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Lalit Saxena
बढ़ गई है आजकल औकात हमारी थाने में कल हुई है दरयाफ़्त हमारी मुंसिफ़ को है मालूम पेशेवर गवाह है शायद करेगा वो ही शनाख़्त हमारी इस झूठ के शहर से परेशान हैं बहुत सच की रही है आदत हज़रात हमारी आदमी होना है अगर जुर्म तो कुबूल और क्या होनी है तहक़ीक़ात हमारी बस्ती है ये प्यार की,आबोहवा बेहतर पूछी न जाए मज़हब ओ जात हमारी एक रोज़ तो सुनें, दिल की ख्वाहिशें एक बार तो पढ़िए दरख़्वास्त हमारी ©Lalit Saxena शायरी दिल से
शायरी दिल से
read moreLalit Saxena
Unsplash मै लिखता हूं.....इसमें तारीफ़ नहीं तारीफ़ तो मेरे बेवफ़ा हालातों की है जो मुझे लिखने के लिए हर पल, हर लम्हा बेताब करते है।।।।। गर ये लम्हे ये हालात ये अफसाने ना होते ..............तो क्या मैं लिखता? कोई कवि, शायर, गजलकार, या फनकार कलम कही पड़ी होती किसी कोने में और कागज़ हवा में उड़ रहे होते कैसा लगता....ख्वाबों में गोते लगाना डूब कर अंधेरों में कही दफ़न हो गए होते। मै लिखता हूं.....इसमें तारीफ़ नहीं!!! ©Lalit Saxena #Book दिल से
#Book दिल से
read moreParasram Arora
Unsplash जिंदगी को अपना समझ कर मैंने उससे गुफफ़्तगू करली और बहूत सारे अपने राज़ भी उससे साझा कर लिए अब पछता रहा हूँ कि कही वो मेरे राज़ सबकेसामने उगल न दे काश जिंदगी मेरी बहरी होती ©Parasram Arora जिंदगी से गुफ़्तगू
जिंदगी से गुफ़्तगू
read moreअनुज
देख कर नयन श्री राम के चरण सिया मुस्कानी स्वयंवर में शिव के धनुष तोड़ रघुवर ने रच दी नई कहानी जयघोष से गूंजा नगर सारा राजा राम की दुल्हन बनी सिया रानी.. #सियाराम_विवाह🙏🚩 ©अनुज देख कर नयन श्री राम के चरण सिया मुस्कानी स्वयंवर में शिव के धनुष तोड़ रघुवर ने रच दी नई कहानी जयघोष से गूंजा नगर सारा राजा राम की दुल्ह
देख कर नयन श्री राम के चरण सिया मुस्कानी स्वयंवर में शिव के धनुष तोड़ रघुवर ने रच दी नई कहानी जयघोष से गूंजा नगर सारा राजा राम की दुल्ह
read moreShishpal Chauhan
White अपनी लेखनी से कभी लिखता हूँ, कभी लिखकर मिटाता हूँ । कभी हृदय का प्रेम छुपाता हूँ, कभी सोए हुए को जगाता हूँ । लेकिन मैं सोचता हूँ कि तुमने मेरी लेखनी से प्यार नहीं किया यह तुम्हें मैं क्यों बताता हूँ , तुमने तो मेरे व्यक्तित्व से प्रेम किया; यह सोचकर सहम-सा जाता हूँ । तुम्हें पढ़ने की फुर्सत नहीं है ; यूँ ही दिल को ठेस पहुँचाता हूँ, मुझे वो चेहरा पसंद नहीं है ; केवल दिखावा करता है मैं आपनी लेखनी से ही मन को बहला लिया करता हूँ । अ मेरे जीवन साथी शायद तुम्हें पता ही नहीं मेरी जिंदगी को तुमने कितना बदल दिया सोते हुए नींद में भी लिख लिया करता हूँ , लेकिन तुम्हें क्या फर्क पड़ता है मेरी नींद हराम करने वाली बेकार में ही दिल की धड़कन बढ़ा लिया करता हूँ। तुमने मेरी प्रेम की गहराईयों को समझा ही नहीं तेरी यादों से ही बेरहम अंधेरी रात काट लिया करता हूँ, तुम साथ न दो कोई बात नहीं ; अश्कों को ही स्याही बना लिया करता हूँ। मैं तुमसे मिलने से पहले एक बेजान-सा पुतला था तुमने ही मुझे दिया नाम, पी लिया करता हूँ गमों का जाम। पहचान और शोहरत दी बस तू मेरे साथ रहे यही मैं चाहता हूँ, जैसे सुनार सोने को पिघलाकर आकार देता है तुमने मेरी जिंदगी ही बदल दी तुम से जुदा न हो पाऊँगा बस तुझमें ही खो जाना चाहता हूँ। कितने लोग आए और कितने चले गए कईयों के रिश्ते बिगड़ गए तो कईयों के संवर गए सुख हो दुख हो तुम्हारे संग हर लम्हा बिताना चाहता हूँ, कुछ लोग प्यार की गंभीरता को समझते हैं वे दुनिया को बहुत कुछ दे जाते हैं शायद मैं भी उनमें से एक हूँ अपने मधुर शब्दों से यादें छोड़ देना चाहता हूँ। प्यार में झूठे वायदे झूठी कसमें खाई जाती है उनको निभाता है कोई-कोई ऐसे बंधन में नहीं मैं बंद जाना चाहता हूँ, प्रेम ईश्वर का दिया एक नायाब तोहफ़ा है; उसमें एक अलग खुशबू है अपनी पवित्रता का ख्याल रखना चाहता हूँ । लेखन बयां कर देता है दिल का हाल – चौहान, लेखनी है मेरी जान ।। ©Shishpal Chauhan #मेरी लेखनी से
#मेरी लेखनी से
read moreSarfaraj idrishi
पुलवामा में 400 किलो RDX कहां से आया ये आज तक पता नहीं लगा पाए लेकिन 500 सालों से बनी हुई मस्जिदों के नीचे मंदिर है ये जरुर पता लगा लिए 🤔 ©Sarfaraj idrishi पुलवामा में 400 किलो RDX कहां से आया ये आज तक पता नहीं लगा पाए लेकिन 500 सालों से बनी हुई मस्जिदों के नीचे मंदिर है ये जरुर पता लगा लिए Isla
पुलवामा में 400 किलो RDX कहां से आया ये आज तक पता नहीं लगा पाए लेकिन 500 सालों से बनी हुई मस्जिदों के नीचे मंदिर है ये जरुर पता लगा लिए Isla
read moreपूर्वार्थ
White बैठी हैं क्यों दर्द लिए; आतीत-सा मन को शान्त किये । जो बीते पल माहुर से थे; आज क्यों उनके जाम पिए। भविष्य सुनहरा राह देखता; तेरे हर पल आने की, हौसले से तोड़ बेड़ियाँ जख्म भरे अल्फाजों की देख आसमाँ भर ऊँची उड़ाने; आगे बढ़ तू इसी बहाने , दर्द मिटा तू ख्व़ाब गढ़ ; भूल न उसे ; जो कहता तू आगे बढ़। जीवन समर में कुछ ऐसे उतर ; शत्रु हो जाए छितर - बितर।। मौत भी घबराए तुझ तक आने के लिए , तू बन जा एक मिसाल इस जमाने के लिए।। ©पूर्वार्थ #जख्म से जीता
#जख्म से जीता
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