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gulshankumarjha5329
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GULSHAN KUMAR JHA

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GULSHAN KUMAR JHA

एक दर्द छुपा जो सीने में, 
एक कर्ज था उसको जीने में, 
फिर क्यों तलब दिखी थी पीने में, 
सब मालूम उसके सफीने में, 
पर क्या राज छुपा उस नगीने में, 

रास्ते फिर तरसते मंजिल को, 
क्यों फिर दर्द मिला है इस दिल को, 

जो गुजरी एक तरफा प्यार में, 
चल रही थी उसके इंतज़ार में, 
नजरें टिकी रही उसके दीदार में, 
वो सिमटती रही अपने यार में,
यही थी दास्ताँ मेरे प्यार में, 

कि मुश्किलें भी खोजें अपनी मुश्किल को, 
क्यों फिर दर्द मिला है इस दिल को,

©GULSHAN KUMAR JHA
  #jashn_e_zindagi
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GULSHAN KUMAR JHA

एक ख्वाब उसके होने का, जो कभी पूरा न हुआ, 
मगर हम से ये इश्क़ भी, अधूरा न हुआ, 
अधूरा रहा हमारा साथ, हम दोनों की तरफ से, 
हम कभी उनके न हुए वो कभी हमारा न हुआ,

©GULSHAN KUMAR JHA
  #kitaab  #jashn_e_zindagi
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GULSHAN KUMAR JHA

बहुत तंग करने लगी है ये मजबूरियाँ आजकल, 
हो रही उन पर खर्च बेफिजूलियां आजकल, 
जो थी कभी दीदार में, हमारे हर पल, 
अब अच्छी लग रही है, उनसे दूरियाँ आजकल,

©GULSHAN KUMAR JHA #jashn_e_zindagi 
#galiyaan
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GULSHAN KUMAR JHA

खुद की हथेलियां ही आग मे क्यो डाले हम, 
किसी गिरते हुए शख्स को क्यों संभाले हम, 
किसी के दर्द में अब खुद को रखने की कोई ख्वाहिश नहीं रही, 
इस जिंदगी में कोई भी रिश्ता , क्यो पाले हम,

एक शाम में राहत की बात अब क्या करे, 
किसी का भी गुस्सा किसी पर क्यों निकाले हम, 

और दफन है एक लाश खुद की खुद के अंदर में, 
एक कतरा जान का भी इसमें अब क्यों डाले हम,

©GULSHAN KUMAR JHA #jashn_e_zindagi 

#Chhuan
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GULSHAN KUMAR JHA

Gulshan kumar jha

©GULSHAN KUMAR JHA #jashn_e_zindagi
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GULSHAN KUMAR JHA

एक दर्द जो आज भी उसी का हो, 
एक याद जिसमे वही शामिल, 

एक प्यार जो आज भी उसी से हो, 
जो वही हो इन धडकनों के काबिल, 

जिसके होने से खुद का होना लगता था, 
जिसको पाकर खुद को खोना लगता है, 

जो जिंदा है हर सफर में कहीं मेरे लिए, 
कभी उसकी यादों से सजा दिल का कोना कोना लगता था, 

वो शाम जो तेरे इंतज़ार में आज भी जागती है, 
न जाने तेरी यादें भी क्यों, मुझसे दूर भागती है, 

पहले तेरे लिए तेरे संग एक उम्र देखा करते थे हम, 
अब तो हर पल में जैसे सांसे कांपती है, 

मैं जानता हूँ तेरा आना इस जन्म में, एक ख्वाब बन गया, 
ये प्यार भी हमारा एक किताब बन गया, 

जिसे तेरी कसम से थी कभी एक कतरे से नफरत, 
आज वो दिल तेरी कसम शराब बन गया,

©GULSHAN KUMAR JHA #jashn_e_zindagi 
#boat
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GULSHAN KUMAR JHA

आसमान के उंचे शिखर से, 
जमीन पर खुद को बुलाया है, 

हर इंसान ने काम के बाद, 
मुझको यहाँ भुलाया हैं, 

है दर्द कहीं, है जख्म कहीं, 
मगर सब यहाँ पर दफ्न कहीं, 

 किसी और की मुझको जरूरत क्या, 
मैंने खुद को बहुत रुलाया है,

©GULSHAN KUMAR JHA #jashn_e_zindagi 

#KhulaAasman
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GULSHAN KUMAR JHA

एक तेरे साथ के लिए, 
जो लिखा इस रात के लिए, 

जब मुस्कान तेरे चेहरे पर बेवजह रही, 
जो तेरी जुदाई भी तेरे लिए, मेरी सज़ा रही,
वो सज़ा भी एक रजा, मेरी खता रही, 
और ये खता जो इस खता कि एक वजह रही, 

जो रह कर भी न हुई, उस बात के लिए, 

एक तेरे साथ के लिए, 
जो लिखा इस रात के लिए, 

वो पल जो सिमट कर तुझसे मिला कभी, 
जो तू मिली जो उस पल में, तो क्या गिला कभी, 
तो क्या गिला भी जो चली गई उस रात में, 
हाँ, है शिकायत जो एक बार भी, तू फिर न मिला कभी, 

जो छोड़ कर कभी चली थी तू, 
उस हाथ के लिए, 

एक तेरे साथ के लिए, 
जो लिखा इस रात के लिए,

©GULSHAN KUMAR JHA #jashn_e_zindagi 
#WoRaat
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GULSHAN KUMAR JHA

मत पूछो कि इतनी देर क्यों करते हो आने में, 
कौन है जो मेरे लिए सोया नहीं, 
एक लाश है जो जल रही है मेरी यहाँ, 
मेरे तो मरने पर भी कोई रोया नहीं, 

किसी को मेरे न आने का मलाल नहीं है, 
किसी का भी दिल मेरे लिए बेहाल नहीं है, 
खून की उलटिया हर रात हो रही है मुझको, 
मगर फिर भी कोई कोना घर का लाल नहीं हैं, 

कौन आंखें यहाँ अपनी नम करे मेरे लिए, 
कहाँ कोई दिल अब गम करे मेरे लिए, 
मिलाए थे बहुत रिश्ते हमने वक़्त अपना छोड़कर, 
अब कौन अपना एक पल खत्म करे मेरे लिए, 

मै जानता हूँ मुझसे अब किसी को मोहब्बत नहीं रही, 
किसी रिश्ते को यहाँ हमारी आदत नहीं रही, 
धडकनों ने भी यहाँ जवाब देना शुरू कर दिया, 
कि इसमें अब किसी के लिए ताकत रही, 

जिनसे मोहब्बत किया हमने मरते दम तक, 
वो शख्स तो मुझे चाहता भी नहीं, 
एक उम्र गुजार दी हमने महज़ उनकी मुस्कान के साथ, 
एक वो है जो यह जानता भी नहीं, 
और मेरे जनाजा तक उसकी गली से गुजारा, 
मेरी आखिरी ख्वाहिश पर, 
मगर क्या सितम है उनकी रुशवाई का देखो, 
अपने खिडकी तक आती भी नही,

©GULSHAN KUMAR JHA #jashn_e_zindagi 

#walkalone
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GULSHAN KUMAR JHA

Ek jaam ki shaam thi, 
Jo seene mein utaar di, 

Iss raat ki yaad ne, 
Hume chahat beshumaar di, 

Aur uske bina iss zindagi mein, 
Ek pal nahi jee sakte hum, 

Bss yahi sochkar humne, 
Ek zindagi guzaar di,

©GULSHAN KUMAR JHA #jashn_e_zindagi 

#WinterSunset
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