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paras Dlonelystar

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Anand Singh

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andaj chvi

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Deepak "New Fly of Life"

#सिमटा-ए-कहाँ #शायरी

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दिल बदलते हैं लोग यहाँ
हर वक़्त कपड़ों की तरह!

खुद पर भरोसा होता नहीं
मग़र आज़माते हैं, दूसरों को यहाँ!!

©Deepak Bisht: instagram: deep143bi #सिमटा-ए-कहाँ

परवाज़ हाज़िर ........

#Maksad #गागर में #सिमटा हुआ सागर हूं मैं। #आफत नहीं #नजाकत और में। चले साथ तो कुछ मिलेगा नहीं तो वापस ऐसे ही ऐसे ही ऐसे ही #उम्मीदें पीरोना रोना सोना। #मकाम नहीं तो काम तो है कर जा कर। .... हां हां #आफत नहीं #नजाकत और मैं #हासिल

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#हासिल



 सफिना वो ज़िसमे सादगी हो 
सफर वो ज़िसमे मांजिल मनंत से नही 
मकसद से हासिल  हो ..... #maksad 
#गागर में #सिमटा हुआ सागर हूं मैं।
#आफत नहीं #नजाकत और में।
चले साथ तो कुछ मिलेगा नहीं तो वापस
ऐसे ही ऐसे ही ऐसे ही #उम्मीदें  पीरोना रोना सोना।
#मकाम नहीं तो काम तो है कर जा कर।
....
हां हां #आफत नहीं #नजाकत और मैं

Chandan Gusain

#पंचायती_चुनाव_ड्रामा #उत्तखण्ड2019 ////////////////////////////////// में फिर आऊँगा!! में मिटा नहीं #कविता

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में फिर आऊँगा!!

में मिटा नहीं
सिमटा हु काननु की आड़ में
आजादी मिलेगी जब भी
में फिर आऊंगा, में फिर आऊँगा।।

आवाज उठाऊंगा तेरी भी 
जो दबा रखी चन्द मुखोटों ने
छिन लेंगे हिस्सा अपना
जो लूटा है चंद चोरो ने।
में फिर आऊंगा, में फिर आऊँगा।।

इस बिस्वाश में न रहे वो
की हम सिमट गये कानूनों में
खुद ही टूट जाएगी वो दीवारें
जिन में कानून हमे सिमेटे है।
में फिर आऊंगा, में फिर आऊँगा।।

समय बुरा चल रहा 
उस से बड़ा कोई बलवान नही
आज उन का है
कल अपना होगा
समय पर किसी की लगाम नहीं।
में फिर आऊंगा, में फिर आऊँगा।।

करना तुम गद्दारी उतनी
जीतनी तुम्हारी हैसियत हो
तिनके तिनके का हिसाब मागेंगे
तुम किस शोहरत में हो।
में फिर आऊंगा, में फिर आऊँगा।।

 मिटा नहीं
सिमटा हु काननु की आड़ में
आजादी मिलेगी जब भी
में फिर आऊंगा, में फिर आऊँगा।।

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पंचायती चुनाव ड्रामा-2019

✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
     मोल्यार एक आस

---------------------------------------------- #पंचायती_चुनाव_ड्रामा
#उत्तखण्ड2019

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में फिर आऊँगा!!

में मिटा नहीं

रजनीश "स्वच्छंद"

कागज़ी दुनिया।। कागजों की दुनिया है, मैँ कागज़ में ही सिमटा हूँ, बस एक पन्ने में अक्षर थे, मैँ उनमे ही लिपटा हूँ। कभी बारिश कभी ये धूप, कभी जलता कभी गलता। समय के जो थपेड़े थे, #Poetry #kavita #tourdelhi

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कागज़ी दुनिया।।

कागजों की दुनिया है, मैँ कागज़ में ही सिमटा हूँ,
बस एक पन्ने में अक्षर थे, मैँ उनमे ही लिपटा हूँ।

कभी बारिश कभी ये धूप,
कभी जलता कभी गलता।
समय के जो थपेड़े थे,
लगा दीमक कभी झरता।

कलम की नीब से डरकर,
जो कोरा आज दिखता हूँ।
न कोई राह न मंज़िल,
कोरा ही आज बिकता हूँ।

डरा मैं आग पानी से,
रहा बन्द भी तिजोरी में।
बदलते हाथ थे रहते,
रहा बंटता बटोही में।

कलम से थी मेरी यारी,
स्याही छींट कर रोया।
जो मुझपे नीब टूटी थी,
वो माथा पीट कर रोया।

कभी माशूक और आशिक़,
मैं सीने से लगा रहता।
कभी बोतल का लेबल में,
वो पीने में लगा रहता।

कोई मंत्री कोई नेता,
मुझे है देखकर पढ़ता।
लक्ष्मी की रही दुनिया,
वो पैसे फेंककर बढ़ता।

वो रस्ते का भिखारी भी,
मुझे थाली समझ जाता।
लिखीं थीं हक की बातें,
मुझे गाली समझ जाता।

कहाँ मैँ सत्य भी लिखता,
कलम दरबारी बन बैठी।
पुलिंदा झूठ का था मैं,
मुहर सरकारी बन बैठी।

बच्चे खेलते मुझसे,
कभी कश्ती कभी था प्लेन।
उड़ जाउँ आसमां में मैं,
बनाता एक नया सा गेम।

वेदों की कथा मुझमे,
गीता और पुराण मुझमे।
मज़हब एक था मेरा,
गुरवाणी और कुरान मुझमे।

पढ़ा किसने मुझे कब था,
दिखावे की रही दुनिया।
पड़ा निःशब्द बैठा हूँ,
छलावे की रही दुनिया।

कोई हंसता मुझे पढ़ कर,
कोई रोता मुझे पढ़कर।
किसी का हक कोई लूटे,
सीने पर मेरे चढ़कर।

कथा इतनी वृहद है कि,
सुनाता मैं चला जाऊं।
पली है स्वार्थ में दुनिया,
भुलाता मैं चला जाऊं।

कभी आऊंगा मैं कह दूं,
किस्सा एक नया लेकर।
दीमक झाड़कर अपने,
हिस्सा एक नया लेकर।

बचाने आग से तुमको, नहीं कागज़, मैं चिमटा हूँ।
कागजों की दुनिया है, मैँ कागज़ में ही सिमटा हूँ।

©रजनीश "स्वछंद" कागज़ी दुनिया।।

कागजों की दुनिया है, मैँ कागज़ में ही सिमटा हूँ,
बस एक पन्ने में अक्षर थे, मैँ उनमे ही लिपटा हूँ।

कभी बारिश कभी ये धूप,
कभी जलता कभी गलता।
समय के जो थपेड़े थे,

Narendra Kumar

mere alfaaz 💝💝💝💝

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चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा,
दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा !
बुझ गई आस, छुप गया तारा,
थरथराता रहा धुआँ तन्हा !
ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा !
हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी,
दोनों चलते रहें कहाँ तन्हा !
जलती-बुझती-सी रोशनी के परे,
सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा !
राह देखा करेगा सदियों तक ,
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा !! mere alfaaz 💝💝💝💝


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