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TAHIR CHAUHAN

विष्णु कांत

White मैं निकल चला हूं समंदर की सैर पर,
नंगे पांव मेरे खुरेदार पत्थरों से नहीं टकराते,
अब छाले भी नहीं पड़ते पांव पर।

©विष्णु कांत #समंदर

copyrightshayar

खामोशी का समंदर #sad_shayari #SAD 'दर्द भरी शायरी' हिंदी शायरी शायरी दर्द शायरी हिंदी में शायरी हिंदी

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White खामोशी में छुपा है दर्द का समंदर,
आंसुओं से भीग रहा है हर इक मंज़र।
चाहे कितनी भी कोशिशें कर लो,
कुछ ज़ख्म कभी भरते नहीं अंदर।

©copyrightshayar खामोशी का समंदर

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F M POETRY

#ऐ समंदर...

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset ऐ समंदर तू मेरे दिल में लगी आग बुझा दे..

अगर आग न बुझे तो तू मुझे ही मिटा दे..


यूसुफ़ आर खान..

©F M POETRY #ऐ समंदर...

Kavi Himanshu Pandey

समंदर... #beingoriginal Hindi

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चाँद तारे तोड़ लाना आसमान से यदि इतना आसान होता, तो हर कोई ना तोड़ लाता, 
समंदर लाँघना यदि प्यार में, बच्चों का खेल होता, तो हर कोई ना लाँघ जाता! 
..., Er. Himanshu Pandey

©Kavi Himanshu Pandey समंदर... #beingoriginal #NojotoHindi

F M POETRY

#समंदर के किनारे आ के अक्सर..

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset समंदर के किनारे आ के अक्सर बैठ जाता हूँ..

सुना है दिल के दर्द-ओ-ग़म समंदर सोख लेता है..


यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY #समंदर के किनारे आ के अक्सर..

F M POETRY

#मानता हूँ कि समंदर....

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset मानता हूँ कि समंदर भी बड़ा है लेकिन..

तेरे ग़म में बहे अश्कों से बहुत ही कम है..

यूसुफ़ आर खान....

©F M POETRY #मानता हूँ कि समंदर....

Supriya Jha

# एक समंदर मेरे अंदर

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White  एक समंदर मेरे अंदर,
जज़्बातों का है बवंडर,
फिर भी मेरे होठो के अंदर,
डर लगता है देखकर वर्तमान का मंजर,
कहीं भविष्य पर न लग जाए कोई खंजर,
चलना होगा हर कदम बहुत संंवर कर,
तभी शायद मेरे प्रयास का परिणाम होगा सुंदर।

©Supriya Jha # एक समंदर मेरे अंदर

samrath babu

ये समंदर भी बड़ा मतलबी....

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डॉ.अजय कुमार मिश्र

समंदर

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White मन्नते मांगते मांगते मुकाम भी मिला तो दरिया के किनारे।
जहां ज्वार भाटा तो आम बात,पीने को मिलता है खारा पानी और सोते हैं रेत के सहारे।
ना हरियाली ना खुशहाली फिर भी शीतलता मिलती है,जल कण के सहारे।
कोई हमें पुकारे या ना पुकारे लेकिन, हर पल हमें पुकारती हैं समंदर से उठती ज्वारें।
हमें हर रात लोरी गा गा कर सुलाती हैं,आकाश की टिमटिमाती तारें।
कितने खुश नसीब हैं हम कि, हर सुबह  हम जगते हैं सूरज के किरणों के सहारे।
हम भूल भी जाएं अपनी चारों दिशाएं,तो हमें दिशाओं की याद दिलाती हैं,समंदर से उठती हवाएं।

©डॉ.अजय कुमार मिश्र समंदर
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