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Dhaneshdwivediwriter
कान्हा-कान्हा रटते-रटते तुमसे मैं हृदय लगा बैठी दिल के अंधियारे कोने में तेरे नाम का दीप जला बैठी जीवन का तू हिस्सा बन जा मैं तुझमें ही समा जाऊं अब तो हाथ पकड ले मेरा, तू ही बता मैं कहाॅं जाऊं।। .... ©Dhaneshdwivediwriter कान्हा-कान्हा रटते-रटते तुमसे मैं हृदय लगा बैठी दिल के अंधियारे कोने में तेरे नाम का दीप जला बैठी जीवन का तू हिस्सा बन जा मैं तुझमें ही
कान्हा-कान्हा रटते-रटते तुमसे मैं हृदय लगा बैठी दिल के अंधियारे कोने में तेरे नाम का दीप जला बैठी जीवन का तू हिस्सा बन जा मैं तुझमें ही
read moreराधे
मेरा परिचय तुम से है तुम ही हो पहचान मेरा कोई नहीं दूजा माधो इतना रखना याद ©राधे #कान्हा 🌹🙏
#कान्हा 🌹🙏
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White चुराय लियो, चित गोकुल को चोर.. माखन चोरी मटकी फोरी छैल छबीली ब्रज की गोरी हाय री पड़ गई प्रीत के पाले अब का होइगो मोर..! चुराय लियो....! जमुना तट पे बंशीवट पे कुंज गलिन में वृन्दावन में जित को जाऊँ सब मोहे ताकें घर घर मच गयो शोर..! चुराय लियो....! साँवली सूरत मनहर मूरत श्यामल अलकें कंवल सी पलकें आन बसो है इन नैनन में, बाँको नंदकिशोर..! चुराय लियो....! ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #कान्हा
Radhe Radhe
White मेरे बनवाली तुझसे अथाह प्रित है बतलाऊ कैसे तुमने मुख दिया बोलने को पर शब्द नहीं दिए अनंत प्रेम को समझने का जय श्री राधे ©Radhe Radhe मेरा कान्हा
मेरा कान्हा
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
White किरदार किरायेदार का, दिल के जैसे घर - द्वार का, भाड़ा दे,न बोल भांड़ में जा, चाय ले चुस्की,रस भांड़ का, मिट्टी हो, मिट्टी मिल भी काम का, मत समझे तू, मैं बेकार का। ©BANDHETIYA OFFICIAL #sad_quotes #भांड में जा!❤️
#sad_quotes #भांड में जा!❤️
read moreShakeel Jaan
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset आजा कि अभी जब्त क मौसम नही गुजरा। आजा कि पहाड़ी पर अभी बर्फ जमी है खुशबू के जजिरो से महक रहा है जमाना सारा इस शहर में सब कुछ है बस तेरी कमी है ©Shakeel Jaan आ जा 💝
आ जा 💝
read moreDr. Bhagwan Sahay Meena
#कान्हा सब कहने की बात है पर.... जो जाहिर हो जाए वो दर्द कैसा...?? और जो समझ न सके वो हम दर्द कैसा...?? ©Dr. Bhagwan Sahay Meena कान्हा
कान्हा
read moreShashi Bhushan Mishra
आज, कल, परसों पे टलता जा रहा, साईं पल-पल दिन निकलता जा रहा, तैरने वाले गये उस पार कबके, कुछ किनारे हाथ मलता जा रहा, भूलने वाले भुला बैठे अदावत, टीसने वाले को खलता जा रहा, जम गई है बर्फ़ सी संवेदनाएं, वेदना से ग़म पिघलता जा रहा, कोई बच पाया नहीं इस काल से, समय की चक्की में दलता जा रहा, संभलकर ही कर्म करना जगत में, भाग्य बनकर बीज फलता जा रहा, ज्ञान दीपक से मिटे अंधियार 'गुंजन', हृदय में सुख-शांति पलता जा रहा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #दिन निकलता जा रहा#
#दिन निकलता जा रहा#
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