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sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
हर एक मंज़र को उसकी शक़ल कर दूँगा... कुछ और दिन बस फिर उसका क़तल कर दूँगा..। जानती है इसलिए ज़बान नहीं खोलती... गर आह भी निकली तो मैं ग़ज़ल कर दूँगा..। कि,इसलिए मुझे क़रीब आने नहीं देती... छुआ तो बदन मॆं दो-चार बदल कर दूँगा..। झूठी इज़्ज़त सिरहाने रख,शब भर सोच... कहा था ना एक दिन तुम्हॆं सफल कर दूँगा..। मॆरा मरना ‘ख़ब्तुल’ ज़रूरी हो गया है... अगर जिंदा रहा, सब को पागल कर दूँगा..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 क़तल
silent_feel_
इरादा क़तल का है शायद उसका तभी तो इतने करीब आ रही है जरा चालाकी तो देखो उसकी! वो तोड़ने के लिए दिल मेरा, मुझसे ही दिल लगा रही है @silent_feel_ क़तल की तैयारी है उसकी आँखों में काजल लगा कर तैयार है वो
दीप बोधि
सूर्य की लालिमा जा चूकी थी। रात की कालिमा छा चूकी थी। घनघोर तिमिर छाया हुआ था। पक्षी अपने आशियाने में थे। कुत्ते भौंक रहे थे,पहरा दे रहे थे। मै गहरी नींद में सोया हुआ था। सपने में बातें कर रहा था रात से। पूछ रहा था उसकी कहानी रात से। बोली-मैं आती हूं आलोक भाग जाता है। चारों और मेरा ही साया छा जाता है। मैं विवश हूं नहीं मिल पाती दिन से। लोगों को काम से आराम दिलाती दिन से। रवि,होता मेरे अधीन कुछ नहीं कर पाता। विश्व!पर मेरा ही शासन चलता। चंद्रमा मेरे पीछे पीछे है आता। अपनी दूधिया रोशनी में मुझे नहलाता। मै खो जाती हूं,उसकी चांदनी के साथ। मुझे निहारते तुम चांदनी के साथ। सोचते रहते न जाने क्या! तुम अपनी यादों के साथ। फिर मै, मजबूर हो जाती हू जाने को। अपनी अगली कहानी गढ़ने को। सोचती हूं,थकी हूं,अब आराम करूं। मस्टर का रात में बोलना। बच्चे की शिशकियों का मूंह खोलना। अब रूकूं ना चली जाऊं,बेचारे दिन को आजाद करू। मेरा अहसान मानो, तुमको दिलाती हूं चैन। फिर भी लोग डरते हैं हाय!क्या!है ये रैन। मै डराती हूं,सूलाती हूं,जगाती हू। जब नींद नहीं आती,रात आ जाती है। ले जाती है छत पर टिमटिमाते तारों की सैर कराती है। ©Kumar Deep Bodhi #रात "रात की कहानी
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
बचपन की वो रात भी क्या रात होती थी जब कच्चे मकानों की छतों पर दादी नानी की कहानी और मां की गोदीहोती बचपन कीउस रात की बात करते जब लाइट से चलने वाले पंखे नहीं हो जब हाथ के पंखी से मां हवा करतीं थीं रात में गर्मी के मौसम में जब गर्मी लगती पेड़ो को हवा करे ऐसी प्रार्थना करते थे जब डरावनी रात की बात हो तो पीपल के पत्तों की आवाज़ से डर जाया करते थे जब डर लगता तो मां अपने आंचल में हम बच्चो को छुपा लिया करती थी जब साय साय की आवाजें आती थी सुबह उठ कर रात की बात होती थी ©Chandrawati Murlidhar Sharma उन दिनों की रात की बात # रात की बात
Arvind Singh
मिलन की रात अब ढल कर सुबह की औंस बन आयी कही एक खवाब छुटा था किसी ने ली थी अंगड़ाई।। #NojotoQuote मिलन की रात #अरविंद #रात #इश्क़
(तरूण तरंग)तरूण.कोली.विष्ट
रात सारी रात मुझे तेरी कहानी सुनाती है मै कैसे कह दूँ के मै तन्हा तन्हाई में रहता हूं ©®तरूण #रात #की #तन्हाई
Anshu writer
World Poetry Day 21 March जिंदगी है मगर अब साथ चलती हैं तन्हाइयां शोर गूँजता है मगर अब है रात की परछाईयां तलाश किसकी करे हम अब सच्ची महोब्बत कही नहीं कि दर्द मे डूबी है अब यह रात की तन्हाइयां । रात की तन्हाइयां
VS lover
वो रात थी बडी सुहानी न थी कोई कहानी दिसंबर की थी जुबानी 31 दिसंबर रात कि वो बात पुरानी दिसंबर की रात
Vaseem Qureshi
रात भी, नींद भी, कहानी भी... हाए क्या चीज़ है, जवानी भी..! दिल को अपने भी ग़म थे दुनिया में... कुछ बलाएँ थीं, आसमानी भी..!!! ##जवानी..की..रात..!!!