Find the Latest Status about अभ्युत्थान from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, अभ्युत्थान.
સુજલ પટેલ
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥ અધ્યાય ૪ શ્લોક ૭ જ્યારે જ્યારે પૃથ્વી પર અધર્મ પ્રવતશે ત્યારે ત્યારે હું જન્મ લઈશ એવો દીધેલ કોલ એ ભૂલી નથી ગયો માટેજ સાક્ષાત હતો એ ખાખી રંગમાં ફર્ક હતો માત્ર થોડા વસ્ત્ર અને શસ્ત્રનો બાકી વધ કરવાની કળા એ જ હતી જે વર્ષો પહેલા મહાભારતમાં આબેહૂબ વર્ણવી છે સુ "જલ" यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
GOOD TIME PAWAN KUMAR
Bali Inspiration
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानीं भवति भरत अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मनम् श्रीजाम्यहम् Yada Yada Hi Dharmasya Glanir Bhavati Bharata Abhyuthanam Adharmasya Tadaatmaanam Srijaamyaham Meaning: Whenever There Is A Decline In Righteousness And An Increase In Sinfulness, O Arjun, At That Time I Manifest Myself On Earth. Bali Inspiration again prayer for your reincarnation because sin is increasing. Oh! God come on earth again and destroy this sinfulness from roots and established again Ram Rajya 🙏❤️🤗 ©Bali Inspiration यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानीं भवति भरत अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मनम् श्रीजाम्यहम् #RadhaKrishna #jai_shree_ram #God #Love #Ram #nojotoquote
Gaurav Kumar Sagar
Vandana Mishra
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं स्रजाम्यहम्। अर्थ .... हे भारत! जब जब थर्म की हानि और अधर्म की ब्रध्दि होती है। तब तब ही मै अपने रुपों को रघता हूं। अर्थात साकार रुप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूं। ©Vandana Mishra यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं स्रजाम्यहम्। अर्थ .... हे भारत! जब जब थर्म की हानि और अधर्म की ब्रध्द
Anuj
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे जब-जब धर्म का क्षय व अधर्म में वृद्धि होती है, तब-तब मैं धर्म की स्थापना हेतु अवतरित होता हूँ यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भ
Anurag Vishwakarma
Chapter 4, verse 7 यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ ४-७ Transliteration: yadā yadā hi dharmasya glānir bhavati bhārata। abhyutthānam adharmasya tadātmānaṁ sṛjāmy aham॥ 4-7 Hindi Translation: हे भरतवंशी, जब-जब जहाँ-जहाँ धर्म का ह्रास होता है और अधर्म का प्रबल उदय होता है, तब-तब मैं अवतरित होता हूँ English Translation: Whenever and wherever there is a decline in religious practice, O descendant of Bharata, and a predominant rise of irreligion – at that time I descend Myself. Follow for more... ♥️✍️ Thanks for Learning ©Anurag Vishwakarma #Holi #learn_English #bhagwatgeeta #Trending #motivatation #Love #L♥️ve #be_happy
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
जय श्री कृष्ण ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust गीता जयंती 14 दिसंबर को, रोजाना पढ़ने चाहिए गीता के ये श्लोक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन कुरु
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️जीवन 📖की पाठशाला 🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र में अर्जुन को भगवान कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। तभी से मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी पर गीता जयंती मनाई जाती है। श्रीमद्भगवद्गीता दुनिया का सबसे श्रेष्ठ ग्रंथ है। इस ग्रंथ का पाठ करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी भी परेशान नहीं हो सकता है। श्रीमद्भगवद्गीता का अनुसरण करने वाले व्यक्ति को मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की - नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: । न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत ॥ आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है। अर्थात भगवान कृष्णइश श्लोक में आत्मा को अजर-अमर और शाश्वत कह रहे हैं। जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की - यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे॥ हे भारत (अर्जुन), जब-जब अधर्म में वृद्धि होती है, तब-तब मैं (श्रीकृष्ण) धर्म के अभ्युत्थान के लिए अवतार लेता हूं। सज्जन पुरुषों के कल्याण के लिए और दुष्कर्मियों के विनाश के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं (श्रीकृष्ण) युगों-युगों से प्रत्येक युग में जन्म लेता आया हूं। आखिर में एक ही बात समझ आई की- कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, लेकिन कर्म के फलों में नहीं। इसलिए कर्म करों और फल की चिंता मत करो। बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🌹आपका दिन शुभ हो 🌹 🙏सुप्रभात 🌹 स्वरचित एवं स्वमौलिक विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान 🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️जीवन 📖की पाठशाला 🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र म
Kulbhushan Arora
पिता के नाम मेरा पत्र हे परम पिता श्री, यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।। ये तो आपने ही कहा है ना, अब तो सारी हदें प