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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी राहत और रियायते का हक हमारा हरदम सियासतों से मरता कैसे है झुठला कर हकीकत शासन चलता कैसे है अपनो के बीच से चुनता नेता अपनो के लिये बिषबीज बोता कैसे है भारत की तरक्की को ग्लोबल के नाम पर सपनो को बेचता कैसे है जनता की बखिया उखेड़ विदेशियो के लिये आहे भरता कियो है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" विदेशियों के लिये आहे भरता कियो है #HappyDaughtersDay2020
Amardeep Jaiswal
यूं तो जिंदगी में कुछ ख़ास दिक्कतें नहीं थी हमारी, पर इस बार हालात बदलने वाले थे; कोशिश तो थी कि ये बदलाव रोक दिया जाए, पर हकीकत तो ये थी कि हालात बदलने वाले थे; सब बिखरा पड़ा था संजोने की कोशिश जारी थी, हमने भी आखिर तक हार न मानने की कसम खा रखी थी, पर कमबखत किस्मत को भी पता नहीं किसने बता रखा था कि, हालात बदलने वाले थे..... वो चाहते तो इत्तेलाह कर सकते थे हमें, अब ये न कहना कि उन्हे भी नहीं पता था कि हालात बदलने वाले थे। वृतांत.. #अनुभव
VISHAL SONI
यूँ तो में केवल गंतव्य तक पहुंचने का साधन मात्र हूँ, किसी को कहीं आना हो या कहीं जाना हो वो मुझमे सवार हो जाता है और अपनी मंजिल पर मुझे छोड़ जाता है, और मैं फिर अपने सफर पर चल देती हूँ, न जाने कितने लोगों के लिए में रोजमर्रा की जिंदगी हूँ ,न जाने में कितने लोगों की खुशियों में और कितने लोगों के गमो को देखती हूँ, हाँ ,मेरा जीवन दो लोहे की सतत ठहरी हुई पाटों के बीच जो जकड़ी हुई एक दूसरे से एक निश्चित दूरी पर के ऊपर निरंतर अबाध गति से चलते हुए आगे बढ़ता रहता है, मैं हर क्षण तटस्थ हूँ , हर क्षण साक्षी हूँ । हाँ , मैं लोहपथ गामिनी हूँ। मैं ना पथ से भटकती हूँ , न मैं अपनी मंजिल से पहले ठहरती हूँ, निरन्तर चलना ही कर्म है मेरा सब को साथ लेकर चलना धर्म हैं मेरा , मैं ना किसी के सवार होने पर खुश होती हूँ ,ना मैं किसी के उतर जाने पर दुखी होती हूँ सब अपने हिस्से का जीवन मुझमें जीतें है , मैं अकेली ही थी तो अकेली ही हूँ । हाँ , मैं लोहपथ गामिनी हूँ। कितने किस्से कितनी कहानियाँ जन्म लेती है प्रतिदिन मुझमे, हर कहानी को जीती हूँ मैं फिर भी किसी से कुछ न कहती हूँ मैं। अमीर ,गरीब,गौरा ,काला, हिंदू ,मुस्लिम ,किसी से भेद नही करती हूँ ,सब मेरे यात्री हैं, मैं सब की सहयात्री हूँ। हाँ, मैं लोहपथ गामिनी हूँ। किसी को माँ बनने का सुख मिला मुझमे, किसी को मृत्यु ने गले लगा लिया मुझमें सब को जीती गई में स्वयं में , किसी बच्चे की खुशी हूँ उसके पहले सफर की ,किसी बुजुर्ग के बचपन के किस्सों को भी सुना है मैने , किसी प्रेमी युगल के प्रेम की शुरुआत भी हुई मुझमे, और किसी का दिल भी टूटा मुझमें, पर न में विचलित हुई न खुश हुई मेरा काम था चलना मैं चलती गई ,मैं किसी का अनकहा विश्वास था मैंने उसे न कभी टूटने दिया , मैं किसी की बारात में सारथी हूँ, किसी के मातम में भी सरीख हूँ, हाँ, मैं लोहपथ गामिनी हूँ। मैं लोगो को तीर्थ भी ले जाती हूँ ,मैं हज पर भी ले जाती हूँ,पर मेरा धर्म न बदलता है, सब को साथ लेकर चलना धर्म है मेरा निरंतर चलना कर्म है मेरा , कितने लोगों ने पुण्य कमाये कितने लोगों ने पाप किया किसी का नही हिसाब मेरे पास मेरा काम है चलना में निस्वार्थ चलती ही जाती हूँ । हाँ, मैं लोहपथ गामिनी हूँ। #वृतांत #किस्सा #रेलकीकहानी #यात्रा
Jai Gupta
कतार लगी हुई थी मेले में जहाँ तीन तरह के व्यक्तियों का बिंब था झूट सच औ खामोशी सबसे आगे सच फिर खामोशी और अंत मे झूट तभी अचानक निर्मम हत्या का दृश्य उस मेले में दिखाई पड़ा वहां खड़े तीनो तरह के व्यक्तियों ने देखा सुना औ जहन में उतारा कुछ वक्त बाद पुलिस के आने पर घटनाक्रम के बारे में पूछा गया सच अभी भी उसी जगह खड़ा हुआ था परन्तु अफसोस सबसे पीछे खड़ा झूट सबसे आगे था या फिर कुछ था उसके बाद तो वो थी ख़ामोशी मैं आज भी सच के आगे होने की प्रतीक्षा में हूँ।। वृतांत लिखा है जिसे आप सभी के सामने पेश किया है पढिये #वृतांत #ख्याल #बातें #सोच
Kapil Tomer
एक वृतांत: महादेव-सती विरह ----–------------------------------ घनघोर हुई, चहुँओर हुई, अति शोर हुई तम की बदली, बदली से अचंभित शोर हुआ, बदली से दशा मन की बदली। यूँ क्रोध ने बंधन तोड़ दिए, भय से यूँ दशा यम की बदली, महादेव के क्रोध से कांप गया, आकाश हुआ बदली बदली। ✍️कपिल वीरसिंह 9259242665 ©Kapil Tomer एक वृतांत: महादेव-सती विरह
Farukh Maniyar
आज वही पुराना इतिहास फिर दोहराया जा रहा है । अपनों को मारने के लिए विदेशियों को बुलाया जा रहा है। .......... ©Farukh Maniyar आज वही पुराना इतिहास फिर दोहराया जा रहा है । अपनों को मारने के लिए विदेशियों को बुलाया जा रहा है। ..........
Ravi Bali Raizada
सांझ ढलते ही एक मच्छर आया, मेरे कानों में इस तरहभिन्न-भिननाया, ऐसा लग रहा है जैसे नज्में वो गा रहा हो महबूबा महबूबा करके किसी को बुला रहाहो कुछ देर सुनता रहा उसकी नज्में फिर मुझे अचानक से खयाल आया, कहीं इसपे तो नही हे किसी कवि का साया जो शाम ढलते ही शुरु हो जाता है अपनी महबूबा समझ कर मुझे नज्में सुनाता है भाग 2 जल्द ही ©Ravi Bali Raizada मच्छर और कवि वृतांत 😀 #Comedy Bobby(Broken heart) Bobby(Broken heart)