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GANESH EDITZ
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- गीत हम पे कोई लिखो तुम भी । कितनी सुंदर हूँ मैं कहो तुम भी ।।१ पढ़ लिया तुमने चेहरा मेरा । शेर कुछ अर्ज अब करो तुम भी ।।२ चाहते हो अगर हमें दिल से । ख्वाब मेरे भी फिर बुनो तुम भी ।।३ बढ़ न जाये ये बेकरारी फिर । क्यों न आकर कभी मिलो तुम भी ।।४ प्यार में क्यूँ ये दूरियाँ बोलो । आज आकर गले लगो तुम भी ।।५ क्यों हो मायूस आज तुम इतना । प्यार के नाम खत लिखो तुम भी ।।६ अब न रोना नसीब को लेकर । कर्म भी कुछ प्रखर करो तुम भी ।।७ ०८/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- गीत हम पे कोई लिखो तुम भी । कितनी सुंदर हूँ मैं कहो तुम भी ।।१ पढ़ लिया तुमने चेहरा मेरा । शेर कुछ अर्ज अब करो तुम भी ।।२ चाहते हो अगर
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- तुम्हें दिल की धड़कन बना लूँ । न देखे कोई मैं छुपा लूँ ।।१ सजा कर तेरी माँग को मैं । तुम्हें दिल की रानी बना लूँ ।।२ दफन कितने अरमान दिल में । ठहर तो जरा मैं मिटा लूँ ।।३ बुरा ही कहेगा जमाना । अगर गोद में जो उठा लूँ ।।४ खिलेंगे सुमन भी चमन में । कदम इश्क़ में जो बढ़ा लूँ ।।५ इजाजत हमें तुम अगर दो । नज़र से नज़र मैं मिला लूँ ।।६ प्रखर हर्ज तुमको नहीं तो । उसे देख कर मुस्कुरा लूँ ।।७ २२/०४/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- तुम्हें दिल की धड़कन बना लूँ । न देखे कोई मैं छुपा लूँ ।।१ सजा कर तेरी माँग को मैं । तुम्हें दिल की रानी बना लूँ ।।२ दफन कितने अरमान द
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- प्यार में मनमर्जियाँ अच्छी लगे । मिल गले सरगोशियाँ अच्छी लगे ।।१ यार बिन कुछ भी नहीं भाता मुझे । गम कि फिर तंहाइयाँ अच्छी लगे ।।२ आ सँवरकर सामने मेरे कभी । मुझको तेरी शोखियाँ अच्छी लगे ।।३ सुर्ख कर लो होंठ ये मेरे लिए । तुझ पे ही ये सुर्खियाँ अच्छी लगे ।।४ आ रही घर में हमारे फिर खुशी । मेम को अब इमलियाँ अच्छी लगे ।।५ एक अच्छा नाम अब मैं सोच लूँ । मुझको देखो बेटियाँ अच्छी लगे ।।६ ढ़ल रही है ये जवानी अब प्रखर । अब न वो गुस्ताखियाँ अच्छी लगे ।।७ १०/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- प्यार में मनमर्जियाँ अच्छी लगे । मिल गले सरगोशियाँ अच्छी लगे ।।१
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- गीत हम पे कोई लिखो तुम भी । कितनी सुंदर हूँ मैं कहो तुम भी ।।१ पढ़ लिया तुमने चेहरा मेरा । शेर कुछ अर्ज अब करो तुम भी ।।२ चाहते हो अगर हमें दिल से । ख्वाब मेरे भी फिर बुनो तुम भी ।।३ बढ़ न जाये ये बेकरारी फिर । क्यों न आकर कभी मिलो तुम भी ।।४ प्यार में क्यूँ ये दूरियाँ बोलो । आज आकर गले लगो तुम भी ।।५ क्यों हो मायूस आज तुम इतना । प्यार के नाम खत लिखो तुम भी ।।६ अब न रोना नसीब को लेकर । कर्म भी कुछ प्रखर करो तुम भी ।।७ ०८/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- गीत हम पे कोई लिखो तुम भी । कितनी सुंदर हूँ मैं कहो तुम भी ।।१
Shaarang Deepak
Shaarang Deepak
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. ग़ज़ल :- हर तरफ़ है बहार होली में । दिल को आया करार होली में ।।१ देखकर जो बदलते थे रस्ता । वो भी आयें हैं द्वार होली में ।।२ इस तरह अब वफ़ा करो हमसे । हो जाऊँ मैं बीमार होली में ।।३ आप ऐसे अगर हमें चाहें । जान भी दूँगा वार होली में ।४ दुश्मनी भूल अब सभी जाए । रब से करता पुकार होली में ।।५ पी लिया भंग आज भी जिसने । बरसा उनपे ही प्यार होली में ।।६ हाथ में हाथ तुम प्रखर देना । तो करूँ इंतजार होली में ।।७ २५/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- हर तरफ़ है बहार होली में । दिल को आया करार होली में ।।१ देखकर जो बदलते थे रस्ता ।
Dk Patil
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है । बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१ गिरा जो आँख से पानी नहीं है । बयां करना भी आसानी नहीं है ।।२ लगाओ खूब नारे हिंद के अब । यहाँ कोई भी यूनानी नहीं है ।। ३ जरा सा हौसला करके तो देखो । कोई भी दरिया तूफ़ानी नहीं है ।।४ तुम्हीं से पूछने आये चले हम । हमीं पे क्यूँ मेहरबानी नहीं है ।।५ चुनावी खेल चालू हो गये तो । दिखा कोई भी अभिमानी नहीं है ।।६ लगे आरोप झूठे सैनिकों पे । हमारा देश बलदानी नहीं है ।।७ अदब से सर झुकाते हैं उन्हें बस । प्रखर की वह महारानी नहीं है ।।८ १२/०३ २०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है । बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१ गिरा जो आँख से पानी नहीं है । बयां करना भी आसानी नहीं है ।।२