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aunsingh9105
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thakur anuradha. singh

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thakur anuradha. singh

वही लोग सच्चे थे
वही लोग अच्छे थे
जिनके मकान कच्चे थे
जब से पक्के हुए मकान
खुद पत्थर हो गया इंसान 


अनुराधा की कलम से

©thakur anuradha. singh
   प्रेरणादायी कविता मराठी प्रेरणादायी कविता हिंदी

प्रेरणादायी कविता मराठी प्रेरणादायी कविता हिंदी

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thakur anuradha. singh

कुछ वक्त निकाला है आज मैंने
 यादों के सफर पर जाने के लिए
 सामान भी है कुछ साथ में
 बस यही कुछ खूबसूरत लम्हें



( अनुराधा की कलम से)

©thakur anuradha. singh
  #dodil
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thakur anuradha. singh

बरसात जब आती है
 वह कागज की कश्ती
 और दोस्तों की टोली
 बहुत याद आती है


 अनुराधा सिंह ठाकुर

©thakur anuradha. singh
  #Barsaat
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thakur anuradha. singh

White हर कोई सुकून की तलाश में
 जिंदगी का सफर गुजर देता है


  अनुराधा सिंह ठाकुर

©thakur anuradha. singh
  #flowers
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thakur anuradha. singh

White खामोश हूं मगर
 मन में बहुत शोर है


 अनुराधा सिंह ठाकुर

©thakur anuradha. singh
  #sad_shayari
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thakur anuradha. singh

यादों की किताब के पन्ने।
  पलटती जाती हूं।
 कभी हंसती हूं
   कभी मुस्कुराती हूं।
 उन बीते हुए लम्हों में
 फिर से जीना चाहती हूं।
 यादों की किताब के पन्ने
 पलटती जाती हूं।


( अनुराधा सिंह ठाकुर)

©thakur anuradha. singh
  #kitaab
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thakur anuradha. singh

हिमाचल अपनी आपबीती सुनाएं।
 सब कुछ बिखर गया है। 
 अब कोई कैसे समेट पाए
 प्रकृति के प्रकोप ने।
 दिल पर गहरे जख्म लगाए।
 कितनी ही हसरत से।
 एक आशियाना बनाया था।
 कितनी शिद्दत से सजाया था।
 सावन ने सब बर्बाद कर दिया।
 और दिलों पर गहरा घाव कर दिया।
 अंधाधुंध निर्माण कार्य ने।
 धरती के सीने को छलनी कर दिया।
 जागो अब तो प्रकृति को बचाओ।
 यह धरती पूजनीय है।
 इसे और नुकसान ना पहुंचाओ।


 अनुराधा सिंह ठाकुर।

©thakur anuradha. singh
  #DiyaSalaai
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thakur anuradha. singh

कुछ बीते दिनों की कहानियां याद आती है।
  वह गलियां अब सुनसान और वीरान नजर आती है।
 जाने पहचाने भी अब अजनबी हो गए।
 ना जाने वह पुराने साथी कहां खो गए
 किसको बुलाऊं अब कोई नहीं आता।
 अपनों से भी वो नहीं है पहले से  नाता। 
 हंसते भी हैं तो दिल से नहीं हंसते।
 वह पहले सा मुस्कुराना अब नहीं आता।

 अनुराधा सिंह ठाकुर।

©thakur anuradha. singh
  #angrygirl
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thakur anuradha. singh

बहुत दुख होता है इंसान में इंसानियत खत्म हो रही है। मणिपुर में जो महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हुआ यह देख कर मन बहुत दुखी होता है। उन दुर्व्यवहार करने वाले पुरुषों से मैं यह कहना चाहती हूं कि तुमने भी किसी स्त्री के पेट से जन्म लिया है  तुम एक स्त्री की लाज पर हमला करते हो यह तुम उस स्त्री की लाज पर हमला नहीं कर रहे हो यह तुम अपनी जन्म देने वाली मां के ऊपर हमला कर रहे हो उस बहन के ऊपर हमला कर रहे हो जो तुम्हारे घर पर है इसलिए तुमने जो भी किया है किसी के साथ बहुत ही गलत व्यवहार किया है और तुम्हें इंसान कहने पर मुझे शर्म आती है तुम एक इंसान नहीं तुम एक राक्षस हो।


अनुराधा सिंह ठाकुर

©thakur anuradha. singh
  #diary
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