Nojoto: Largest Storytelling Platform
habibkinkhabwala4485
  • 11Stories
  • 6Followers
  • 0Love
    0Views

Habib Kinkhabwala

सूरत गुजरात से ताल्लुक़ रखने वाले हबीब किंख़ाबवाला का जन्म ४/१०/९६ को सूरत में हुआ था। वाणिज्य से स्नातक हबीब ने सूरत से ही वाणिज्य प्रशासन में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। रचनात्मक सोच के धनी हबीब पेशे से शिक्षक ज़रूर हैं मगर इनके अंदर का फ़नकार अक्सर इनसे जुदा नज़र आता है। हबीब किंखाबवाला एक उम्दा शायर भी हैं। बचपन से पढ़ने-लिखने के शौक़ ने हबीब को एक बेहतरीन लेखक बनाने में अहम भूमिका निभायी है। इनकी इससे पहले भी एक किताब "A letter to terrorist" प्रकाशित हो चुकी है। हबीब किंखाबवाला आँखविहीन लोगों के लिए काम कर रही संस्था 'प्रोग्रेसिव फेडरेशन फॉर ब्लाइंड्स' एवं उर्दू-हिंदी साहित्य के संदर्भ में काम कर रही संस्था 'जौनीयत फाउंडेशन' के सक्रिय सदस्य भी हैं। हबीब किंख़ाबवाला से आप निचे दिए गए सपंर्क सूत्रों पर संपर्क कर सकते हैं। फेसबुक : Habib Kinkhabwala इंस्टाग्राम : @habib_410 ट्विटर : मोबाईल : +91 72849 08628 ई-मेल : hkinkhabwala@gmail.com

www.habibkinkhabwala.com

  • Popular
  • Latest
  • Video
f38305fa4aa5e213f0159ff0fd72c639

Habib Kinkhabwala

दर्द भरे बाज़ारो में मुस्कान कहाँ से लाए 
पूछ रहे सब हमसे ये सामान कहाँ से लाए

भूक नहीं थी काफी जो अब प्यास सताने आई 
लोग ख़सारे में और एक दुकान कहाँ से लाए 

चौंक गया माली जब तेरे बाद गया बागों में 
मुरझाए थे फूल सभी तुम जान कहाँ से लाए 

दोस्त तेरा तीर गया सीने से पार हमारे 
दुश्मन बोल रहा है हम पैकान कहाँ से लाए

©Habib Kinkhabwala #Death
f38305fa4aa5e213f0159ff0fd72c639

Habib Kinkhabwala

ये मेरा ना होना मेरे होने से बहतर है क्या 
यानी मुझ पे रोना मेरे रोने से बहतर है क्या

©Habib Kinkhabwala #Death
f38305fa4aa5e213f0159ff0fd72c639

Habib Kinkhabwala

ज़माना लगा है मिटाने में मुझको 
नहीं दाल अब तू फ़साने में मुझको 

फ़रिश्ते नमाज़े कज़ा कर रहे थे 
खुदा ले रहा था निशाने में मुझको 

मुहब्बत की पहली सतह पे था फिर भी  
कमी ना रखी आज़माने में मुझको 

ये सोच के पतंगा खुशी से मरा है 
जला है दिया भी जलाने में मुझको 

कयामत है अब तो मकाँ जो ये कह दे 
लगी है दिवारें गिराने में मुझको

©Habib Kinkhabwala #Death
f38305fa4aa5e213f0159ff0fd72c639

Habib Kinkhabwala

मुझमें है जो बसी हर कमी माज़रत
ख़ुदकुशी शुक्रिया जिंदगी माज़रत

जिंदगी भी अजब रंग से है भरी 
सोचती शुक्रिया बोलती माज़रत 

घर की दीवार पे लिख दिया खून से 
आखिरी शुक्रिया आखिरी माज़रत

©Habib Kinkhabwala #Death
f38305fa4aa5e213f0159ff0fd72c639

Habib Kinkhabwala

दे हमें तीर तो फिर कमाँ छीन ले
शाह दे लफ्ज़ तो फिर ज़बाँ छीन ले

थक गई रूह भी एक हीं जिस्म में 
अब नया दे मकाँ ये मकाँ छीन ले

ना मुहब्बत बची ना बची है वफ़ा 
इन खिलौनो की अब चाबियाँ छीन ले

आग आराम ना दे ज़मीं पे कहीं 
और ये आसमाँ भी धुआँ छीन ले

है क़मर सिर पे अब लौट चल घर "हबीब"
इससे पहले लहर सीपियाँ छीन ले

©Habib Kinkhabwala #Death
f38305fa4aa5e213f0159ff0fd72c639

Habib Kinkhabwala

प्रिय शम्मा, 

उम्मीद है तुम जिस हाल में हो उसी हाल से मैं गुज़रु हमारे गम में किसी तरह का इम्तियाज़ ना हो| अभी हाली मेरी मुलाक़ात मेरे कुछ अज़ीज़ से हुई| उन्होंने वैसे तो कई बेमतलब के सवाल किये मेरी नज़्मों पे लेकिन एक सवाल जो मुझे बेहद खूबसूरत लगा वो ये था की हम शायर अपनी नज़्मों में झूठ क्यूँ लिखते है क्यूँ वो बाते लिखते है जिनका होना मुमकिन ही नहीं| मैंने उन्हें तो खैर कोई जवाब ना दिया मगर सोचा तुम्हे इससे महरूम ना रखूँ| 

हाँ ये सच है हमने जो भी लिखा जब भी लिखा जैसे भी लिखा सब झूठ था और आगे भी लिखेंगे ताकि हम वो एक हक़ीक़त को सँवार सके जिसे दुनिया मिटाने में लगी हुई है| जैसे सूरज चाँद को सामने लाने के लिए रात ईजाद करती है उसे अपनी रौशनी देती है ताकि लोग चाँद की खूबसूरती को निहार सके वैसे ही वो सूरज हम शायर है ये रौशनी वो नज़्मे है और चाँद तुम हो| 

तुम्हे पता है मैं ये अक्सर सोचता हूँ के अगर मुझे कभी सही और गलत के दरमियाँ फैसला करना पढ़ा तो मैं कैसे करूँगा लेकिन फिर मैं हँस देता हूँ और तुम्हारी ओर देखता हूँ मेरे लिए तो जिस तरफ तुम खड़ी हो वो सही है और जिस तरफ नहीं वो बात गलत है| 

खैर मैं दुआ करता हूँ की ये बारिश जल्द ख़त्म हो जाए और तुम्हारी लौ फिर से मुझे अपना रास्ता दिखाए 

तुम्हारा, 
परवाना

©Habib Kinkhabwala #Death
f38305fa4aa5e213f0159ff0fd72c639

Habib Kinkhabwala

सर-ए-गर्मी-ए बाजार कोई नहीं
बेचते सब ख़रीदार कोई नहीं

आदतन बैठते हैं तिरी राह में
अब पतंगों में बेदार कोई नहीं

इश्क़ में वस्ल है हिज्र है और फरेब 
वो ही किस्से मज़ेदार कोई नहीं

उन फसानों से करता रहा हूँ गुरेज़
जिन फ़सानों में हक़दार कोई नहीं

©Habib Kinkhabwala #Death
f38305fa4aa5e213f0159ff0fd72c639

Habib Kinkhabwala

ख़ामुशी, बेहिसी, बेबसी लाश में
आप हम सब पड़े हैं किसी लाश में

इस क़दर हैं गुज़ारी शबें हिज्र की
मौत ख़ुद ढूँढती ज़िन्दगी लाश में

रंग भरते हैं बच्चे सड़ी भीत पर
तितलियाँ घोलती ज़िन्दगी लाश में

कुछ मरी, मछलियाँ फिर उछलने लगीं
देखते लोग जादूगरी लाश में

©Habib Kinkhabwala #Death
f38305fa4aa5e213f0159ff0fd72c639

Habib Kinkhabwala

तुम आओ तो आना ऐसे 
जैसे दरीचों से हवा आती हैं
जैसे फ़क़ीरों से सदा आती हैं 
जैसे सर्द मौसमों में घटा आती हैं
जैसे सब के लबों पे दुआ आती हैं

तुम देखो तो देखना ऐसे 
जैसे मोतियों को सीपियाँ कट कर देखते हैं 
जैसे पेडों को पत्ते पलट कर देखते हैं
जैसे फलक में सितारें चाँद को बँट कर देखते हैं 
जैसे बच्चे दुनिया को उलट कर देखते हैं

मगर तुम जाओ तो जाना वैसे
जैसे कासिद पैगाम को छोड़ के जाते हैं 
जैसे मुलाज़िम काम को छोड़ के जाते हैं
जैसे आदम दारुसस्लाम को छोड़ के जाते हैं 
जैसे क़ातिल इंतिक़ाम को छोड़ के जाते हैं

©Habib Kinkhabwala #Death
f38305fa4aa5e213f0159ff0fd72c639

Habib Kinkhabwala

हर गली हर डगर हर गुज़र के लिए 
हम सफर ऐब है कम सफर के लिए 

बज़्म में मौत को मो‘तबर कर रहें 
आपकी बे–नियाज़ी नज़र के लिए

©Habib Kinkhabwala #Death
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile