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sumitbari4227
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Sumit Bari

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Sumit Bari

शक से पत्ता टूटा बेहाल हो गया
खत्म जिंदगी का एक ओर साल हो गया

मुबारके आ रही है दुश्मनों की भी
इस साल तो कमाल हो गया

बिछड़ कर भी खुश कैसे रहता हु
उससे इस बात से भी मलाल हो गया

तारीफ में तेरी बस हम यही कहेंगे ppy
तू जबसे मिला है मुझे,में मालामाल हो गया.

सुमित बरी(21/11/2019)
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Sumit Bari

आंखे आसमान को क्या छूने लगी है
तब से ये दुनिया मुझसे लड़ने लगी है

ये नया आलम,ये नय तौर तरीके है जिमेवार
पंख भी नही निकले और चिड़िया उड़ने लगी है.

सुमित बरी,15/11/2019
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Sumit Bari

वो जो है महताब है मेरा
आँखों मे समाया खुवाब है मेरा

लोग पूछते है वजह खुश रहने की
कैसे बताऊ तु जवाब है मेरा.

सुमित बरी.
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Sumit Bari

आँखे इतनी पथराई क्यों है
इश्क़ नही है तो वो शरमाई क्यों है

है वो खुवाब अगर तो टूट जाना था
वो अब तक मेरे तसब्बुर में समाई क्यों है.

सुमित बरी. Ritika Suryavanshi Dreamy Shahjahan(Youtuber)  Vaishali Chauhan Lakshmi singh 😍😘 ख्वाहिश 😘😍

Ritika Suryavanshi Dreamy Shahjahan(Youtuber) Vaishali Chauhan Lakshmi singh 😍😘 ख्वाहिश 😘😍 #कला

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Sumit Bari

फैसले की घड़ी थी जो टल गई
बरसो पुरानी दाल थी गल गई

बरसो लड़ाते रहे,हमे मजब के नाम पे
ये नफरत की आग भी आज जल गई

सुना कर फैसला महफूज़ ऐसे रखा वतन को
ना टोपी गिरी मुसलमान की ओर हिन्दू की पगड़ी भी सम्भल गई.
         सुमित बरी,,09/11/2019
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Sumit Bari

खुशिया मेरी सब खुदखुशी करने लगी


घर का रुख जब मुफ़्लशी करने लगी..


सुमित बरी
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Sumit Bari

मुझे याद...मुझे वो लम्हा आज भी याद ,जब तुम ने पहली बार मुझे एक पल के लिए देख था, हा हा वो ही शाम के कुछ 5 बजे थे,तुम बाहर आई देखा मुस्काया ओर अंदर चली गई,,तुम्हरे लिए कितना आसान था मुझे देखना,,जब भी बाहर आती मुझे ही पाती,पर वक़्त का सितम तो देखो,मुझे आठ आठ पहर खड़ा रखा कर एक झलक बड़ी मुश्किल मिल पाती, पर उस एक झलक में मानो जैसे सब कुछ मिल गया,,जैसे में भुखार से तप रहा था अचानक दावा मिली और सुकून मिल गया, कितना बेचैन रहता था तुम्हरी वो झलक के लिए,चढ़ते सूरज के साथ सफर शाम को ही खत्म होता था,,कभी  तो ऐसा हुआ में अकेला बैठा ही था कि तुम मेरे पास आई अपने पल्लू से मेरा माथे का पसीना पोछा ओर चली गई,,होश ना था कुछ भी तुम थी या वो हवा,,चलो जो भी था पर अहसास तुम्हरा ही था,,कितनी बे फ़िक्री थी हमारे प्रेम में,, तुम्हरे ओर मेरे बीच एक विस्वास की डोर कब मजबूत हो गईं पता ही नही चला,ओर हा,, ढलती उम्र से परेसान ना होना,ये तो प्रकृति है तुम्हरा सौंदर्य तो तुम्हरे भीतर छुपा है,,जो कभी नही ढलेगा, मुझे उस चित से प्रेम है,,सुमित Bina Babi Madhavi Choudhary Sahiba Sridhar Savita Veer Haimi Kumari

Bina Babi Madhavi Choudhary Sahiba Sridhar Savita Veer Haimi Kumari #शायरी

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Sumit Bari

#OpenPoetry मुझे बच्चपन में लड़कियों की तरहा संवारती थी
मेरी बहन हर रोज मेरी नजर उतरती थी

माँ, बाबा तो चले जाते थे मजदूरी पर
माँ की तरहा दिन भर प्यार लुटाती थी

गलती से उसकी गुड़िया को छू लेना मेरा
वो पूरे घर को सर पर उठा लेती थी

शादी के बाद परायो सा लगता है,घर उसको
जो खुद को बच्चपन में घर का वारिश बताती थी.

.सुमित बरी.13/08/2019
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Sumit Bari

दिल से दुखो के आसार नही जाते
अब हम तन्हा बाजार नही जाते

सहते रहेंगे सितम मोह्हबत के युही
जबतक अपने ही दिल से हार नही जाते

प्यार,वफ़ा,झूठ,फरेब,कुछ तो दिया होता
यू उठ के तेरे दर से हम लाचार नही जाते..
         
           सुमित बरी/31/07/2019
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Sumit Bari

Natural Morning उसकी आंखो में इबादद झलकती है
चेहरे में उसके खुदा की सूरत उतरती है

उससे मिल कर ऐसे तरबतर हो जाता हूं
की जैसे बारिश की बूंदे किसी शजर पर उतरती है

उससे मिल कर जाता हूं फिर भी तड़पता हु
ये कैसी आग है जो मिलने के बाद ओर सुलगती है

                 सुमित बरी-25/07/2019 Bina Babi Madhavi Choudhary Sahiba Sridhar Savita Veer Haimi Kumari

Bina Babi Madhavi Choudhary Sahiba Sridhar Savita Veer Haimi Kumari #शायरी

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