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Ek villain
सनातन धर्म में कहा गया है कि ईश्वर प्रकृति के कण-कण में विराजमान है ईश्वर निराकार भी है सरकार भी है वह आधी भी है अनंत भी है सवाल है कि ईश्वर को कैसे पाया जा सकता है हमारे ऋषि-मुनियों ने अपने अपने ज्ञान के आधार पर इस प्रश्न का संतोषजनक उत्तर देने की हर संभव कोशिश की है ईश्वर प्राप्ति के लिए ज्ञान प्रेम और भक्ति के मार्ग सुझाए गए हैं ईश्वर अनुभूति या साक्षात्कार को लेकर धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि ईश्वर को भाव से पाया जा सकता है ईश्वर का भगवान भाव को ही ग्रहण करते हैं कहा गया कि भाव के भूखे हैं भगवान भगवान के प्रति या अनुभूति करने के लिए मन में भगवान को पाने का भाव जागृत करें लेकिन इसके लिए मन को विषय वासना एवं विकार मुक्त करना होगा रामचरितमानस में स्वयं भगवान श्रीराम ने कहा है निर्मल मन जन सो मोहि पावा मोहि कपट छल छिद्र न भावा प्रश्न यह कि मन विषय वासना एवं विकार मुक्त कैसे हो यह तभी होगा जब हम नियंत्रण में होंगे लेकिन यह लगभग सभी जानते हैं कि मन बड़ा चंचल होता है इस चंचल मन को नियंत्रित कैसे करें उसके लिए हमारे ऋषि-मुनियों ने ध्यान तपस्या एकाग्रता एवं सहयोग साधन जैसे उपाय हमें बताएं इसका अनुपालन कर हम मन की गति या अवे को स्थिर एवं शांत कर सकते हैं और ईश्वर से साक्षात्कार की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं ध्यान है कि योग्य साधन करते-करते मन के सारे विकार धीरे-धीरे समाप्त होते चले जाते हैं ©Ek villain #ईश्वर का साक्षात्कार कैसे करें #Moon
नितिन कुमार 'हरित'
HP
प्रत्येक प्राणी में परमात्मा का निवास है। इस घट-घट वासी परमात्मा का जो दर्शन कर सके समझना चाहिए कि उसे ईश्वर का साक्षात्कार हो चुका। साक्षात्कार
Parasram Arora
मेरी चेतना की छिपी हुई तहो. मे वो तमाम घुटन पीड़ा की वृहद अभिव्यक्तिया व्यग्र है आतुर है बाहर आने क़े लिए और वे कदाचित साक्षातकार करना चाहती है अपनी सार्थकता पर प्रश्न चिह्न लगने से पहले सोचता हूँ क्या होगा मेरा उत्तर. उन सवालों पर ज़ब वे सामना करेंगी मेरे ही पूछे गए प्रश्नों का? साक्षात्कार........
Poonam Mehta
*साक्षात्कार* बड़ी दौड़ धूप के बाद , मैं आज एक ऑफिस में पहुंचा।आज मेरा पहला इंटरव्यू था , घर से निकलते हुए मैं सोच रहा था, काश ! इंटरव्यू में आज कामयाब हो गया , तो अपने पुश्तैनी मकान को अलविदा कहकर यहीं शहर में सेटल हो जाऊंगा, मम्मी पापा की रोज़ की चिक चिक, मग़जमारी से छुटकारा मिल जायेगा । सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक होने वाली चिक चिक से परेशान हो गया हूँ ।जब सो कर उठो , तो पहले बिस्तर ठीक करो , फिर बाथरूम जाओ, बाथरूम से निकलो तो फरमान जारी होता है*नल बंद कर दिया?**तौलिया सही जगह रखा या यूँ ही फेंक दिया?* नाश्ता करके घर से निकलो तो डांट पडती है *पंखा बंद किया या चल रहा है?* क्या - क्या सुनें यार , *नौकरी मिले तो घर छोड़ दूंगा. उस ऑफिस में बहुत सारे उम्मीदवार बैठेथे , बॉस का इंतज़ार कर रहे थे ।दस बज गए । मैने देखा वहाँ आफिस में बरामदे की बत्ती अभी तक जल रही है , *माँ याद आ गई* , तो मैने बत्ती बुझा दी ।ऑफिस में रखे *वाटर कूलर से पानी टपक रहा था* , पापा की डांट याद आ गयी , तो *पानी बन्द कर दिया ।*बोर्ड पर लिखा था , इंटरव्यू दूसरी मंज़िल पर होगा । *सीढ़ी की लाइट भी जल रही थी* , बंद करके आगे बढ़ा , तो एक कुर्सी रास्ते में थी , *उसे हटाकर ऊपर गया* । 🌷देखा पहले से मौजूद उम्मीदवार जाते और फ़ौरन बाहर आते , पता किया तो मालूम हुआ बॉस फाइल लेकर कुछ पूछते नहीं , वापस भेज देते हैं ।🌷नंबर आने पर मैने फाइल मैनेजर की तरफ बढ़ा दी ।कागज़ात पर नज़र दौडाने के बाद उन्होंने कहा *"कब ज्वाइन कर रहे हो?"* उनके सवाल से मुझे यूँ लगा जैसे मज़ाक़ हो , वो मेरा चेहरा देखकर कहने लगे , *ये मज़ाक़ नहीं हक़ीक़त है ।* आज के इंटरव्यू में किसी से कुछ पूछा ही नहीं , *सिर्फ CCTV में सबका बर्ताव देखा* , *सब आये लेकिन किसी ने नल या लाइट बंद नहीं किया ।* *धन्य हैं तुम्हारे माँ बाप , जिन्होंने तुम्हारी इतनी अच्छी परवरिश की और अच्छे संस्कार दिए ।* *जिस इंसान के पास Self discipline नहीं वो चाहे कितना भी होशियार और चालाक हो , मैनेजमेंट और ज़िन्दगी की दौड़ धूप में कामयाब नहीं हो सकता ।*घर पहुंचकर मम्मी पापा को गले लगाया और उनसे माफ़ी मांगकर उनका शुक्रिया अदा किया । *अपनी ज़िन्दगी की आजमाइश में उनकी छोटी छोटी बातों पर रोकने और टोकने से , मुझे जो सबक़ हासिल हुआ , उसके मुक़ाबले , मेरे डिग्री की कोई हैसियत नहीं थी और पता चला ज़िन्दगी के मुक़ाबले में सिर्फ पढ़ाई लिखाई ही नहीं , तहज़ीब और संस्कार का भी अपना मक़ाम है...*संसार में जीने के लिए संस्कार जरूरी है । संस्कार के लिए मां बाप का सम्मान जरूरी है । *जिन्दगी रहे ना रहे , जीवित रहने का स्वाभिमान जरूरी है ।*पोस्ट अच्छी लगे तो, आगे बढ़ाने में हर्ज़ नही है । दो कदम यथार्थ की ओर। 🙏🙏🙏🙏 साक्षात्कार