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supriyajha2976
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Supriya Jha

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Supriya Jha

सुकून भरी जिंदगी के लिए,
कई रातों से लड़ना पड़ता है।
माता-पिता के बलिदानों को याद रखकर,
सपनों को सींचना होता है।
कल को किसी पर बोझ न बनूं,
ऐसा निश्चय कर दिन-रात एक करना होता है।
दुनिया की नजरों से होकर दूर,
किताबों में तल्लीन होना होता है।
भाई-बहन की ख्वाहिश पूरी कर सकूं,
इस काबिल खुद को साबित करना होता है।
एक खुबसूरत जिंदगी के लिए,
कई इम्तिहानों से लड़ना पड़ता है।

©Supriya Jha # खुबसूरत जिंदगी

# खुबसूरत जिंदगी #विचार

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Supriya Jha

White सच कहूं तो आजकल गुमसुम सी रहने लगी हूँ,
भीड़ जंचती नही इसलिए अकेली सी रहने लगी हूँ,
परेशान तो हूँ पर किसी से कह नही सकती,
 आँसुओं को किसी के सामने छलकने नही दे सकती,
 इस कारण अपनों से भी थोड़ी दूर रहने लगी हूँ,
झूठी हँसी चेहरे पर रखने लगी हूँ,
खुशियों से भी बेगानी सी रहने लगी हूँ,
सच कहूं तो बड़ी चुपचाप सी रहने लगी हूँ।

©Supriya Jha #गुमसुम
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Supriya Jha

White एक बात है जो अक्सर मेरे ज़हन में आती है,
ना जाने किसकी बद्दुआ के हम शिकार हो गए,
छोटी-छोटी खुशियों के मोहताज हो गए,
जितना संभव था सबकी मदद कर गए,
फिर भी शिकायतों के शिकार हो गए,
हर रिश्ते में शत-प्रतिशत दे गए,
फिर भी सबकी नजरों में गुनाहगार हो गए,
इंसान परखने में थोड़ी भूल कर गए,
इसलिए फरेब साजिशों के शिकार हो गए।

©Supriya Jha #शिकायत
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Supriya Jha

White कल एक झलक जिंदगी को देखा,
वो राहों में बैठे गुनगुना रही थी,
फिर उसे इधर-उधर ढूंढ़ा,
वो आँख मिचौली कर खिलखिला रही थी,
एक अरसे के बाद मिला मुझे आराम,
वो थपकी देकर मुझे सुला रही थी,
हम दोनों क्यूं खफ़ा है एक-दूसरे से,
मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी,
मैने पूछ हीं लिया क्यों इतना दर्द दिया मुझे,
वो हंसी और बोली-मैं जिंदगी हूँ,
तजुर्बा देकर जिंदगी जीना सीखा रही थी,

©Supriya Jha
  #तजूर्बा
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Supriya Jha

मगरुर अंदाज है तुम्हारा या किसी और में मसरूफ हो गये हो
आज कल दिल दुखाने भी नही आते।

©Supriya Jha #EgoisticLove
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Supriya Jha

ख़ामोशी का दूसरा पहलू लिहाज भी हो सकता है,पर अक्सर लोग इसे मेरी कमजोरी क्यूं समझ लेते है??

©Supriya Jha #aaina
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Supriya Jha

झूठ को अक्सर हमने मुस्कुराते देखा है।
बातों को अनसुलझाएं ही चिल्लाते देखा है।
सच खुलने के डर से अजीबो गरीब बातें करते देखा है।
राज खुलने की चिंता में हर तरकीबें अपनाते देखा है।

चेहरे पर खोखला आत्मविश्वास देखा है।
दूसरो के कंधों पर बंदूक रखकर चलाते देखा है।
अंहकार झलकाती मुखौटा पहने देखा है।
गलती अस्वीकार करने वाला लहजा देखा है।

©Supriya Jha #jhut
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Supriya Jha

राजनीति में नैतिकता का है घोर अभाव।
पार्टी बदलना इनका मुख्य स्वभाव। 
फिजूल दलील से करते ये खुद का बचाव।
जनता हीं दे सकती इनको करारा जवाब। 
चुनाव के वक्त ही होता है बड़ा बदलाव।
वैसे साल भर चलता सीट शेयरिंग का जोड़ घटाव।
जाति से ऊपर उठकर करो प्रत्याशी का चुनाव।
नही तो सत्ता पर बढ़ता रहेगा परिवारवाद का फैलाव।
सब ने पहन रखा है झूठ का नकाब। 
भ्रष्टाचार में लिप्त है ये सारे नवाब।
जाति धर्म का खेल खेलकर करते हैं सामाजिक अलगाव। 
नोटा दबाकर हीं बढ़ाया जा सकता इन पर दबाव।

©Supriya Jha राजनीतिक उलट फेर

राजनीतिक उलट फेर #जानकारी

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Supriya Jha

Year end 2023 एक और बरस बीत गया।
खट्टे मीठे यादों का जत्था पीछे छुट गया।
सपना कांच सा टूट कर रह गया।
देखते-देखते एक और बरस बीत गया।।
मेहनत और किस्मत दोनों दगा कर गया।
लोगों का बदलता अंदाज दिख गया।
बिना कुछ दिए ये बरस भी बीत गया।।

©Supriya Jha #byebye2023
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Supriya Jha

आपके अद्भुत ज्ञान के बदौलत हुए हैं हम द्क्ष्य,
उम्मीद है एक न एक दिन अवश्य मिलेगा लक्ष्य,
दिलचस्प होगी मेरी भी सफलता की दास्तां,
क्योंकि आप गुरुजनों ने हीं दिखाया मंजिल का रास्ता।

©Supriya Jha
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