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Ashutosh Mishra
White ,,,दोस्ती के रंग समय के संग,,, बड़ों की बातों का मुझ पर भी असर है सुना था साहब,,,,,दोस्ती में बड़ा दम है कोई पूछे भुझसे दोस्तों का हाल हुआ करते थे कभी मेरे भी कई दोस्त होती थी खूब मौज मस्ती दोस्तों के संग साथ खेलना खाना जी भर मौज मस्ती रंग बचपन के दिन बीत गए आई अब जवानी अलग हो गई सबकी फिर अपनी अपनी कहानी अब तो सबके जीवन में आ गई जिममेदारी बढने लगी दूरियां जीवन में कौन दोस्त कैसी यारी पहले कभी कभार फोन पर बातें हो जाया करतीं थी अब तो केवल यादों के संग रह गई यारी,,,,,,यादों के संग रह गई यारी।। अल्फ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #Dosti बड़ो की बातों का मुझ पर भी है असर सुना था,,,,, दोस्ती में है बड़ा दम। #दोस्त #दोस्ती #दोस्ती_शब्द_नही_एहसास_है #दोस्तीकेरंग-समय क
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत:- डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है । आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।। डर नहीं इंसान तू अब .... जा झुका ले शीश उनको कष्ट सारे दूर हों । जब शरण उनकी ठिकाना क्यों यहाँ मजबूर हों ।। आस जिसने भी लगाई वो न खाली हाथ है । जो न माने आज इनको वो बड़ा नादान है ।। डर नहीं इंसान तू अब.... राम के ही भक्त है वह राम का ही नाम लें । राम के वह नाम बिन देखो न कोई काम लें ।। राम का तू जाप कर ले राम ही आधार हैं । राम का ही नाम सुनकर खुश सदा हनुमान है ।। डर नहीं इंसान तू अब.... काम इस संसार में कोई हुआ ऐसा नही । दूत दानव दैत्य जो सुन नाम हनु कांपा नही ।। व्यर्थ फिर चिंता तुम्हारी है सुनो संसार में । सब सफल ही काज होंगे जब कृपा हनुमान है ।। डर नहीं इंसान तू अब... जानते हैं लोग भोलेनाथ के अवतार हैं । राम जी का काज करने को सदा तैयार हैं ।। इस जगत में भक्त इनसा सुन जगत में है नही । राम का ही नित्य करते ये सदा गुणगान हैं ।। डर नहीं इंसान तू अब .... डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है । आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।। २३/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत:- डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है । आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।। डर नहीं इंसान तू अब .... जा झुका ले शीश उनको कष्ट सारे
Shivkumar
hanuman jayanti 2024 ।। हनुमंत वीर ।। आओ हिल मिल मंगल गान गाएं । रामेष्ट का जन्मदिवस मुस्कान संग मनाएं । जन्मोत्सव बजरंगबली का बहुत हर्षाता । मां अंजनी का लाल दुख करता सबके दूर । बाल्यकाल से ही जग में हुआ नाम रोशन । पवनपुत्र हनुमानजी पीड़ा हरते हर जन की । महाबल के हो धनीन्। दर्प का आप करते नाश । राम जी के लाडले करते सबके काज । सीता मैया के अतिप्रिय वीर हनुमान । पवन वेग से जा लाए संजीवन बूटी । मूर्छित लक्ष्मण के प्राण दाता कहलाए । सीता मैया का पता लगा राम के लाडले बने । जन जन का आप रखते ख्याल । दसग्रीव दर्पहा का करा नाश । रोट, गुड़, मोती चूर के लड्डू का भोग मन भाता । राम जी के चरणों के अलावा कहीं ना सुहाता । नमन चरणों में बालाजी आपको बारम्बार । करो सारे जग का कल्याण । ©Shivkumar #hanumanjayanti24 #हनुमानजयंती #हनुमानजन्मोत्सव #हनुमान #hanumanjayanti #Hanuman #Nojoto ।। हनुमंत वीर ।। आओ हिल मिल मंगल गान गाएं । रा
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
AARPANN JAIIN
White अकेलापन की राहों में खोया उदासी का संग साथ लिया मन की गहराइयों में छुपा सड़कों की ये अजनबी यादें लिया धुंधली रातों में खोया सफर मन में है एक गहरा दर्द छुपा राहों में फिर भी तन्हाई का एहसास सड़कों की ये कहानी अधूरी सा ख्वाब ©AARPANN JAIIN अकेलापन की राहों में खोया उदासी का संग साथ लिया मन की गहराइयों में छुपा सड़कों की ये अजनबी यादें लिया धुंधली रातों में खोया सफर मन में है ए
Bharat Bhushan pathak
White क्षमा,दया,तप,त्याग,मनोबल, बस भारत की सीख यही। करना मेहनत पसन्द हमें ,सुनें कभी भी भीख नहीं।। क्षमा,दया जो हमको प्यारा, दुर्बल हम हैं मत समझें । प्रीत करें हम सबसे पर जी,अवसर पर घातक समझें।। ©Bharat Bhushan pathak #VoteForIndia क्षमा,दया,तप,त्याग,मनोबल, बस भारत की सीख यही। करना मेहनत पसन्द हमें ,सुनें कभी भी भीख नहीं।। क्षमा,दया जो हमको प्यारा, दुर्ब
Sangeeta Kalbhor
कागज पर उतर आओ ना.. लिखने बैठी हूँ मैं तुम्हें कागज पर उतर आओ ना नही सुझ रहा है कैसे लिखूँ तुम ही लिखने आओ ना..... लिख देना ओ सब बातें जो मैं तुमसे कहना चाहती हूँ हूँ दूर ही सही पर ऐ दिल मैं तुमसे दूर नही रह पाती हूँ लिख देना वो भी मुराद तुमसे कोई गिला शिकवा नही तुम हो प्रीत मेरी.... तुम्हें भूल पाना संभव ही नही देखो तुम ए भी लिख देना कोई अधिकार नही तुम पर तुम जहां में जहाँ भी रहो प्रेम करती रहूँगी तुम्ही पर..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor कागज पर उतर आओ ना.. लिखने बैठी हूँ मैं तुम्हें कागज पर उतर आओ ना नही सुझ रहा है कैसे लिखूँ तुम ही लिखने आओ ना..... लिख देना ओ सब बातें
Bhanu Priya
sunset nature तुम्हारी खिड़की पर आके रुकूंगी पवन बनकर तुम्हारे इत्र में मिल जाऊंगी सुगंध बनकर स्पर्श करके तुम्हें उन दीवारों में समा जाऊंगी खुशबू बनकर पट में लिपटकर तुम्हारे खुद को सिलवा कर उन धागों संग खुद को उलझा कर बसेरा अपना बना लूंगी तुम बस महसूस करना तुम्हारे आशियाने में रहकर मैं गीत अपने गाउंगी । ©Bhanu Priya #its_poetry तुम्हारी खिड़की पर आके रुकूंगी पवन बनकर तुम्हारे इत्र में मिल जाऊंगी सुगंध बनकर स्पर्श करके तुम्हें उन दीवारों में समा जाऊंगी खु