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||स्वयं लेखन||
अनजाना सा एक दर्द सिमटा है मुझमें जिससे मेरी रूह को रिहाई नहीं मिल रही, मिट जाए जिससे ये गम मेरा वो खुशियों की दवाई नहीं मिल रही। ©Gunjan Rajput अनजाना सा एक दर्द सिमटा है मुझमें जिससे मेरी रूह को रिहाई नहीं मिल रही, मिट जाए जिससे ये गम मेरा वो खुशियों की दवाई नहीं मिल रही। #berang
Arora PR
क्यू न हो सका वाकिफ मै अपने ख्यालो से ख्यालो मे डूबे रहने क़ी वजह से हि ती यथार्थ से मै दूर रहा जीवन क़ी दौड़ से मै भागा भागा फिरता रहा तभी तो मै अपनी चादर मे सिकुड़ कर सिमटा रहा ©Arora PR सिमटा रहा
paras Dlonelystar
तैर जाऊंगा मैं डूबकर बिखर जाऊंगा सिमटा हुआ लिपट जाऊंगा रूह से तेरी मैं एक खयाल पिघला हुआ ©paras Dlonelystar #parasd #good_morning #रूह #सिमटा
Anjali Singhal
Amit Sir KUMAR
मां इन दो शब्दों में ही सिमटा यह संसार है धरती से भी ज्यादा तु क्षमाशील और सागर से भी गहरा तेरा प्यार है तु ही मेरी अस्तित्व का आधार मेरा यह संपूर्ण जीवन तेरी ममता का हि उपकार है देखा नहीं कभी इश्वर को पर तु स्वयं ही ईश्वर का संपूर्ण साक्षात्कार है चुका न पाऊंगा यह ऋण मेरा रोम-रोम तेरा कर्जदार है। ©Amit Sir KUMAR #MothersDay मां इन दो शब्दों में हि सिमटा यह संसार है...
Vedantika
मैं वेदांतिका एक अबुझ पहेली सिमटा हुआ जिसका संसार समय का हर पल एक परीक्षा जिसमें शामिल मेरा परिवार मन विचारों से आच्छादित लेते है शब्दों का
Sarita Shreyasi
मैंने खुद के लिए प्रिय का प्यार नहीं चाहा, एक बेटी के लिए बाप का दुलाड़ माँगा था, मैंने शौकिया सुख-सुविधा नहीं माँगी, अकेले बच्चे के लिए माँ-बाप दोनों का साथ माँगा था। असहज हुई जाती जिद और जज्बातों के लिए, माँ का समुचित समय,पिता का संरक्षण माँगा था, मैंने अपनी चार साल की बेटी का बचपन माँगा था, मेरी भाग-दौड़ में उसका छूटता छुटपन माँगा था। मुझसे और खुद से भी रूठा हुआ, उसका एकलौता लड़कपन माँगा था, सहमे हुए कच्चे मन के लिए, पिता का अपनापन माँगा था। असुरक्षित मनोभावों के लिए,उसके सिर पर, माँ-बाप का स्नेह भरा हाथ चाहा था। बढ़ती बच्ची के लिए कुछ समय ही, माँ-बाप दोनों का ही, साथ चाहा था। उसकी अनसुनी बाल-सुलभ बातों के लिए, सुनने वालों से,मेरा ही थोड़ा समय चाहा था, अपनी बच्ची की,जरूरी-सी जरूरतों के लिए, उपर वाले से अधिकृत अवकाश माँगा था। क्यूँकि इस बँटी हुई माँ से अबोध बेटी ने, आज अपना नैसर्गिक अधिकार माँगा था, थोड़ा सुकून और ममता की छाँह माँगी थी, सीमित घड़ियों में सिमटा सुख-संसार माँगा था। कार्यालय की जिम्मेदारियों से नहीं भागी, पहले माँ की जिम्मेदारी निभाने के लिए, एक कामकाजी माँ से तीन माह माँगा था, जिनके बँधे हैं हाथ,उनसे अनुदान माँगा था। मैंने खुद के लिए प्रिय का प्यार नहीं चाहा, एक बेटी के लिए बाप का दुलाड़ माँगा था, मैंने शौकिया सुख-सुविधा नहीं माँगी, अकेले बच्चे के लिए माँ
Ratan Singh Champawat
जब से तेरे गम का मारा हो गया हूं मैं ओस में सिमटा श़रारा हो गया हूं मैं टूटने पर लोग जिससे मांगते मन्नत आसमां का एक तारा हो गया हूं मैं डूबता है रोज सागर खु़द जहां जाकर बेबसी का वो किनारा हो गया हूं मैं शेष अनुशीर्षक में पढ़ें..। #dilkideharise ❤दिल की देहरी से❤ 🙏🏻कुछ स्पंदन🙏🏻 जब से तेरे गम का मारा हो गया हूं मैं ओस में सिमटा श़रारा हो गया हूं मैं
Rabindra Kumar Ram
" Har taraf sanato ka shor hai , Jane hum manaw kis galti ka khamyaja bhugat rahe hai , Hum insaan hi insaan ki hasti mitane pe lage hai. " --- Rabindra Ram शायद .…... शायद क्या??? साथ या खौफ?? माफ़ी बिना परमिशन लिए कोलैब कर दिया 👏