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lalitha sai
जीवन में हर रहा पर फूल होंगे.. ये जरुरत तो नहीं.. कांटे भी बहुत सारे होंगे... हर राह की कांटों को हटाकर.. आप बस हिम्मत से चलते रहना... इस जीवन के सारे मुश्किलों का सामना.. बस हस्ते हस्ते करते रहना...❤️❤️ #goodwalimorning #positivethinking #positivevibes #lalithasai #myworld सुनो.. कभी कभी शत्रुवों को हराने के लिए.. समा, दाम,दंड,भेद..
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} (Gold) सोने से विभिन्न प्रकार के आभूषण बनते हैं, वैसे ही भगवान श्री कृष्ण जी की अलग -अलग देसों में, विदेशों में, जिलो में, प्रान्तों में, अलग-अलग भाषाओं में, अलग-2, रूपों में, विभिन्न प्रकारो से, अलग-अलग नामों से, अनोको विधियों से पूजा, अर्चना, परार्थना, सेवा, चिंतन, मनन, भजन, भक्ति होती है। भगवान का हर जगह हर पल में अनोको रूपों में श्री हरि का अवतार होता है।। ©N S Yadav GoldMine #Anticorruption {Bolo Ji Radhey Radhey} (Gold) सोने से विभिन्न प्रकार के आभूषण बनते हैं, वैसे ही भगवान श्री कृष्ण जी की अलग -अलग देसों मे
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
Vedanta Gurukulam Educational Institute PSYCHOLOGICAL WORLD प्रकरण- शिक्षण विधियां जिस ढंग से शिक्षक शिक्षार्थी को ज्ञान प्रदान करता है उसे | शिक्षण विधि (teaching method) कहते हैं। "शिक्षण विधि" पद का प्रयोग बड़े व्यापक अर्थ में होता है। एक ओर तो इसके अंतर्गत अनेक प्रणालियाँ एवं योजनाएँ सम्मिलित की जाती हैं, दूसरी ओर शिक्षण की बहुत सी प्रक्रियाएँ भी सम्मिलित कर ली जाती हैं। कभी-कभी लोग युक्तियों को भी विधि मान लेते हैं; परंतु ऐसा करना भूल है। युक्तियाँ किसी विधि का अंग हो सकती हैं, संपूर्ण विविध नहीं। एक ही युक्ति अनेक विधियों में प्रयुक्त हो सकती है। Presented by -- DR . Krishna Classes ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust Vedanta Gurukulam Educational Institute PSYCHOLOGICAL WORLD प्रकरण- शिक्षण विधियां जिस ढंग से शिक्षक शिक्षार्थी को ज्ञान प्रदान करता है उ
Ravendra
Divyanshu Pathak
इदं ज्ञानमुपाश्रित्य मम साधर्म्यमागताः! सर्गेअपिनोपजायन्ते प्रलये न व्यथन्ति च !! :कृष्ण बोले-😊 ज्ञान का आश्रय पाकर ही मेरे स्वरूप को जाना जाता है। ज्ञान के सहारे से ही स्वयं को समझा जाता है । ज्ञान प्राप्त करने से ही मेरे स्वरूप को पाया जाता है । ज्ञान से ही उत्तपत्ति और विनाश से दूर रहा जाता है । गी. अ.-14/02 : 1.ज्ञानार्जन कर स्वयं को जान और मेरे स्वरूप को प्राप्त कर । या 2.मुझ पर पूरी तरह आश्रित हो समर्पण भाव(मन कर्म वचन)से मुझे प्राप्त कर ! जिस रहस्य के बारे में तुमने पूछा वह ये दोनों मार्ग ही तो हैं । : इस रहस्य को मेरे अलावा और कौन जानता है तू जानना चाहता है ना तो सुन -----😊☺ आदिकाल से सूर्य,सूर्य से वैवश्वत मनु मनु से इच्छवाकु,इच्छवाकु से राजऋषियों ने इस ज्ञान को जाना ऋषि ,महर्षि,मनीषियों ने समझा इसी तरह यह ज्ञान परम्परागत तरीके से वितरित होकर अनन्य प्रेम भक्ति से कर्मयोग से पूण्यशील ब्राह्मण,और मुझे समझने की लालसा रखने वाले सभी प्रबुद्धजन के पास स्थित है । उनके सानिध् में शिष्य बनकर प्राप्त किया जाता है । 💕🐇☕🐦☕ 💕🐇#ज्ञान🐇🐦#भक्ति☕☕🍫#संस्कार🍵#वैराग्य🍵#अध्यात्म🍵☕🐦#योग💕🐿🐇🐦☕🍫🍵☕🐦 कृष्ण बोले अर्जुन तेरे प्रश्नों का उत्तर मैंने दे दिया है । ज्ञान, ध्यान और क
Gaurav Christ