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Deshraj Gurjar

देशराज गुर्जर

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Deshraj Gurjar

ढलते हुए सूरज
की पलकों पर 
नरम हाथ फेरकर कौन सुलाता है?
उसे ये कहकर सो जाओ 
उठना है सुबह जल्दी तुम्हें 

नहीं सुन पाते हम साँझ को
पंछियों की चहचाहट 
ताकि लगा सकें पता कि 
सब अपने अपने घौंसलों 
में लौटे हैं कि नहीं अब तक

चाँद से कोई नहीं पूछता 
युगों से किसकी खोज
में घूमता रहता है 
आवारा लड़कों की तरह रातभर

अपने अलावा नहीं देख पाते 
हम किसी का अकेलापन,
न जता पाते हैं किसी से अपनापन,
अपने दर्द से बढ़कर नहीं समझते 
किसी और के दर्द को 

शाम को ऑफिस से लौटते वक्त 
ले आते हैं खाली टिफिन 
में भरकर बस अगली सुबह की 
व्यथायों और कुंठाओं को
अपने-अपने बैग में

©Deshraj Gurjar
  #CrescentMoon
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Deshraj Gurjar

न जाने कितने सूरज की आग में तपे हैं 
कितने समुद्र की गहराई सा धैर्य धरे हैं 

मेरे सपनों से पिता के कितने सपने ढहे हैं
सबका दुःख धारण कर पिता पिता बने हैं

कितनी सर्द रातें खेतों में सोए हैं 
कितने खलिहान पीठ पर ढोए हैं 
चटटानो से लड़कर भी ना टूटे हैं 
कितने बीज धरा चीर कर बोए हैं

सब कंगूरे बने लेकिन वो खुद नींव बने हैं
सबका दुःख धारण कर पिता पिता बने हैं

न रुकते हैं,न थकते हैं,न हार मानते
सींच-सींच पसीने से सारा घर पालते
खुद का कुर्ता, जूती लाना भूल जाते
जब बच्चे खिलौना और किताब मांगते

कितने आँसू आंखों में रह सैलाब बने हैं
सबका दुःख धारण कर पिता पिता बने हैं

©Deshraj Gurjar
  #FathersDay
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Deshraj Gurjar

पानी पीते हुए सोचता हूँ
कैसे रहता है इतना ठंडा पानी
इस मटके में और 
आखिर कैसे बना ये मिट्टी से मटका
तो इसके जीवन को जाना 
इसकी कहानी को समझा तो पाया 
इसने सहे हैं कष्ट अतीत में बहुत ज्यादा
मिट्टी से मटके का आकार बदलने में
रौंदा है कुम्हार ने खूब अपने हाथों से 
फिर रहा है एक लंबे दुःख के साथ 
आग की लपटों में तपते हुए 
पड़ा रहा है भट्टी में संयम के साथ 
और किया है इंतजार अपने 
स्वरूप के बदलने का 
आकार बदलने या 
स्वभाव में ठंडापन रखने के लिए
रहना होता है दुःख के साथ 
करना होता है संघर्ष रुंधते हुए 
और रखना होता है सयंम 
अपने समय के आने का
बहुत आसान होता है 
मिट्टी का सिर्फ मिट्टी ही रहना
🖋️🖋️🖋️......राज #life

#walkingalone
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Deshraj Gurjar

बचपन में 
नहीं होती थी हमारे पास
पेंसिल पर हाँ 
मिट्टी का घर बना लेते थे 
नहीं होता था रबड़
फिर भी गलतियाँ करते थे बेखौफ
नहीं होती थी कॉपी 
पर दादी कहानी सुनाया करती थी
नहीं होता था ये भारी बैग 
पर थे मोहल्ले में ढेर सारे दोस्त
मनोरंजन के लिए 
नहीं होते थे टीवी मोबाइल
पर मेले के खिलौने 
रात में भी सिरहाने रख
सो जाया करते थे 
लेकिन मैं उलझन में हूँ 
अगर हमारे पास भी होते 
इस उम्र में 
सिर्फ पेंसिल,कॉपी,रबड़
शार्पनर ,मोबाइल,टीवी
और किताबों से भरा भारी बैग 
तो क्या हम होते 
जो हैं उस से बेहतर
या तीन वर्ष की उम्र में ही
ये बच्चे खो रहे हैं 
अपना वो बचपन जिसे 
हम जी चुके हैं 
एक बचपन को 
उसके स्वभाव के अनुसार
🖋️🖋️🖋️....राज #life

life

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Deshraj Gurjar

रोशनदान की जाली से 
छनकर आई हुई चंद किरणें ही 
अंधेरे कमरे के लिए हैं
सूरज के बराबर 

तपते रेगिस्तान में 
किसी रास्ते पर बनाई पानी की 
छोटी सी टंकी ही
सूखते गले के लिए सागर है

जाली से दिखता हुआ 
घर का छोटा सा आंगन ही 
पिंजरे में बंद पंछी के पंखों के लिए 
होता है आसमान

इसी तरह दुःखों के घेराव में 
फंसे हुए मनुष्य को भी
कुछ पल मिलने वाली 
खुशियों को ही समझना होगा 
अपना सम्पूर्ण जीवन 

🖋️🖋️🖋️.....देशराज गुर्जर #life

life

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Deshraj Gurjar

#शिक्षक_से_शिकायत

शिकायत है मुझे शिक्षक से क्योंकि
कुछ नहीं बदला है काफी वर्षों बाद भी
वही पढ़ाया जा रहा है मेरे बेटे को
जो पढ़ाया गया था कभी मुझे भी स्कूल में 
उसे भी सिखाया जा रहा है
डॉक्टर , इंजीनियर , पुलिस अधिकारी बनना 
प्रतिस्पर्धा में निकलना एक दूसरे से आगे 
अंकों में होड़ लगाना 
ये सब जीवन में बहुत जरूरी हैं
जो कभी मुझे भी सिखाया गया था 

मगर नहीं सिखाया जाता इतने वर्षों बाद भी 
प्रकृति से प्यार करना, हँसी को बनाए रखना,
सपनों के पीछे चलना,
चाँद में शीतलता होती है , 
पक्षियों के कलरव में होता है संगीत
आंसुओं का दर्द समझना 
पानी में होती है मिठास और
मिट्टी में खुशबू,
दोस्तों के साथ मस्ती ,स्वभाव में बचपना
ये सब भी उतने ही जरूरी हैं जीवन में 
जितनी जरूरी हैं किताबें
🖋️🖋️🖋️...राज #Shayar #poem
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Deshraj Gurjar

बड़ा कठिन है दोनों वादों को एक साथ निभाना
तुझे याद भी रखना और बगैर तेरे खुश भी रहना

बस तेरी बात रखने के लिए ही जिंदा हूँ अब तक
बिछड़ते वक्त तूने कहा था अपना ख्याल रखना

🖌️🖌️🖌️...राज #RailTrack
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Deshraj Gurjar

अब याद नहीं है कोई भी 
गणित का सूत्र,विज्ञान का प्रयोग 
या बहुत बार रटकर 
याद किया गया कोई प्रश्न 
स्कूल के वक्त का
जिनको नहीं चाहते थे भूलना कभी 

मगर भूलने के लाख यत्न 
करने पर भी नहीं भूल पाता हूँ
कोई खिलता चेहरा,
किसी से वक्त बेवक्त मिलना,
या किसी का 
छोड़कर चले जाना 

मन का भी अपना 
एक मन होता है जो 
न जाने क्या याद रख ले 
क्या भूल जाए

🖌️🖌️....राज #Life
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Deshraj Gurjar

मेरी पहली कविता सी हो तुम ...

कविता में...
क्या लिखूँ ,कैसे लिखूँ
कौनसे शब्द चुनु,
क्या भाव उतारूँ कागज पर 
कोई स्वीकार करेगा या नहीं 

तुमसे मिलने पर...
क्या कहूँ,क्या सवाल करूँ तुमसे
क्या सोचता है मन तुम्हारा 
मेरे बारे में 
क्या-क्या है पसंद तुम्हें ?

पहली कविता लिखते हुए
हाथ कांपते हैं , मन डरता है 
धड़कनें बढ़ जाती हैं 
अनगिनत विचार आते-जाते हैं
कुछ ऐसा ही लगा था
तुमसे पहली बार मिलने पर

🖌️🖌️🖌️  राज #poetry

poetry

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Deshraj Gurjar

#Poetry #Life

Poetry Life

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