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White कही ताजी हवा मिले तो भर लूं अपनी सास एक नाजुक दिल की टूट गई हे आश हम कभी उनके फरिश्ते थे आज उनके हमारे साथ कोई रिश्ता नहीं. वेस्टर्न जमाना हे साहेब काम खत्म बात खत्म । ©Rk सड़ा हुआ दिल
सड़ा हुआ दिल
read moreAbdhesh prajapati
White मुझे फुर्सत कहां की मौसम सुहाना देखू अपने हालात से लड़ूं की जमाना देखूं..? ©Abdhesh prajapati फुर्सत कहां है
फुर्सत कहां है
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White रात कुछ ऐसा हुआ" रात कुछ ऐसा हुआ "ज़िन्दगी में कि सुना तो था,मगर इस तरह होता है ये पता न था। उसके छूते ही मेरे रोम रोम में सिहरन सी उठी, आंखों से कैसे दिल में उतरता है कोई ये पता न था। अनुज कुमार हेयय क्षेत्रिय © # रात कुछ ऐसा हुआ"
# रात कुछ ऐसा हुआ"
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White रात कुछ ऐसा हुआ" रात कुछ ऐसा हुआ " ज़िन्दगी में कि सुना तो था, मगर इस तरह होता है ये पता न था। उसके छूते ही मेरे रोम रोम में सिहरन सी उठी, आंखों से कैसे दिल में उतरता है कोई ये पता न था। अनुज कुमार हेयय क्षत्रिय © # रात कुछ ऐसा हुआ"
# रात कुछ ऐसा हुआ"
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
White नींद कहां,खोलो जुबां और हाफी ! हों रतजगे,दिन में जम्हाई, किसी भी पल उंघाई काफी । ©BANDHETIYA OFFICIAL #GoodNight #नींद कहां?
#GoodNight #नींद कहां?
read moreParasram Arora
green-leaves एक अरसा हुआ उनसे मुलाक़ात हुये आज अचानक वे सामने हैँ लेकिन आवाज़ मेरी थरथराई हैँ और आँख भी भर आई हैँ ©Parasram Arora एक अरसा हुआ
एक अरसा हुआ
read moreShashi Bhushan Mishra
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset आदत से मज़बूर हुआ, गिरा तो चकनाचूर हुआ, प्रेम की संकरी गलियों में, ख़ुद से कितना दूर हुआ, गफ़लत में फुंसी समझा, बढ़ा तो फ़िर नासूर हुआ, जिस घर में था अंधियारा, जला दीप पुरनूर हुआ, चढ़ा नशा जब भक्ति का, आठों याम सुरूर हुआ, मंज़िल मिली मुसाफ़िर से, ग़म दिल से क़ाफूर हुआ, देख घटाओं की शोखी, 'गुंजन' हृदय मयूर हुआ, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #'गुंजन' हृदय मयूर हुआ#
#'गुंजन' हृदय मयूर हुआ#
read moreकौशल ~
White कभी जो कोई पुरुष रोये तुम्हारे आगे तो भर लेना बांहो में और संभाल लेना उन्हें। क्योंकि... ये रोये है तो केवल माँ के आगे... दुसरा उस स्त्री के आगे जिस पर ये भरोसा था की वो समझेगी। बिना कुछ सवाल किये उन्हें थपकाते रहना... और आंचल से पूंछना उनके अश्रु ये जो बह रहा है वो लाचारी नही... ये तो दर्द है सफलता असफलता का, तानों का, अकेलेपन का, जोर से रोने का, कई बार...बिखरने का और अंततः वो रोना चाहते है दर्द को कहना चाहते है कि दर्द हुआ है सीने में। जो छुपाए रखा फिजूल में समाज के भय से कोई ये न कहे की मर्द को दर्द नही होता । शायद! ये परिभाषा उसे कभी ठीक नहीं लगी क्योंकि वो पत्थर नहीं है जो महसूस न हो उसे दर्द की बेहद!!! कौशल्या मौसलपुरी जोधपुर ©कौशल ~ #Sad_Status रोता हुआ पुरुष
#Sad_Status रोता हुआ पुरुष
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