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Divyanshu Pathak
वा लकुटी अरु कामरिया पे राज तिहुँपुर कौ तजिडारुं आठऊ सिद्धि नौऊ निधि कौ सुख नंद की गाय चराय विसारुं ! रसखानि जबहि इन नैननि ते बृज के वन वाग तड़ाग निहारूं कोटिक ये कलधौति के धाम करील की कुंजनि ऊपर वारुं ! 😊🌷#good afternoon 🌷 : मैं बचपन से ही भक्तिकाल के कवि रसखान जी की इन रचनाओं को पसंद करता हूं । इनकी यह रचना ऐसी है जिसमें ब्रजभाषा के साथ अवध
Gajendra Prasad Saini
एक कवि के भाव को तुम कभी शोर मत समझना... उजाला दोपहर का लिखता है उसे बोर मत समझना... बस ये कुछ अल्फ़ाज़ अपने मन के लिखता है किसी दूसरे के शब्दों का उसे चोर मत समझना... कवि के भाव...
SG
इश़क के कवि जीते जी, धीमे नशे से मर रहे है, ये सोचकर ही रोंगटे खड जाते है मेरे वो मरते मरते ऐसे कैसे जी रहे, ©❤SG❤ इशक के कवि
ज्योत प्रकाश शर्मा
किसी के दिल में रहने की आदत छोड़ ये आशिक। तेरा अपना घर छोटा पड़ा है क्या? #बिना रस के कवि
ज्योत प्रकाश शर्मा
तुम मिनरल बोतल की वॉटर हो, हम गंगा का रसधार प्रिय। तुम पिज्जा बर्गर सी लगती हो, हमे सतुआ से है प्यार प्रिय।। #बिना रस के कवि
ज्योत प्रकाश शर्मा
मैं agree with you का नारा हूँ। तुम अभी कट्टा की ही छाड़ा हो। तेरे साथ ही खड़ा रहा और तेरे साथ ही खड़ा रहूँगा। चाहे इसका जितना महंगा भाड़ा हो। #बिना रस के कवि
ज्योत प्रकाश शर्मा
न जमानत लेंगे न बेल माँगेगे। मुझे बस अपनी बाँहो में गिरफ्तार कर लो न। जिंदगी के अंतिम पड़ाव पे हूँ, अब तो प्यार कर लो न।। #बिना रस के कवि।
Vishwajeet kumar
अफवाहों की आंधी बहती है बहती रहे... कानो मे झूठी फुसफुसाहटें कहती रहे.... राष्ट्रनिर्माता, धरा की धूरि तुम हो... कलम तुम्हारी सत्य शाश्वत कहती रहे.... एक कवि के लिए...
ज्योत प्रकाश शर्मा
बरसात के दिनों में फुस की छत है टिपटिपाय। फिर भी भगवान से मनाए की थोड़ा और बरसाए, थोड़ा और बरसाए। क्योंकि सुख रहें हैं धान। हाँ हूँ मैं किसान।। #बिना रस के कवि।