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M.K Meet
दिल को पत्थर बनाने की कशमकश में हूं! के वह बार-बार तोड़े,और मुझे दर्द भी न हो . ©M.K Meet दर्द से राहत का उपाय ढुंढता हूं पागल हूं मैं ये क्या ढुंढता हूं 😂😂😂😂😂😂😂😂
दर्द से राहत का उपाय ढुंढता हूं पागल हूं मैं ये क्या ढुंढता हूं 😂😂😂😂😂😂😂😂
read morePriyanka pilibanga
White मेरे पापा लिखते मेरा मुकद्दर, अगर मेरे पापा लिखते। ना दौलत, ना शोहरत, की कमी लिखते। जहां जहां गम लिखें है, वहां वहां वो सुख लिखते। मेरा मुकद्दर, अगर मेरे पापा लिखते। धुधली सी खुशियों को वह साफ़ साफ़ लिखते। मेरी ज़िन्दगी में दुःख नाम के, शब्द ही ना होते। मेरा मुक़द्दर, अगर मेरे पापा लिखते। ©Priyanka Poetry मेरे पापा लिखते
मेरे पापा लिखते
read moreडॉ.अजय कुमार मिश्र
White बहुत लोग हैं मेरे साथ, फिर भी आज मैं तन्हा हूं, जाने क्यों खुली आसमां से ,व्यथा आज कहता हूं। हमें आदत थी हमेशा आग और बर्फ पर चलने की, आज सर्द हवाओं के सर्दी से भी जाने क्यों बचता हूं। धधकती आग तो दूर, आज आग के धुएं से भी डरता हूं।। कोई चोटिल न हो जाए मेरे खट्टे मीठे शब्दों से , आज जुबान से निकलने वाली हर शब्द से डरता हूं। कौन सक्स कब हमें कह दे गुनहगार। आज हर सक्स के नजरों से डरता हूं। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र डरता हूं
डरता हूं
read moreMahesh Patel
White सहेली..... उसे समझने में बहुत देर करदी.. वो खून बहता रहा.. और में कुछ समझ रही थीं... लाला... ©Mahesh Patel सहेली... खून... लाला....
सहेली... खून... लाला....
read moresandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
White एक रिश्तें मॆं मोहब्बत है उसपर खून भी... काटकर देखे उन उंगलियोंके नाखून भी... कल मजबूरन घड़ी को कलाई काटनी पड़ी... वक्त ने आज़माएँ है दिसंबर मॆं जून भी..। ये आसमान उडते परिंदे की अमानत है... मिलने आए हो, उसूल भी साथ मॆं कानून भी..। किस्सा ख़त्म हुआ कहानी अधूरी छूट गयी... यूँ समझो कोट कहीं पर दूर है पतलून भी..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 खून
खून
read moreRakesh frnds4ever
White स:- क्या करते हो!!??!! मैं:- कुछ नहीं,,,, फिलहाल तो खाली हूं/ बेरोजगार हूं ((( दम तोड़ता हूं, हर चीज से मुंह मोड़ता हूं, सर को फोड़ता हूं, चेहरे को नोचता हूं, बालों को खींचता हुं,, पैर पटकता हूं, (( जी निकलता नहीं जीवन को कोसता हूं , घृणा करता हूं खुद से और संसार के रचियता से,, दिन रात सुबह शाम दोपहर भोर संध्या हर समय हर पल मरने की कोशिशें चाहतें इच्छाएं दुवाएं करता हूं,,....))) ©Rakesh frnds4ever स:- #क्या करते हो!!??!! मैं:- कुछ नहीं,,,, फिलहाल तो खाली हूं/ #बेरोजगार हूं ((( #दम तोड़ता हूं, हर चीज से मुंह मोड़ता हूं, सर को फोड़ता