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हेयर स्टाइल by mv

#चालक लोमड़ी # #मीम

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SK Poetic

चालाक लोमड़ी #writing #प्रेरक

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जंगल में एक शेर रहता था।वह अब बुढ़ा हो गया था। इसलिए उसने अपने भोजन की व्यवस्था पक्की कर ली थी। चुकी वह जंगल का राजा था। इसलिए प्रत्येक दिन एक जानवर को स्वतं ही उपस्थित होना पड़ता था।और वह उसे खाकर अपनी भूख मिटाता था। आज लोमड़ी की बारी थी ।वह शेर के पास पहुंची।लोमड़ी को देखते ही शेर खुश हो गया।और वह लोमड़ी को बोला कि आने में इतनी देर क्यों कर दी? लोमड़ी बोली, मैं क्या बोलूं महाराज रास्ते में दूसरा शेर मिल गया था।वह मुझे खाना चाह रहा था।मैं बड़ी मुश्किल से जान बचाकर आपके पास आई हूं ।वह शेर अपने को इस जंगल का राजा कर रहा था। यह सुनकर शेर को बहुत गुस्सा आया‌।और वह बोला कहां पर है वह दूसरा शेर मैं उसको जिंदा नहीं छोडूंगा।लोमड़ी बोली आइए महराज मैं आपको उसके पास ले चलती हूं।लोमड़ी शेर को लेकर एक कुएं के पास गई और एक भेड़ पर खड़ी होकर चिल्लाई महाराज वह देखो शेर पानी में  है।यह सुनते ही शेर को बहुत जोर से गुस्सा आया।उसने कुएं में देखा तो उसे खुद की परछाई दिखाई दी।वह चिल्लाया तो उधर से भी शेर के चिल्लाने की आवाज आई। शेर ने जैसे उसकी आवाज सुनी वह उसकी आवाज सुनते ही कुआं में छलांग लगा दी।उसे लगा कि वह उस शेर को खा लेगा। वह जैसे ही छलांग लगाया वह पानी में गिर पड़ा और पानी में गिरते ही डूबने से उसकी मौत हो गई। शेर के छलांग लगाते हैं लोमड़ी मुस्कुराते हुए वहां से चल पड़ीं। 
Moral of the story 
हमें कोई भी कार्य क्रोध में आकर नहीं करना चाहिए। क्योंकि क्रोध में आकर किया गया कोई भी कार्य हमारे हित में नहीं होता है।

©S Talks with Shubham Kumar चालाक लोमड़ी
#writing

Ankur Goswami

#लोमड़ी कहे- अंकुर गोस्वामी

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उफ़ उनकी जुल्फे हाय उनकी निगाहें क्या गजब ढाते हैं,
लड़की कहे या लोमड़ी बात बात में चालाकी दिखाते हैं #लोमड़ी कहे- अंकुर गोस्वामी

Vimal ji

#गधा और लोमड़ी कहानी #कॉमेडी

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Mukesh Hansda

#mukeshhamsda लोमड़ी और अंगूर #admiration #Motivational

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Dilip Kumar

#भूखी दुनिया #शायरी

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ये हवस की भूखी दुनिया हैं साहब...  क्योंकि यहाँ सच्चे प्यार की परख लोग नंगा करके करते हैं...

art by.......kumar dil

©Dilip Kumar #भूखी दुनिया

pappu kumar

लोमड़ी से जुड़े 10 रोचक फैक्ट्स #न्यूज़

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ANKIT SAINI

एक भूखी माँ।।

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आज माता जी के दरबार में दर्शन के लिए गया। कुछ लोग माता जी के साथ सेल्फी ले रहे थे तो कुछ लोग मंदिर प्रांगण में बज रहे गानों का आनंद ले रहे थे और जो कुछ लोग बचे थे वे लाइन में लगे थे दर्शन के लिए।
सब अपने अपने कार्य में मस्त थे लेकिन वहीं मंदिर के बाहर एक माँ बैठी थी जो शायद भूखी थी क्योंकि वह आने जाने वालों से कुछ खाने के लिए मांग रही थी, पर लोग उसे भगा रहे थे , ये कैसी भक्ति है लोगों की ,कि एक को अनेको प्रकार के व्यंजन और वहीं दूसरी ओर केवल दुत्कार ।धिक्कार है ऐसी  लोगों पर।। एक भूखी माँ।।

BRSpal

चतुर लोमड़ी की झूठी प्रशंसा #Travelstories #प्रेरक

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चतुर लोमड़ी की झूठी प्रशंसा

 एक दिन एक कौवा कहीं से रोटी का टुकड़ा लेकर आया
और आकर पेड़ की डाली पर बैठ गया तभी एक लोमड़ी की
नजर कौवे पर जा पहुंची उमड़ी के मन में लालच से मुंह में
पानी भर है आया
फिर लोमड़ी ने कौवे के पास पहुंच गई और कौवे राजा
नमस्ते आप कैसे हो
कवि ने कोई जवाब नहीं दिया तो चालाक लोमड़ी ने
फिर कौवे से कहा कौवा राजा आप सचमुच बहुत सुंदर हैं
और आप चमकदार लग रहे हैं यदि आपकी आवाज भी
 मधुर हो तो आप पक्षियों के राजा वन जाएंगे
तो मूर्ख कौवे ने सोचा की मैं सचमुच पक्षियों का राजा हूं
मुझे यह सिद्ध करके दिखाना है
तो लोमड़ी ने कहा कौवे राजा आप अपनी आवाज तो सुनाओ
मूर्ख कौवे ने जैसे ही अपना मुंह खोला तो रोटी का टुकड़ा उसकी  चोच से छूट कर नीचे गिर गया तभी चालाक लोमड़ी ने रोटी का टुकड़ा उठाकर वहां से तुरंत भाग गए
शिक्षा:- इसलिए झूठी प्रशंसा करने वाले लोगों से सावधान
रहना चाहिए

©BRSpal चतुर लोमड़ी की झूठी प्रशंसा

#Travelstories

Aditya Singh

भूखी नन्ही जान.... #कविता

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भूखे पेट तड़प-तड़प कर जब वो नन्ही जान सोती है ..
एक गुब्बारे को बेचने के लिए जब वो चार आसूँ रोती है ।
खेलने कूदने की उम्र में वो भूखे पेटों का भार ढोती है ..
फटे कपड़ों से अपने ज़िस्म को सजाकर वो सिमट-सिमट कर सोती है ।
ठंड से काँपतें हाँथ-पावँ और तड़पती जीवन की ज्योति है ..
दौड़-दौड़ कर अखबार बाटता क्योंकि जरूरत उसकी रोटी है ।
राह में वो जो गीत गाता है वो तारीफ के काबिल होती है ..
फिर वो हाँथ पसारकर खड़ा हो जाता क्योंकि जरूरत उसकी बहुत छोटी है ।

पेट-पीठ सब सटे हुए , वो उम्मीदों की ऊर्ज़ा का भंडार है ..
उसके लिए भूखे पेट उठना और उसी के साथ सो जाना ही संसार है ।
वो तो जी के काट लेता है हर सीत- गर्मी पर उसका वक़्त ही अब बीमार है ..
माँ-बाप का किसीके पता नहीं , लावारिश सा जीने को वो लाचार है ।
कुछ दातुन कंधे पर टाँगे उसकी हर राह चलते को पुकार है ..
आखरी साँस तक दौड़ते रहना ही उसका अब मौत से लड़ने का औज़ार है ।
इतना घुट कर जीने के बाद भी उसके एक मुस्कुराहट पर बला की खूबसूरती भी लाचार है ..
परिश्रम है उसके एक-एक दिन काटने में तभी तो उसकी रातों की नींद में सुकून बेशुमार है । भूखी नन्ही जान....
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