Nojoto: Largest Storytelling Platform
satyamishra9453
  • 9Stories
  • 26Followers
  • 43Love
    0Views

SATYA YADUVANSHI

  • Popular
  • Latest
  • Video
f589a4b64b07e5ea3049709b5d8f7885

SATYA YADUVANSHI

A girl was raped, I heard in news.
Thanks it's not I , I happily mused.
Why should I bother , why should I care.
I am a good girl, never there.
I have my villa and a personal car.
The low girls travel by buses and trains.
Then came an uncle and few of his friends,
To my villa and played a game.
My soul was shattered, my body bruished.
I felt dirty, pained and misused.
I am a girl in man's world, the henious of all crimes.
I should have understood this before high time.
                           #(Voice Of a Girl ) #Stoprape
f589a4b64b07e5ea3049709b5d8f7885

SATYA YADUVANSHI

गाँधी को लगने वाली तीन गोलियाँ मुझे प्रतीक लगती हैं तीन रंगों का, वो तीन रंग जो हम सब जानते हैं, पर हर गोली से बहने वाला खून लाल था! गोली का रंग चाहे जो भी हो, खून का रंग लाल ही रहेगा! शायद गाँधी की हत्या में भी यही संदेश छुपा था!
गाँधी को गोली मिलती रहेगी, हर गाँधी की ज़िंदगी ये तय करती है कि गाँधी की मौत पर पैदा होते रहेंगे लाखों गाँधी! हाँ गोली मारने वाले भी पैदा होंगे, पर वो गोली मार कर भी मर जायेंगे, और गाँधी गोली खा कर भी ज़िन्दा रहेगा! 
#GandhiJayanti
One of the greatest warriors #GandhiJayanti2020
f589a4b64b07e5ea3049709b5d8f7885

SATYA YADUVANSHI

Up में रामराज्य है लेकिन इससे अच्छा लंका में रावण राज्य था जहाँ लाखो राक्षसों के बीच में एक सीता सुरक्षित थी #Stoprape
f589a4b64b07e5ea3049709b5d8f7885

SATYA YADUVANSHI

स्त्री जल की तरह होती है जिसके साथ मिलती है उसका ही गुण अपना लेती है,, स्त्री नमक की तरह होती है जो अपना अस्तित्व मिटा कर भी अपने प्रेम प्यार तथा आदर सत्कार से परिवार को ऐसा बना देती है....
माला तो आप सबने देखी होगी,,तरह-तरह के फूल पिरोये हुए... पर शायद ही कभी किसी ने अच्छी से अच्छी माला में अदृश्य उस "सूत" को देखा होगा जिसने उन सुन्दर सुन्दर फूलों को एक साथ बाँधकर रखा है,, लोग तारीफ़ तो उस माला की करते हैं जो दिखाई देती है मगर तब उन्हें उस सूत की याद नहीं आती जो अगर टूट जाये तो सारे फूल इधर-उधर बिखर जाते है...
"स्त्री" उस सूत की तरह होती है,, जो बिना किसी चाह के,, बिना किसी कामना के,, बिना किसी पहचान के,, अपना सर्वस्व खो कर भी किसी के जान-पहचान की मोहताज नहीं होती है,, और शायद इसीलिए दुनिया राम के पहले सीता को और श्याम के पहले राधा को याद करती है....
अपने को विलीन कर के पुरुषों को सम्पूर्ण करने की शक्ति भगवान् ने स्त्रियों को ही दी है..... #allalone
f589a4b64b07e5ea3049709b5d8f7885

SATYA YADUVANSHI

किताबें पढ़कर हजारों रातें काट दी हमनें,  सियासत कहती है अपने आँखों के ख्वाब बेच दो ।
 संविदा प्रदेश ✍️ #alonesoul
f589a4b64b07e5ea3049709b5d8f7885

SATYA YADUVANSHI

आज बात करते है वर्तमान समय मे हिन्दी विषय की प्रासंगिकता:
जो भी मुख्य रूप से  SSC (CGL) या अन्य किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र है उनकी उम्र सामान्यतः 21-28 के मध्य है तथा उनमे से 70 फीसदी छात्र गाँवो से ताल्लुक़ रखते है,और तमाम विपरीत परिस्थितियों के बाद जैसे तैसे उन्होने  सरकारी स्कूलों मे हिन्दी माध्यम से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण की है, लेकिन आज अंग्रेज़ी के बढते वर्चस्व ने उन तमाम छात्रों के सपनो का गला घोट दिया है क्यूकि किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में या तो हिन्दी है ही नहीं या सिर्फ नाम मात्र की। SSC  द्वारा आयोजित अधिकांश परीक्षाओं मे हिन्दी का नामो निशान नही है, ऐसा क्यो? 
UPSC ने  भी हिन्दी की प्रासंगिकता  को धूमिल करने मे कोई कमी नही छोड़ी, UPSC मे भी अंतिम रूप से चयनित छात्रों में हिन्दी माध्यम के छात्र नाम-मात्र है। 
लेकिन इस विषय पर कोई विचार नही करेगा क्योंकि यहां वोट-बैंक नहीं है । 
कहा गया अब समानता का अधिकार। 
ऐसा इसलिए है, जहाँ ये नीतियाँ तय होती है वे बड़े लोग है उन्होने कभी जमीनी हकीकत नही देखी, ('जाके पाँव न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई')
फिर ये हिन्दी दिवस मनाने का ढोंग क्यों? 
विचार जरूर करे 
अंत में हिन्दी दिवस की ढेरों शुभकामनाएँ।। 
✍️✍️✍️✍️ #Hindidiwas
f589a4b64b07e5ea3049709b5d8f7885

SATYA YADUVANSHI

भारत माँ के कोख से जन्मी 
ऐसी ही इक नारी है,
साहस सम्बल शक्ति है वो 
पुरूषों पर भी भारी है,
 दुश्मनों का काल बनी है
सब पर ऐसे भारी है,
देखो जग आँखें फैलाकर
वो तो केवल नारी है.....         #कंगना रानौत #Believe
f589a4b64b07e5ea3049709b5d8f7885

SATYA YADUVANSHI

पुलिस विभाग की भर्ती चल रही थी।

उसमे मंत्री जी का साला भी भाग ले रहा था

स्वाभाविक था कि सब अपनी ओर से जो कर सकते थे करने का प्रयास कर रहे थे

5 कि.मी.की रेस पूरी हुई

मंत्रीजी के साले ने 25.30 मिनट मे रेस पूरी की

उप निरीक्षक ने लिस्ट बनाते समय 25 मिनट कर दिया .......

लिस्ट जब ऑफिस पहुंची तो अधिकारी ने सोचा 25 मिनट मे रेस पूरी की है 

उसने उसे 21.5 कर दिया 

इसी प्रकार लिस्ट डीएसपी, एस पी और डीआईजी से होती हुई

आईजी के पास पहुंची तब तक समय 12.30 हो चुका था.......
आईजी ने जैसे ही लिस्ट को देखा चौंक पडे़ ...
 उन्होने अपने पीए को बुला कर पूछा:-

 ये कौन है,जिसने 12:30 मिनट मे रेस पूरी की .....? 

पीए ने बताया:-
सर,मंत्री जी का साला है..... 
आईजी बोले :- 
अबे वो सब तो ठीक है ....

लेकिन विश्व रिकार्ड का तो ध्यान रखते....? 
         
                                             (वर्तमान स्थिति पर आधारित)✍️✍️। #HindiDiwas2020
f589a4b64b07e5ea3049709b5d8f7885

SATYA YADUVANSHI

*रेलवे निजीकरण*
*लघु आलेख*
भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा रेलवे को कहा जाता है।
सबसे बड़ा सरकारी विभाग रेलवे ही है जो अनेकों युवाओं को या यह कहें कि भारत की आधी से अधिक जनसंख्या को नौकरी देता है।
*रेलवे के निजीकरण करने का सरकार का उद्देश्य*
*- सरकार का बोझ कम करना।
*-प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना 
*-सार्वजनिक वित्त में सुधार करना।
*-गुणवत्ता में सुधार करना।
सरकार ऐसा सोचती है कि निजीकरण करने से उसकी सारी समस्याएं हल हो जाएंगी पर क्या ऐसा भारत जैसे विशाल देश में संभव है जब सरकार ही गुणवत्ता में सुधार और सभी अच्छे कार्य नहीं कर पा रही है तो प्राइवेट में तो बहुत मुश्किल रहेगा और किसी बात का अंकुश और डर रहेगा ही नहीं, वह पब्लिक से मनमाना किराया भी वसूल करेगी और रेलवे में खाना और गुणवत्ता तो एकदम शून्य हो जाएगी।
हमारे नौजवान साथियों की भी नौकरी समाप्त हो जाएगी क्योंकि निजी करण में सरकारी सहायता के बिना अतिरिक्त भार कंपनियों पर पड़ेगा इसके विपरीत कंपनी पैसा अधिक रखने के लिए नौकरियों को समाप्त कर देगी और कम पैसे में ही प्राइवेट अधिक से अधिक नौकरी चाहेगी कि लोग करें।
एक आम आदमी चाहता है कि उसका बच्चा पढ़ लिख कर कहीं ना कहीं सरकारी नौकरी कर सके और एक आम आदमी अपनी यात्रा करने के लिए एक  स्थान  से दूसरे स्थान जाने के लिए रेलों का ही उपयोग करता है।सरकार और सरकार में बैठे बड़े नेताओं को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि सदियों से पूंजी पतियों का ही जमाना रहता आया है।
आजकल वैसे भी युवा नौजवान बेरोजगार हैं सभी को पढ़ाई लिखाई शिक्षा के बाद भी उचित नौकरियां नहीं मिल पा रही हैं और उस पर यदि यह सब हुआ तो आम इंसान जाएगा कहां।
रेलवे के निजीकरण होने से सरकार किसी विशेष वर्ग को ही लाभ पहुंचाएगी 
आम जनता सदा से पिसती आई है और पिसती रहेगी।

जय हिंदी जय हिंद
🌹🌺🌺🌺🌺🌹
🙏🏻🙏🏻
सत्य प्रकाश यादव
(इलाहाबाद विशवविद्यालय) #spark


About Nojoto   |   Team Nojoto   |   Contact Us
Creator Monetization   |   Creator Academy   |  Get Famous & Awards   |   Leaderboard
Terms & Conditions  |  Privacy Policy   |  Purchase & Payment Policy   |  Guidelines   |  DMCA Policy   |  Directory   |  Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited

Follow us on social media:

For Best Experience, Download Nojoto

Home
Explore
Events
Notification
Profile