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अदनासा-
White पेट खाली हो और भूख बड़ा सवाली हो, तो सुखी रोटी भी शहद सा मीठा लगता है। लेकिन पेट भरा हो और जीभ मवाली हो, तो फ़ना मुर्गे में स्वाद थोड़ा नमक मांगता है। ©अदनासा- चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://clubparadis.prezly.com/koen-vanmechelen-lands-in-knokke-heist-with-the-major-exhibition-cosmopo
INDIA CORE NEWS
Prerna Singh
हमें समाधान पसंद था उसे समस्या उसे युद्ध पसंद था मुझे संगीत मैं पारदर्शी वो डार्क बस इसी फर्क ने मुझे मिटा दिया उसे बचा दिया मिटना और मिटा देना दोनों अलग क्रियाएं हैं परिणाम दोनों के अलग आएंगे उस दिन कहां जाएगा शायद पिछले जन्म का कोई बुरा कर्म हैं अगला पिछला कुछ होता नहीं जो होता हैं इसी जन्म का होता है तुम्हारा बोया हुआ अगला कटेगा अच्छा या बुरा तुम्हारे वजह से पाएगा जैसे मैंने काटे थे बेटी के रुप में जन्म लेकर मुझे दबाया गया अनचाहा समझकर जैसे अब दबाया जा रहा हैं मलबे में पुरानी वस्तु समझकर मैं वस्तु नहीं विदित उसे भी पर उस के प्रयास में सामिल कई कौरव लालची बन कर ©Prerna Singh हमें समाधान पसंद था उसे समस्या उसे युद्ध पसंद था मुझे संगीत मैं पारदर्शी वो डार्क बस इसी फर्क ने मुझे मिटा दिया उसे बचा दिया मिटना और मिटा द
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चित्र-चिंतन :- कुण्डलिया ताला मुँह पर मैं लगा , बैठा अब तक यार । सोचा था अनमोल है , प्रेम जगत व्यहवार ।। प्रेम जगत व्यहवार , इसी में जीवन फलता । लेकिन पग-पग आज , हमारा जीवन जलता ।। त्याग छोड़ व्यहवार , समय कहता है लाला । बुजदिल समझें लोग , देखकर मुँह पर ताला ।। १२/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चित्र-चिंतन :- कुण्डलिया ताला मुँह पर मैं लगा , बैठा अब तक यार । सोचा था अनमोल है , प्रेम जगत व्यहवार ।। प्रेम जगत व्यहवार , इसी में जीव
Arora PR
Beautiful Moon Night प्रेम एक विलक्षण वस्तु है और हम कितनी. आसानी से उसकी ऊष्मा भरी लौ क़ो ख़ो देते है अर्थात प्रेम की ज्योति विलीन हो जाती और हमारे पास उसका धुँवा रह जाता है ©Arora PR प्रेम एक बिलक्षण वस्तु
Shailendra Anand
Men walking on dark street रचना दिनांक 6,,,4,,,2024,, वार शनिवार समयकाल,,,,सात बजे ्््््््शीर्षक ््छाया चित्र में भावचित्र खिंचती चली गई तस्वीर है,, सुर्य की प्रचण्ड अग्नि तत्व तेज रश्मि प्रभा से झुलसते हुए जनजीवन पर खासा असर पड़ता है ्््््् ्््््निजविचार है ्््् सिन्दूरी रक्त लालिमा से अच्छादित है प्राकृतिक सौंदर्यता बिखेरती नजर आ रही है,, प्रेम से ही इस रचना में मनोभाव और स्थापत्य कला संस्कृति साहित्य दर्शनीय है।। प्रेम गगन नारंग मण्डल में एक दर्शनीय स्थल सा कोणार्क सूर्य मंदिर कोणार्क मंदिर वास्तुकला और चरित्र चित्रण किया गया ईश्वर ने इतना सुंदर और चमकदार आकर्षक है ,, और यह सुखद अहसास हो प्यारा सा जीवन सैलानीयो से यह दर्शनीय स्थल रेस्त्रां और व्यवसाय में नगर और आसपास के लघु उद्योग हस्तकला खानपान पर ध्यान केंद्रित कर पर्यटन विभाग द्वारा संचालित मिशन नेशन विचार कामयाब हो सकते है ।। प्रदेश सरकार द्वारा और केन्द्रीय पर्यटन विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देश से निर्मित निरन्तर प्रयास ही अच्छे परिणाम प्राप्त होते है ,, श्रद्धा में भावना से मन प्रसन्न हो ऐसे चले जाते है।। असंख्य यात्रियों का काफिला अपने सपने बुनते हुए,, जीवन के सपने लेकर चलते रहो जमाने में क्या रखा है।। नदी किनारे से हरियाली से आच्छादित वन जंगल परिक्षेत्र और रमणीय दृश्य दृषयावलोकन सौंदर्यता बिखेरती नजर आ रहे है,, वन्य जीव अभयारण्य में प्रवासी दुनिया के आनंद मौज मस्ती में एक अलग ही सुन्दर छबि मनोमय मनोरम दृश्य में अपनी दिशा लेकर चलते रहें ।। जस्बात पर जिंदगी के उतार चढ़ाव में ,, सच बोल का संवाद संदेश पर आपबीती चर्चा कर मन को शांति मिलती है।। यही सही समय पर जिंदगी की फिलासफी प्रेम शब्द की शिक्षा दीक्षा संस्कार परिवार से जुड़े हुए रहते है,, मन को शांति प्रदान करे मनोरंजन त्वमं नमामि देवेभ्यौ नमः आपका छायाचित्र ही सुन्दर छबि मनोमय प्यारी छायाचित्र कृति है।। और यह सुखद अहसास हो प्यारा सा जीवन में एक जीवंत कलाकृति होती है,, यही भाव से जन्मा विचार की मां शब्द से जन्मा मातृभूमि भारत में सबसे विश्वसनीय कर्मस्थली मापदण्ड सब धर्मों में समरुपता है।। ्््््््् ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््््् 6,,, अप्रैल,,,,2024,, ©Shailendra Anand #Emotional छाया चित्र में भावचित्र खिंचती मुखपृष्ठ स्क्रीन पर जिंदगी में यात्रियों का और पर्यटन स्थल आयना नजरिया आनंद ही आनंद है यही सुखद अह
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सीता छन्द मापनी:- २१२२ २१२२ २१२२ २१२ वर्ण :- १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते । प्रीति के जो हैं सतायें ईश को ही ढूढ़ते ।। लोग क्यों माने बुरा जो आपसे ही प्रेम है । आपके तो संग मेरी ज़िन्दगी ही क्षेम है ।। १ भूल जाये आपको ऐसा कभी होगा नहीं । दूर हूँगा आपसे ऐसा कभी सोचा नहीं ।। प्रीति तेरी है बसी वो रक्त के प्रावाह में । खोज पाता है नहीं संसार मेरी आह में ।। २ प्रीति का व्यापार तो होता नहीं था देख लो । प्रीति में कैसे हुआ है सोंच के ही देख लो ।। प्रेम में तो हारना है लोग ये हैं भूलते । जीत ले वो प्रेम को ये बाट ऐसी ढूढ़ते ।। ३ प्रेम कोई जीत ले देखो नही है वस्तु ये । प्रेम में तो हार के होता नही है अस्तु ये ।। प्रेम का तो आज भी होता वहीं से मेल है । प्रीत जो पाके कहे लागे नहीं वो जेल है ।। ०१/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सीता छन्द मापनी:- २१२२ २१२२ २१२२ २१२ वर्ण :- १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।
दीपा साहू "प्रकृति"
तुम्हारे प्रेम को अश्कों में भिगोना नहीं चाहती तुम्हें पा लेने की लालसा में, तुम्हें खोना नहीं चाहती। तुम तो प्रीत हो हृदय में समाहित। लाल रक्त कणिकाओं संग तुम भी हृदय से मस्तिष्क तक विचरते रहते हो! कभी होंठो पे मुस्कुराहट बनकर, ओस की बूंदों सा कभी ढलकर! कभी बहती नदियों सा कल-कल, हृदय की दीवारों पर चित्र उभरकर इन चित्रों को धोना नहीं चाहती तुम्हें पा लेने की लालसा में, तुम्हें खोना नहीं चाहती। मिलो-न-मिलो प्रीत तुमसे रहेगी, जीवन अंतिम क्षणों तक, तुम्हें रोना नहीं चाहती! तुम्हारे प्रेम को अश्कों में भिगोना नहीं चाहती तुम्हें पा लेने की लालसा में, तुम्हें खोना नहीं चाहती। ©दीपा साहू "प्रकृति" #Hope #Prakriti_ #deepliner #tum #love #intejar #Yaad #Nozoto तुम्हारे प्रेम को अश्कों में भिगोना नहीं चाहती तुम्हें पा लेने की लालसा में
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} हमें भगवान श्री कृष्ण जी को, चित्र में नही, चिंतन में लाना चाहिए, हमें अपनी वाणी, अपना चरित्र, अपना यह अनमोल उपहार, जो भगवान की कृपा से मिला यह जीवन, संसार में रहते हुए, भगवान का किसी भी छन्न, विस्मरण न हो, हमारा जीवन मंगलमय ही है, तथा अन्य और कुछ भी करने के लिए शेष नही रहता।। जय श्री राधे कृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #lakeview {Bolo Ji Radhey Radhey} हमें भगवान श्री कृष्ण जी को, चित्र में नही, चिंतन में लाना चाहिए, हमें अपनी वाणी, अपना चरित्र, अपना यह अनम