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श्यामजी शयमजी
White कुत्ते का पिल्ला बैठा नीम की शाम में आज बारिश होगी आपकी भी गांव में ©श्यामजी शयमजी #cg_forest कविता कविता
#cg_forest कविता कविता
read morepraveen dubey
White शिव बैठे है खुले आकाश मे, सारा जगत सजदे में शिर झुकाएं बैठा है। महल बालों को झूठा ही अभिमान है,की लोग हमारे दर में सजदा ही नही करते।। ©praveen dubey #कविता
कविता
read moreGurudeen Verma
White शीर्षक- अपनी भूल स्वीकार करें वो ------------------------------------------------------------ कल तक बता रहे थे वो, अपनी परेशानियां मुझको, जब तैयार था मैं भी, लेने को उनसे कर्ज उधार, वो मुझको समझाते थे, कि इस पर इतना खर्चा है। और अब वो निकालकर देते हैं, उत्सुकता से मुझको उधार रुपये, बिना मांगे बैंक से निकालकर, बिना सोचे अपने खर्चे के बारे में, आँख बन्दकर मुझ पर विश्वास करके। क्योंकि आज मुझको मिला है, मेरी नौकरी का पहला वेतन, और अब वो नहीं करते हैं, मुझ पर कोई शक किसी प्रकार का, और उनके उधार को चुकाने का संदेह। मगर मेरी भी तो है मजबूरियाँ, मुझको भी तो बनाना है अपना घर, शायद नहीं दे सकूँ मैं भी उनको, उनके माँगने पर रुपये उधार, जबकि मालूम है उनको भी, मैं भी तो शौकीन हूँ , उनके जैसी जीवन शैली का, अपनी भूल स्वीकार करें वो।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #कविता
कविता
read moreGurudeen Verma
White शीर्षक- इस ठग को क्या नाम दे --------------------------------------------------------- बड़े नम्बरी होते हैं वो आदमी, जो करते हैं शोषण छोटे आदमी का, और छीन लेते हैं उधारी चुकाने के नाम पर, गरीब आदमी की जमीन और आजादी। लेते हैं काम छोटे आदमी को, कोल्हू के बैल की तरह दिनरात, एक वर्ष की मजदूरी बीस हजार देकर, जबकि होते हैं खर्च पाँच हजार एक माह में। लेता है ब्याज बहुत वो आदमी, छोटे आदमी को देकर उधार रुपये, बड़े ही ठाठ होते हैं इन आदमियों के, जिनके होते हैं मकां महलनुमा। होती है उनकी जिंदगी राजा सी, जिनके एक ही आदेश पर, हो जाते हैं सारे काम, और हाजिर नौकर चाकरी में। कमाता होगा इतने रुपये वह आदमी, मेहनत की कमाई से कभी भी नहीं, बनाता है वह अपनी इतनी सम्पत्ति, भ्रष्टाचार और दो नम्बर की कमाई से। लेकिन एक ऐसा आदमी भी है, जो लेता है बड़े आदमी से भी ज्यादा दाम, करता नहीं रहम वो अपने भाई पर भी, और कोसता है वह बड़े आदमी, इस ठग को क्या नाम दे।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #कविता
कविता
read moreShiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता
कविता #शायरी
read moreAnand Kumar Ashodhiya
अशोक तंवर : चुनावी रागनी दोचश्मी औरत : श्री अशोक तंवर जी नै, पिया इब जितवावेंगे। पुरुष : गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥ औरत : 36 जातों का प्यारा, यो सबके हक दिलवा रहया पुरुष : सिरसा डिस्ट्रिक्ट तै, यो न्या का झण्डा ठा रहया पुरुष : मनै कसम तेरी खाली, इबकै हँगा लावेंगे। पुरुष : गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥ औरत : बेरोजगारी भत्ता, यो दस हजार मिलेगा पुरुष : हो घर घर एक नौकरी, भाई कोशिश यो करेगा पुरुष : बुर्जुग महिला पैंशन, पाच हजार दिवावेंगे। पुरुष : गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥ औरत : राशन, गैस कनेक्शन, बिजली पाणी दे रहया पुरुष : शिक्षा मुफ्त चिकित्सा, किसान मानधन दे रहया पुरुष : एन पी एस के जरिए सबकी, पेंशन बंधवावेंगे। पुरुष : गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥ औरत : कहै आनन्द शाहपुरिया, करो वोटा का जरिया पुरुष : करे हाथ जोड़ विनति, जितवादो इस बरिया पुरुष : गरीब किसान पिछड़ों की, आवाज उठावेंगे। पुरुष : गौरी 21 तारीख नै, कमल का बटण दबावेंगे॥ Anand Kumar Ashodhiya©2024 ©Anand Kumar Ashodhiya #कविता
कविता
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