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vikramkumaranuja5054
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Vikram Kumar Anujaya

Passionate of writing Poetry, story and contemporary content

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Vikram Kumar Anujaya

White "इस लेन-देन और ताल्लुकातों के सब्ज बाजार में,
अपनें जज्बातो का माखौल उड़ा रहा हूँ,
हाँ, मुझपर इल्जाम है कि मैं इंसा हूँ, 
और इंसानियत का माहौल बना रहा हूँ।"

©Vikram Kumar Anujaya #Moon

13 Love

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Vikram Kumar Anujaya

"जो लोग कहते हैं, "हमें किसी की जरूरत नहीं"।
 दरअसल वे चाहते हैं, 
सबसे अधिक जरूरी उसे समझे कोई।"

©Vikram Kumar Anujaya #mountainsnearme
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Vikram Kumar Anujaya

"नववर्ष की उषा की पहली किरण,
चेतना आपमें नई भर दे,
मंगलमय हो जीवन-पथ का हर कदम,
हवा का कण-कण उत्साह नया भरदे,
ओतप्रोत जीवन हो खुशहाली से,
यह साल नवऊर्जा, नवप्रेरणा का,
मधुमास नया आपमें भर दे।"

नव् वर्ष 2024 की अनंत शुभकामनाएँ।

©Vikram Kumar Anujaya #sunrisesunset
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Vikram Kumar Anujaya

इस गहरी सर्द रात में,
जब मेरे कमरे की खिड़कियों के बाहर,
सभी पेड़-पौधें व वन्यजीव विश्राम कर रहे हैं,
और पत्तों नें गुनगुना बंद कर दिया है।

सारे वृक्ष अंधेरों की चादर ओढे सो रहे हैं,
सिवाय मेरे कमरे की दीवार से लगी घड़ी के सेकेंड की सूई के,
जो इस घनेरी अंधेरी रात में में टिक-टिक कर रही है,
और मैं नींद में भी खुद को जगा हुआ हूँ मेहसूस कर रहा हूँ।

मेरी बंद आँखें स्पष्टतः देख रही है,
तुम्हारे माधुर्य मुख पर खेलते रसिक भाव को
जो संभवतः किसी ख्वाब की वजह से बदल रहे हैं।

तुम बीच में मंद-मंद मुस्कुरा रही हो,
और नींद में तुम्हारा सकुचाता-लजाता चेहरा,
बिल्कुल वैसा ही लग रहा है,
जब एकबार मेरे थिरकते ओठ,
तुम्हारे सुर्ख अधरो पर मँडराये थे,
और तुम अँगड़ाइयाँ लेती हुई
अपनी गहरी-गहरी साँसों से,
मेरे अतुर अधरों को दहका रही थी।

संभवतः तुम्हारे ख्वाब में भी वही चल रहा है,
जो मैं यहाँ, तुमसे मिलों दूर मेहसूस कर रहा हूँ अपने ख्वाब में।

©Vikram Kumar Anujaya #Chhuan

13 Love

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Vikram Kumar Anujaya

"नदियाँ कलकल गाती है, 
नाचती है,
और बलखाती हुई बहती है,
क्योंकि नदियाँ प्रेम करती है धरा से,
उसे सींचती है,
शुचिता से, प्रणय-सुधा से।

दूसरी ओर समंदर लबालब भरा है,
बावजूद इसके उफनता है, उमड़ता है, 
दग्ध और अधीर रहता है,
क्योंकि समंदर किसी से प्रेम नही करता।
इसलिए नदियाँ धन्य है,
और समंदर-
अशांत और बेचैन।"

©Vikram Kumar Anujaya #me

17 Love

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Vikram Kumar Anujaya

"जिन्हें तुम्हारी मौजूदगी पसंद नहीं,
उन्हें कैद मत करो, 
सभी तरह के कैद घुटन पैदा करते हैं,
इसलिए यदि तुम सचमुच प्रेम करते हो,
और वाकई तुम्हें उसकी परवाह है, 
तो मुक्त कर दो।
क्योंकि दी गई आजादी सर्वोत्तम बलिदान है,
और बलिदान प्रेम की उच्चतम अभिव्यक्ति ।"

©Vikram Kumar Anujaya #ManKeUjaale
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Vikram Kumar Anujaya

"प्रेम की सबसे बड़ी सीख करुणा, त्याग, सेवा, और समर्पण है। ये ऐसे मूल्य हैं, जो मनुष्य को प्रकृति से जोड़ते हैं। संसार के सभी महापुरुष अनन्य प्रेमी रहे हैं।"

©Vikram Kumar Anujaya #tereliye

13 Love

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Vikram Kumar Anujaya

प्रेम अपना मार्ग बना ही लेता है। इसके प्रवाह को कोई भी बाँध रोक नहीं सकता।

©Vikram Kumar Anujaya #ManKeUjaale
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Vikram Kumar Anujaya

किसी को प्रेम देना,
 उसकी आत्मा को सीचना है,
उसके तन-मन को उर्जित करना है,
आत्मा को पूर्णता और तृप्ती देना है,
उसके जीवन को जश्न से भर देना है।

©Vikram Kumar Anujaya #KhaamoshAwaaz
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Vikram Kumar Anujaya

जैसे मेघों के रूठ जाने से,
होने लगता है पक्षियों का निर्वसन,
कुम्हलाने लगते हैं पेड़ और लताओं के पत्ते,
और धीरे-धीरे धरती बदलने लगती है, 
मरूस्थल और विरान में,

वैसे ही हृदय को सिचते प्रेम की बौछार के रूक जाने से,
कुम्हलाने लगता है आदमी,
और छीन जाती है उसके चेहरे की कांति,
इस तरह प्रेम की भूखमरी,
धीरे-धीरे आदमी के हृदय को,
बदल देता है भीतर ही भीतर रेगिस्तान में।

धरती और हृदय दोनों का रेगिस्तान में बदलना ही
अकाल पैदा करता है,
यही अकाल प्रकृति का सौंदर्य लूट लेता है
और आदमी के अंतः में हाहाकार मचाता है।

©Vikram Kumar Anujaya #UskeSaath
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