मोहब्बत और मानसिकता
आज कल हर कोई कहता है हमको उससे मोहब्बत है उसको हमसे मोहब्बत है। चंद मुलाकात और प्यारी प्यारी बातों से अगर आप एक दूसरे को आकर्षित करते हो और अगर उसको मोहब्बत समझ रहे हो तो एक बार अपने दिल से जरूर पूछना कि सच में क्या ये मोहब्बत ही है??
मोहब्बत का सही मतलब?
ज्यादा कुछ नहीं बस एक बार अपनी माता को याद करो मोहब्बत क्या होती है खुद समझ जाओगे।।
एक लड़का जिसको एक लड़की से बेइंतहां मोहब्बत थी ऐसा वो कहता था,उनके परिवार को भी लगा लड़की अच्छी है पढ़ी लिखी है संस्कारी है और उन्होंने उस लड़की को स्वीकार कर विवाह के लिए राज़ी हो गए।अब होना क्या था सब सही चल रहा था पर अचानक एक हादसे में उस लड़की पर एसिड अटैक हुआ आज कल लडकिया ही शिकार हो रही ऐसे हादसों का । अब होना क्या था वो लड़का जो कल तक दावा कर रहा था सच्ची मोहब्बत का आज उसी ने विवाह से इंकार कर दिया क्योंकि वो एक ऐसी लड़की के साथ नहीं रह सकता था जिसका चेहरा पूरी तरह बिगड़ गया हो।। वाह !!क्या खूब सच्ची मोहब्बत थी। सच तो ये है लोग चेहरे की खबसूरती को पसंद करते हैं इंसान के दिल को नहीं।
अरे! कैसी मोहब्बत जो बुरे वक़्त में साथ देना तो दूर उस इंसान से ही दूर भागने लगे। इसको आप मोहब्बत कहेंगे कि जब तक इंसान सही सलामत है आपको उनसे प्यार है और अगर कुछ भी अगर गलत होता है तो मोहब्बत ख़त्म वाह!! मोहब्बत से पहले तो हम उस इंसान की कमियों को तो नहीं देखते फिर क्यू बाद में उन कमियों को निकालकर ताना देते हैं?? जैसे एक मां अपने बच्चों से मोहब्बत करती है चाहे उसका बच्चा कैसे भी हो चाहे उसमें कोई भी कमी क्यू ना हो वो तो अपने बच्चे को अपने से दूर नहीं करती।फिर क्यू लोग अपनी पसंद को मोहब्बत का नाम देते हैं और मोहब्बत जैसे शब्द को बदनाम करते हैं।