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Shweta Jha
जानते हो समंदर और रेत में क्या फर्क है उसने पूछा क्या? एक पूरा समंदर सूखने के बाद वीरान रेत का रेगिस्तान बन जाता हैं! बिल्कुल हमारे इस ठहरें इश्क की तरह जिसमें कभी इश्क के तूफ़ान उठते थे, आज वो रेत के खोखले टीलें बन यहां-वहां आँधियों में उड़ा करते हैं! #सूखता_इश्क #समंदर #रेगिस्तान #DesertWalk
Kunwar Rajpal Singh Solanki
बाग की बात को सारे माली समझे दर्द गुलाब का सिर्फ डाली समझे ये केसी रीत बनाई इस दुनिया की की दीये का दिल जले और लोग दिवाली समझे 😥😥 ©Kunwar Rajpal Singh Solanki सूखता गुलाब ☹☹ #Rose
SK Poetic
साहित्य पेड़ कभी डाली काटने से नहीं सूखता, पेड़ हमेशा जङ काटने से सूखता है, उसी तरह व्यक्ति अपने कर्म से नहीं बल्कि अपनी सोच और गलत व्यवहार से हारता है। ©S Talks with Shubham Kumar पेड़ कभी डाली काटने से नहीं सूखता #WForWriters
OMG INDIA WORLD
#5LinePoetry मैं आज भी उसको उसी तरह चाहती हूँ जैसे सूखता हुआ पेड़ बारिश का तलबगार हो ©OMG INDIA WORLD मैं आज भी उसको उसी तरह चाहती हूँ जैसे सूखता हुआ पेड़ बारिश का तलबगार हो
मानव बदायूँनी
पत्तो की मानिंद सूखता जा रहा है मन, उसने धोखा क्या दिया टूटता है ये बदन। ©मानव बदायूँनी #Pattiyan #टूटता #पत्तों #मानिन्द पत्तो की मानिंद सूखता जा रहा है मन, उसने धोखा क्या दिया टूटता है ये बदन।
꧁༃ शिवम् लोधा ༃꧂
"लोगों के काम आते रहिये, "क्योंकि कुदरत का एक उसूल है कि जिस कुएँ से लोग पानी पीते रहे, "वो कभी सूखता नहीं!! लोगों के काम आते रहिये, क्योंकि कुदरत का एक उसूल है कि जिस कुएँ से लोग पानी पीते रहे, वो कभी सूखता नहीं!!
J.kay
ਸੁੱਕ ਰਿਹਾਂ ਹਾਂ ਮੈਂ ਕਿਸੇ ਰੁੱਖ ਵਾਂਗੂ ਲਿਪਟ ਰਹੀ ਆ ਤੇਰੀ ਯਾਦ ਮੈਨੂੰ ਅਮਰ ਵੇਲ ਵਾਂਗੂ. सूखता जा रहा हूं मैं किसी पेड़ की तरह, लिपटती जा रही है तेरी यादे अजनबी मुझसे अमर वेल की तरह. /J.kay/ ©J.kay ਸੁੱਕ ਰਿਹਾਂ ਹਾਂ ਮੈਂ ਕਿਸੇ ਰੁੱਖ ਵਾਂਗੂ ਲਿਪਟ ਰਹੀ ਆ ਤੇਰੀ ਯਾਦ ਮੈਨੂੰ ਅਮਰ ਵੇਲ ਵਾਂਗੂ. सूखता जा रहा हूं मैं किसी पेड़ की तरह, लिपटती जा रही है तेरी य
sapna prajapati❤
दर्द का बारिश खूब रहा इतनी सी जीवन में नसीब को दोष दूं...✍ कि खुद को.... ✍ जो सोचा ,जो पाया, जिस में खुशी मिली, उत्सुकता में........😥 सूखता ही चला गया और आंखें जो भीगी थी, ओ और बारिश में डूबती चली गई....✍ दर्द का बारिश खूब रहा इतनी सी जीवन में नसीब को दोष दूं...✍ कि खुद को.... ✍ जो सोचा ,जो पाया, जिस में खुशी मिली, उ
vishnu prabhakar singh
वृक्ष का आरब्ध पर्याप्त दूर गगन तक आते जाते वायुमण्डल दूषक निस्पंदन हरियाली के स्वभाव में समृद्धि मानते अबोला वृक्ष सूखता है रूखी आश में क्या तुम दोगे नया वृक्ष हरित आवरण आते जाते वायुमण्डल वनस्पति शुद्ध उनका है प्रभुत्व प्रथम! पत्र का पत्रिका वृक्ष का आरब्ध पर्याप्त दूर गगन तक आते जाते वायुमण्डल दूषक निस्पंदन हरियाली के स्वभाव में समृद्धि मानते