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निर्भय निरपुरिया
White दर्द की दवा भी मरीज़ बतावे। यह हकीम कौन तरीज़ बतावे।। एक तरफा रास्ता है ये दिल का। बेवफा इसे भी अरीज़ बतावे।। दिल किसी नबाब का नोचने को है। मूल्ला हरम कु हरीज़ बतावे। क्या गजल कहूं बोल उस बदन पर अंधा जिसका हुस्न करीज़ बतावे। ©निर्भय चौहान #GoodMorning Madhusudan Shrivastava Kumar Shaurya Vishalkumar "Vishal" Rakhee ki kalam se Nazar
निर्भय निरपुरिया
White वो पतझड़ बाद जो आता है मौसम। गई खुशियां कहां लाता है मौसम। नए सब फूल पत्ते फल है निकले नई नजरों को ही भाता है मौसम।। मैं जब चाहूं तुम्हें मैं भूल जाऊं । तुम्हारी याद ले आता है मौसम। यूं दिल के सारे ताले बंद है फिर। भला क्यों लौट कर आता है मौसम । पहाड़ों से है ठोकर खा के आया। मुंडेरों पे बरस जाता है मौसम ।। बुढ़ापे में जवानी याद करके। निगाहों में ठहर जाता है मौसम ज़हन में जब बदलने लगता है तो। बदन पर भी उभर आता है मौसम।। सियासत आदमी को खाए लेकिन । सियासत को भी खा जाता है मौसम। मुझे अपना बताता है ये निर्भय उसे कितना सता जाता है मौसम। ©निर्भय चौहान #SAD Shiv Narayan Saxena Kumar Shaurya Dhyaan mira Snehi Uks Rakhee ki kalam se
निर्भय निरपुरिया
Beautiful Moon Night कैसे तेरी गली से जाएं हम। बोलो मर जाओ तो मर जाएं हम ।। तूने हम को है निकाला दिल से । अब बता कौन से घर जाएं हम। चाहती हो नए गुल खुद के लिए । यानी शाखों से भी झड़ जाएं हम। हमने तुम सा ही अदब सीखा था। और अब कितना सुधर जाएं हम। गम को अपने न दो तुम नाम मेरा। चाहती क्या हो क्या कर जाएं हम। ©निर्भय चौहान #beautifulmoon Anshu writer Kumar Shaurya Rakhee ki kalam se USTAD ISMAIL WASIF Madhusudan Shrivastava
निर्भय निरपुरिया
याद रहता है सबको अपना गुनाह। दोष दूसरों को देने के लिए।। तुमको भी मैं याद तो होऊंगा।। ©निर्भय चौहान #boatclub एक Mohabbati विधार्थी Madhusudan Shrivastava Kumar Shaurya Rakhee ki kalam se Anup Joshi
Dr Anoop
"न किस्सों मे है और न किस्तों मे है" "जिंदगी की खूबसूरती चंद सच्चे रिश्तों मे है" ©Dr Anoop #skylining 2 good morning Kajal Sunita Pathania Rakhee ki kalam se Sita Prasad Dr SONI
निर्भय निरपुरिया
Autumn वो मां को याद करके रो रहे थे। नए लड़के सड़क पे सो रहे थे।। वो अपने गांव के सब चांद तारे । श–हर की भीड़ में वो खो रहे थे।। थे पक्के खेत फिर कंटीला दफ्तर। जहाँ पर वो उ म्मीदें बो रहे थे।। बहन के ख्वाब जोड़े जा रहे हैं । दवाई बाप की वो ढो रहे थे ।। वो बस मजदूर बन के रह गए हैं। वो कॉलेजों में जो अफसर रहे थे ।। कोई निर्भय मरा था दिल लगा कर। सभी अपना कलेजा टो रहे थे।। निर्भय चौहान १२२२ १२२२ १२२ ©निर्भय चौहान #autumn Kumar Shaurya Rakhee ki kalam se Vishalkumar "Vishal" Nazar Sukoon Ki Baat
निर्भय निरपुरिया
तुम हृदय की वेदना से झंकृत कर दो ये वीना। बीते सारे सुख के मौसम,आ गया दुख का महीना।। जिस गति से चढ़ गया था, उस गति से लौट आया। ज्वार ये कैसा है निर्भय,नहीं है सर्दी,नहीं पसीना।। ©निर्भय चौहान Yogendra Nath Yogi POONAM GUPTA Dhyaan mira Rakhee ki kalam se Mukesh Poonia Yogendra Nath Yogi POONAM GUPTA Dhyaan mira Rakhee ki kalam s