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mahatabaalam1369
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naaz Khan

I am writing my story in my own words would you like to hear my story 💖🤌

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naaz Khan

agar  mohabbat mai ibadat ko shamil 
kr liya jaye
 to uska milna tay hai✨🥀❤️

©naaz Khan
  follow for more #Sa

follow for more #Sa #लव

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naaz Khan

kagaz pe tere honth likkhu 
un hoto pe teri muskan ☺️
dil dekhna cahta h tujhe
 chor ke sare kaam 😜

©naaz Khan
  #Coconut
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naaz Khan

lag jaye unhe umr hamari 
jinse ham dil lagaye baithe hai 💖🥀

©naaz Khan
  #hand follow for more 🥺

#hand follow for more 🥺 #कामुकता

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naaz Khan

shadi baccho ka khel nahi pr khela bhi baccho ke liye jata h

©naaz Khan
  #Hanuman
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naaz Khan

can you feel it
#new#lobe#New

can you feel it #New#lobe#New #लव

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naaz Khan



मजेदार कहानी : एक ही थैली के चट्टे-बट्टे


लगभग सभी अनुपम को एक स्मार्ट बच्चा मानते थे। वह था भी। पढ़ाई में होशियार, खेलों में बेहतर और हाजिर जवाब। सिर्फ मम्मी-पापा और छोटी बहन कुमकुम को ही यह रहस्य मालूम था कि रात होते ही उसकी पमपम बज जाती है। अनुपम को अंधेरे से बहुत डर लगता था।

डर भी इतना कि अंधेरे कमरे में अकेले जाने की बात तो छोड़िए, मद्धिम रोशनी से भी उसे घबराहट होने लगती थी। उसके कारण लंबे समय से वे लोग कोई फिल्म सिनेमा हॉल में नहीं देख पाए थे।

मम्मी-पापा के बेडरूम और कुमकुम के कमरे के बीच अनुपम का सुंदर, हवादार कमरा था। फिर भी रात को सोने के लिए वह कुमकुम के कमरे में घुस आता था। कुमकुम को भैया से बड़ी चिढ़ छूटती, क्योंकि अनुपम सारी रात एक बड़ा-सा बल्ब नाइट लैंप की तरह जलाए रखता।





अनुपम को भी अपनी इस कमजोरी पर बड़ी बौखलाहट होती। वह खुद समझ नहीं पाता था कि अंधेरे में ऐसा क्या है जिसका उसे डर लगा रहता है। राक्षस... शेर...? नहीं। वह जानता था कि यह सब केवल कहानियों में या जंगल में ही पाए जाते हैं। 'मैं नहीं जानता', 'मुझसे कुछ मत पूछो' यही उसका उत्तर रहता।

शनिवार की शाम दफ्तर से घर लौटते समय पापा एक टेलीस्कोप प्रोजेक्ट ले आए। रविवार की पूरी सुबह और दोपहर अनुपम और पापा ने साथ बैठकर डिब्बा भर कलपुर्जों से एक पूरी टेलीस्कोप बना ली।

अनुपम को इसमें काफी मजा आ रहा था। उसे अंदाज नहीं था कि रात होते ही यह टेलीस्कोप उसकी परेशानी का सबब बन जाएगी। इसका ध्यान तो उसे तब आया, जब रात को खाना खाने के बाद सब लोग तारे देखने के लिए छत पर जाने को तैयार हो गए। इसका मतलब कुम्मी को भी इस योजना का पता था।

अनुपम को गुस्सा तो आया, लेकिन अंधेरे का डर उससे भी बड़ा निकला। पापा कंधों से ठेलकर उसे छत पर ले गए। पापा का सोचना था कि चन्द्रमा, तारे और नक्षत्रों की तिलस्मी दुनिया देखकर अनुपम उनमें खो जाएगा और उसका भय भी जाता रहेगा।




लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। अनुपम की आंखें आकाश के नजारों से ज्यादा आसपास के अंधेरे को टटोल रही थीं। हवा से आकाश नीम के ऊंचे पेड़ डोल रहे थे। पीपल की पत्तियां लगातार हंसे जा रही थीं।

' पापा यह सरसराहट कैसी है?' अनुपम ने पूछा।

' हो सकता है कोई गिरगिट नींद नहीं आने के कारण चहलकदमी कर रहा हो' पापा ने बड़ी आसानी से कह दिया।

आधा घंटा होने को आया, नीचे लौट चलने के लिए अनुपम की छटपटाहट लगातार बढ़ती ही जा रही थी। अब तो पापा को भी अपने डरपोक बेटे पर गुस्सा आ गया। गनीमत थी कि उन्होंने अनुपम को एक चपत नहीं लगाई। अच्छी-खासी हवाखोरी की किरकिरी हो गई थी।





स्नेह सम्मेलन का मौसम था। वातावरण में मौज-मजे की खुनक थी। पढ़ाई पर जोर कम था। एक दोपहर क्लास टीचर कक्षा में आई और मेज पर ही बैठ गई। बिना बताए बच्चे जान गए कि आज कुछ खास बात है। एक रेडियो जॉकी के अंदाज में हवा में हाथ लहरा कर टीचर ने घोषणा की कि हम लोग पिकनिक पर जा रहे हैं।

पिकनिक पूरे दो दिन और दो रातों की होगी। हर किसी को पिकनिक में आना जरूरी है। बच्चे तो खुशी से उछल पड़े। किलकारियां भरने लगे और मारे उत्तेजना के मेज थपथपाने लगे। इधर अनुपम के पेट में मारे डर के मरोड़े उठने लगे। दो दिन तो ठीक है, घर से दूर एक रात भी वह कैसे निकाल पाएगा?

रात को खाने की मेज पर अनुपम का लटका हुआ मुंह देखकर पापा ने उसका कारण पूछा। पिकनिक की बात के साथ बिना रुके अनुपम ने यह भी बता दिया कि दो दिनों तक मटरगश्ती करने के बजाए वह घर में रहकर पढ़ाई करना चाहता है। इसलिए पापा उसके लिए डॉक्टर के प्रमाण पत्र की व्यवस्था कर दे।






पापा सब जानते थे कि पिकनिक छोड़कर पमपम को पढ़ाई क्यों सूझ रही है। उन्होंने कड़े शब्दों में कह दिया कि अनुपम को जाना ही होगा। पढ़ाई होते रहेगी। दोस्तों के साथ मिल-जुलकर रहने के मौके बार-बार नहीं मिलते। पिकनिक पर जाओगे तो दो बातें सीखकर ही आओगे। अब तो दिन के उजाले में भी खाने-खेलने से अनुपम का मन उचट गया।

जंगल के अंधेरे में जो होगा सो होगा, सहपाठियों के सामने पोल खुल जाएगी सो अलग। बड़ा स्मार्ट बना फिरता था बच्चू। आखिर पिकनिक का दिन आ पहुंचा। बच्चे खुशी-खुशी बस में सवार हुए। गाते-हंसते, शोर मचाते सब चल पड़े। अनुपम अपनी सीट पर सहमा-दुबका बैठा रहा।

झमझमा फॉल्स पहुंचकर उसने देखा कि जंगल के बीच में खुले हिस्से में 30-35 छोटे-छोटे तंबू लगे हैं। यहीं उन सबको रहना-सोना था। अनुपम अपने जॅकेट के अंदर हनुमान चालीसा की पोथी भींचे हुए बस से नीचे उतरा। टीचर ने बताया कि हर तंबू में दो बच्चे रहेंगे। अपना-अपना पार्टनर चुन लो। इस बार अनुपम के सामने कोई दुविधा नहीं थी। उसने लपककर नाहर को जा पकड़ा।



सच तो उसका नाम अजीत था और वह स्कूल का जूडो चैंपियन था। दोस्तों ने उसका नाम अजीत उर्फ लायन रख छोड़ा था। हिन्दी के शिक्षक ने उसका नाम बदलकर नाहर कर दिया था। अनुपम का पार्टनर बनने के लिए नाहर ने हां तो कह दिया था, लेकिन उसके चेहरे पर परेशानी के भाव थे। अनुपम खुश था कि जूडो चैंपियन के साथ रहते अंधेरे से निकलकर कोई उसका बिगाड़ नहीं सकता था।

रात ठंडी थी। खाना खाने के बाद दोस्तों की हंसी-ठिठौली में शामिल हुए बिना ही अनुपम और नाहर बिस्तर में आ दुबके। कंदील बुझाए बगैर ही दोनों ने अपने-अपने स्लीपिंग बैग की झिप चढ़ा ली। अनुपम इंतजार करता रहा कि नाहर अब रोशनी बंद करेगा, तब रोशनी बंद करेगा। तभी एक खरखरी फुसफुसाहट से अनुपम चौंक उठा। फिर उसे ध्यान में आया कि नाहर उससे कुछ पूछ रहा है।

' क्या तुम्हें अंधेरे से डर लगता है?' अनुपम को अपना भेद खुलता लगा। अरे, यह क्या देख रहा था वह... नाहर खुद थरथर कांप रहा था। नाहर ने बताया कि 'उसे अंधेरे से बहुत डर लगता है।' और एक आश्चर्य की बात हुई, अनुपम ने खुद को यह कहते सुना कि अंधेरे से क्या डरना? अब वह स्लीपिंग बैग परे हटाकर उठ बैठा।

यह तो अद्भुत था। अनुपम को अपने आप पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। उसने नाहर को थपथपाकर कहा कि दोस्त, तुम तो एकदम पोंगे निकले। डरो मत। मैं तुम्हारे साथ हूं। तुम मेरा हाथ थाम लो और बेफिक्र होकर सो जाओ।

अनुपम का हाथ थाम कर नाहर निश्चिंत हो गया। 'लेकिन तुम मुस्कुरा क्यों रहे हो? कहीं यह बात सबको बता तो नहीं दोगे?' नाहर ने पूछा।

' तुम्हारी यह हालत देखकर मुझे ऐसा ही एक पगला लड़का याद आ गया' अनुपम ने दूर अंधेरे में ताकते हुए कहा, 'लेकिन वह पुरानी बात है।

©naaz Khan
  #dhundh
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naaz Khan

जैसे चांद के होने से रौशन ये रात है,
हां तेरे होने से 
मेरी जिंदगी में वैसी ही कुछ बात है।🌹

©naaz Khan
  #JodhaAkbar
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naaz Khan

प्रेम अंधा भी होता है 


एक लड़का था। वह काफी गरीब था। उसके पास ना तो कुछ खाने को था और ना ही रहने को घर था। वह अपने दोस्त के घर रहा करता था। उसने एक छोटी सी कंपनी में पैंटिंग का काम करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उसके पास काफी पैसे भी हो गए। बाद में वह काफी धनी भी हो गया। लेकिन अभी भी उसके अंदर कुछ कमी का एहसास होता था।

जब वह छोटा था तभी उसके माता पिता इस दुनिया से चले गए थे। उसने कभी प्रेम को नहीं जाना था। एक दिन जब वह अपने किसी काम से बहार गया था तो उसे एक लड़की दिखी जो कि काफी अच्छी और खबसूरत थी।


उसको देखते ही इस लकड़ी को उस लड़के से प्रेम हो गया। वह काफी देर तक उस लड़के को देखती रही। कुछ देर बाद वह लड़की वहाँ से चली गयी। कुछ दिनों तक यह लड़का उस लड़की को खोजता रहा लेकिन वह लड़की न मिली। लेकिन नियति ने उस लड़की से इस लड़की को मिला दिया। वह लड़की इस लड़के के घर काम की तलाश में आई थी।

लड़के ने लड़की को तुरंत घर के काम के लिए रख लिया। जब वह लड़की इस लड़के इस मिलने आई थी तो उस समय इस लडके ने कुछ शब्द भी साफ से नहीं बोल पा रहा था। जिससे लड़की को लगा की यह लड़का गूंगा है।

लड़का भी जान गया था कि यह लड़की हमें गूंगा समझती है।इसके साथ ही साथ यह लड़की समझ गई थी कि यहां लड़का इस घर का नौकर है ना कि मालिक है। अब जब भी यह लड़का उस लड़की के पास जाता तो गूंगा बन जाता है। धीरे-धीरे वह लड़की इस लडके पर काफी रहम खाने लगी। अब उसे इस लड़के के लाचारी पर प्यार होने लगा।

लेकिन फिर वह लड़की एक बात से डर कर पीछे हट जाती थी। इस लड़की के भी माता-पिता बचपन में ही मर चुके थे, इस लड़की को इसके चाचा ने पाला था और वह चाहता था कि वह जब तक जिन्दा रहे यह लड़की उसके खाने और पीने का पैसा दे।

लड़की का प्रेम हद से भी बाहर जाने लगा। लड़के के एक खासी पर भी वह लड़की दौड़े उस लड़के के पास पहुंच जाती थी। अब लड़का भी समझ गया कि इस लड़की को मुझसे प्रेम हो गया है। लड़का भी बहुत ज्यादा उस लड़की से प्रेम करता था। उसने पहले लड़की के बारे में सब कुछ पता किया।

जब उसे सब पता चल गया तो वह बहुत रोने लगा क्योंकि उसने गूंगे होने का झूठ बोला था। अब वह दिनों रात रोने लगा। लड़की अपने सैलरी में से लड़के की इलाज करवाने को कहती थी। एक दिन सुबह ही उस लड़की को पता चला कि वह लड़का हॉस्पिटल में भर्ती है।

वह दौड़ते हुए जब हॉस्पिटल में पहुंची तो उसने देखा कि लड़का बेड पर बेहोश पड़ा है। उसके आस-पास काफी मशीन लगी हुए थी। जब लड़की डॉक्टर के पास पहुंची तो वहा पर डॉक्टर ने उसे बताया कि लड़का अब बोल नहीं सकता है उसने अपनी जीभ को कटाने की कोशिश की है इसके साथ ही उस डॉक्टर ने उस लड़की को एक पत्र दिया।

उस पत्र में लिखा था, मैं एक काफी धनी लड़का हु, जिस घर में तुम काम करती हो उस घर की मालिक मै ही हु। लेकिन इसके साथ ही मैंने तुमसे एक बहुत बड़ा झूठ बोला है कि मै एक गूंगा हु।

अब इस झूठ का प्रायश्चित करने के लिए मै ऐसा काम करने जा रहा हु। इसके साथ ही तुम मेरे घर से मेरे मैनेजर से पैसो को लेकर अपने चाचा को दे देना और एक नई जिंदगी की शुरूवात करना। अगर हो सके तो मुझे माफ़ कर देना तुम्हारा दोषी।

इस पत्र को पढ़ने के बाद उस लड़की के आँख आँसू से भर आए। वह दौड़ते हुए मंदिर में गई उसने भगवान के सामने कसम खाया कि जब तक वह लड़का बोलने नहीं लगता है तब तक वह कुछ नहीं खाएगी। भले ही वह मर क्यों न जाए।

इधर डॉक्टर भी उस लड़के की इलाज कर रहे थे। ईश्वर ने दोनों के मन की बात काबुल कर लिए और अब लड़का बोलने लगा। लेकिन वह अपनी याददाश्त को खो गया। अब उसे कुछ भी नहीं याद था। अब इसके बाद लड़की ने उसके याददाश्त के लिए काफी कुछ किया लेकिन याददाश्त न आ सका।। अगर प्रेम की नीव को झूठ पर रखा जाए तो वह गिर ही जाता है।

©naaz Khan
  #New #poor #loV€fOR€v€R #Health
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naaz Khan

अच्छा लगता है हर रात तेरी यादों में खो जाना,
जैसे दूर होकर भी तेरी बाहों में सो जाना।🌹

©naaz Khan #Sa #Yaad #Jaa
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naaz Khan

प्रेम के साथ दीवानगी -प्रेम कहानी
Love with love - love story

यह प्रेम कहानी (love story) एक लड़की की है। वह लड़की रोज शाम को टहलने के लिए अपने नाज़िद के मैदान में जाया करती थी। एक दिन उसे एक लड़का उस मैदान में दिखा। वह लड़का उस मैदान में छोटे बच्चो के लिए गुम्बारे दे रहा था। इसको देख कर लड़की खुद को ना रोक सकी। वह तुरंत ही लड़के के पास पहुंची और उसने लड़के से कहा, आप इन बच्चो को आप गुम्बारे क्यों दे रहे है।

इस पर उस लड़के ने कहा, मुझे बच्चे काफी पसंद है। मै इस बच्चो को रोज कुछ ना कुछ देता हु। अगर मेरे पास कुछ नहीं होता है तो मैं इन्हे हिंदी कहानी सुनना दिया करता हुए। यह बात लड़की को बहुत अच्छी लगी। वह लड़की भी बच्चो से काफी प्रेम करती थी। अब वह दोनों बच्चो के लिए रोज कुछ उपहार लेकर आते थे। और बच्चो को कहानी सुनाते थे।


एक दिन लड़की ने लड़के से कहा, मेरे पास अब बच्चो को कहानी सुनने के लिए कहानी नहीं है। मैं जितना भी कहानी सुनना या पढ़ा था। बच्चो को सुना चुकी हु। इस पर बच्चे ने कहा, तुम कहानी के लिए नाज़ की पुस्तकालय मैं जाया करो वहा पर तुम्हे बहुत कहानी पढ़ने को मिलेगी।

अब उन्हें ऐसी ही बात होने लगी। एक दिन लड़के को समझ में आ गया की उसे प्रेम हो गया है। लेकिन लड़की को अभी नहीं पता था। समय के साथ अब वह दोनों काफी करीब आने लागे। प्रेम अँधा होता है। अब वह एक समय भी एक दूसरे के बिना नहीं रह पाते थे।

इसके बाद वह दोनों समझ गए कि उन्हें प्रेम हो गया है। अब उन्होंने इस बात को अपने घर वालो से कही। घर वाले भी इसको लेकर राजी हो गए। बस अब किया था। उन्हें एक दूसरे से प्रेम के बाद शादी भी हो गई।

©naaz Khan
  #me #Love #story#story #f4f
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