...
प्रेम आधार हो तुम !
शब्द संकुचित...
विस्तार हो तुम!

©deepti #प्रेम 
कुछ बादल.. 
कुछ बरसात से हो तुम !
सर्दी में बिखरती हुई.. 
धूप का स्पर्श लिए.. 
सौगात से हो तुम !
अंधेरी रात में छटकती..
चांदनी के श्रृंगार मे हो तुम !

#प्रेम कुछ बादल.. कुछ बरसात से हो तुम ! सर्दी में बिखरती हुई.. धूप का स्पर्श लिए.. सौगात से हो तुम ! अंधेरी रात में छटकती.. चांदनी के श्रृंगार मे हो तुम ! #Poetry

143 Love

ef7f96a5d09e476f957be1cbdace3f68

deepti

#For❤U #with_u #fOR€v€R _u
#my❤️love #Kaju😍

For❤U #with_u fOR€v€R _u my❤️love Kaju😍

14,203 Views

ef7f96a5d09e476f957be1cbdace3f68

deepti

मैं तलाशता रहा सुकून बाहर.. 
भीतर मेरे शोर था !
सूखी पड़ी थी जमीन ..
देखा ऊपर तो आसमान घनघोर था !

सशक्त था मनोबल..
पर आंखों में..
आंसुओं का जोर था !
टूटा नहीं मैं पर तोड़ा जाऊ... 
बईमान ताकतों का जोर था !

सबल हूं....अटल हूं..
अपनी राहों में चलता रहूंगा !
जमाना चाहे दे कितनी भी ठोकरे..
मैं आगे बढ़ता रहूंगा !

©deepti #Be positive #Be_fearless  #Be_confident
ef7f96a5d09e476f957be1cbdace3f68

deepti

#AkelaMann .....written by  Vivek.......

#AkelaMann .....written by Vivek....... #Poetry

6,675 Views

ef7f96a5d09e476f957be1cbdace3f68

deepti

#बस यूं ही

#बस यूं ही

6,443 Views

ef7f96a5d09e476f957be1cbdace3f68

deepti

परिपक्वता की सीढ़ी चढ़ तो जाऊं मैं...
पर यह तो बताओ 
दिल में बैठे इस नन्हें बच्चे को 
कहां छुपाऊं मैं...

बारिश की बूंदों के गिरते ही.. 
जो बिना रुके नंगे पैर दौड़ लगाता है 
उछलता..कूदता..बूंदों से बतियाता है !

समेटकर अंजुमन में बूंदों को.. 
फिर फूंक से उन्हें उड़ाता है..
आकर भीगो इन बूंदों में तुम भी..
सबको आवाज लगाता है !

परिपक्वता की सीढ़ी चढ़ तो जाऊं मैं..
पर यह तो बताओ दिल में बैठे 
इस बच्चे को कहां छुपाऊं मैं..

दुनियादारी की फिक्र को...
ज़हन के किसी कोने में दबा 
फिर से अबोध बन जाऊं मैं...

रंग बिरंगे फूलों पर बैठी...
सुंदर सी तितलियों के पीछे 
दौड़ लगाऊं मैं...
भूल जाऊ उम्र की सारी बेड़िया
फिर से नन्ही बच्ची हो जाऊं मैं...

©deepti #बचपन...
जब बच्चे थे तो सोचते थे..बड़े कब होंगे..
अब बड़े हो गए हैं..तो सोचते हैं..हम बच्चे ही अच्छे थे................................
🙆💁
...........................................

परिपक्वता की सीढ़ी चढ़ तो जाऊं मैं...
पर यह तो बताओ

#बचपन... जब बच्चे थे तो सोचते थे..बड़े कब होंगे.. अब बड़े हो गए हैं..तो सोचते हैं..हम बच्चे ही अच्छे थे................................ 🙆💁 ........................................... परिपक्वता की सीढ़ी चढ़ तो जाऊं मैं... पर यह तो बताओ

111 Love

ef7f96a5d09e476f957be1cbdace3f68

deepti

#Kalam_The_Pen✍️ ..by 

#DearDost  Sandip rohilla

Kalam_The_Pen✍️ ..by #DearDost Sandip rohilla

5,857 Views

ef7f96a5d09e476f957be1cbdace3f68

deepti

छोटी-छोटी खुशियों में भी खुश हो लेती हूं,
मैं औरत हूं तकलीफ भी मुस्कुराकर काट लेती हूं !

माथे की शिकन को बिंदिया से ढाँप लेती हूं, 
काजल के पीछे छिपा आंखों की बरसात लेती हूं !

सुन लेती हूं सब की शिकायतें पर चुप रहती हूं,
अपनी शिकायतें बेलती हुई रोटियों से बांट लेती हूं !

सवाल हजारों उठते है जब कश्मकश में रहती हूं,
रसोई मे रखे बर्तनों से कर सवालात लेती हूं !

कोई समझे ना समझे मुझे मैं खुद को समझ लेती हूं,
अपने घर के हर एक समान से कर बात लेती हूं !

अस्तित्व एक है मेरा मैं हिस्सो मे नही बावजूद इसके,
सबकी जरूरत के अनुसार खुद को बांट लेती हूं !

मैं औरत हूं हालत के अनुसार स्वयं को ढाल लेती हूं,
मैं औरत हूं तकलीफ मे भी मुस्कुरा लेती हूं !

©deepti #woman 
छोटी-छोटी खुशियों में भी खुश हो लेती हूं,
मैं औरत हूं तकलीफ भी मुस्कुराकर काट लेती हूं !

माथे की शिकन को बिंदिया से ढाँप लेती हूं, 
काजल के पीछे छिपा आंखों की बरसात लेती हूं !

सुन लेती हूं सब की शिकायतें पर चुप रहती हूं,

#Woman छोटी-छोटी खुशियों में भी खुश हो लेती हूं, मैं औरत हूं तकलीफ भी मुस्कुराकर काट लेती हूं ! माथे की शिकन को बिंदिया से ढाँप लेती हूं, काजल के पीछे छिपा आंखों की बरसात लेती हूं ! सुन लेती हूं सब की शिकायतें पर चुप रहती हूं,

117 Love

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile