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premsinghraghav6583
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Prem Singh Raghav

कुछ ना.. कहो .......कुछ भी ना. कहो...

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Prem Singh Raghav

प्रार्थना ऐसे करिए जैसे सब कुछ ईश्वर पर निर्भर करता है,
प्रयास ऐसे करिए जैसे सब कुछ आप पर निर्भर करता है ..!!

©Prem Singh Raghav
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Prem Singh Raghav

याद रखें,
 आसान रास्ते अक्सर मुश्किल बन
जाते हैं 
और मुश्किल रास्ते, 
अक्सर आसान बन जाते हैं

©Prem Singh Raghav #dost
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Prem Singh Raghav

बुरे" वक़्त में कंधे पर रखा गया "हाथ" "कामयाबी" पर "तालियों" से ज्यादा "मूल्यवान" होता है

धन तो वापस कर सकते हैं...किन्तु.."बुरे वक्त में मिले हुए सहानुभूति भरे शब्द" वह कर्ज हैं.. जिन्हें चुकाना इंसान के वश में नहीं है।

©Prem Singh Raghav
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Prem Singh Raghav

रात के सन्नाटे में घंटों बातें होती रहीऺ
वो चुपचाप से कहता रहा, मैं खामोशी से सुनता रहा
अजीब रिश्ता है मेरा और एहसास का

©Prem Singh Raghav
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Prem Singh Raghav

जब कोई भी माँ छिलके उतार कर
चने, मूँगफली या मटर के दाने
नन्हीं हथेलियों पर रख देती है

तब मेरे हाथ अपनी जगह पर
थरथराने लगते हैं

माँ ने हर चीज के छिलके उतारे मेरे लिए
देह, आत्मा, आग और पानी तक के छिलके उतारे
और मुझे कभी भूखा नहीं सोने दिया

मैंने धरती पर कविता लिखी है
चंद्रमा को गिटार में बदला है
समुद्र को शेर की तरह आकाश के पिंजरे में खड़ा कर दिया
सूरज पर कभी भी कविता लिख दूँगा
माँ पर नहीं लिख सकता कविता
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Prem Singh Raghav

जब कोई भी माँ छिलके उतार कर
चने, मूँगफली या मटर के दाने
नन्हीं हथेलियों पर रख देती है
तब मेरे हाथ अपनी जगह पर
थरथराने लगते हैं

माँ ने हर चीज के छिलके उतारे मेरे लिए
देह, आत्मा, आग और पानी तक के छिलके उतारे
और मुझे कभी भूखा नहीं सोने दिया
मैंने धरती पर कविता लिखी है
चंद्रमा को गिटार में बदला है
समुद्र को शेर की तरह आकाश के पिंजरे में खड़ा कर दिया
सूरज पर कभी भी कविता लिख दूँगा
माँ पर नहीं लिख सकता कविता
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Prem Singh Raghav

रघुकुल रीत सदा चल आई, प्राण जाई पर वचन न जाई
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Prem Singh Raghav

सम्बंधों की गहराई का हुनर पेड़ों से सीखिए जनाब,







जड़ों में जख्म लगते ही शाखें सूख जाती हैं
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Prem Singh Raghav

 जीवन का सार

जीवन का सार #शायरी #nojotophoto

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Prem Singh Raghav

कुछ तारीखें बीतती नहीं,

तमाम साल गुजरने के बाद...
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