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अपनी कलम से
बापू ने एक सपना था बुना, बिटिया की ब्याह कुछ इस कदर करवानी है, देखते रह जाएं लोग सारे, ऐसी हीं ब्याह रचानी है। मुंशी जी तैयार थे इंतजार में, कि कब वो आएगा, जमीन पर नजर जो टिकी थी उनकी, आखिर कैसे वो हमें लिख जाएगा। कोई रास्ता न था बापू के पास, आखिर मुंशी के पास जाना हीं पड़ा, धीरज बांधे, सहमे हुए बापू को, आखिर में जमीन लिखकर आना हीं पड़ा। चल बेटा, अब तुझे परेशान होने की कोई जरूरत नहीं, ब्याह का सारा खर्च मैं उठाऊंगा, आखिर परी बिटिया मेरी भी तो बिटिया हीं है, उसकी बिदाई अच्छे से कराऊंगा। मुंशी के बोलते हीं, रोम -रोम सिहर उठा था बापू का, सोचा कैसा निर्लज्ज है, अब परी को अपनी बिटिया भी कहने लगा, बापू कुछ बोल नहीं पाया, सिर हिलाकर घर को चला आया। अब मानों सुरु होने लगीं थीं तैयारी ब्याह की, मुंशी की जो मेहरबानी थी, न्योता भेजवाने लगें थे बापू अब, सारे कामों को अच्छे से निभानी थी। गांव के पंच को बुलाया गया, सामानों की सूची जो तैयार करवानी थी, सजावट में न रखनी थी कोई कमी, बारातियों का स्वागत भी अच्छे से करानी थी। सारे सूची हो गए थे तैयार, मुंशी जी कमर कस हो गए थे तैयार। शहनाई वालों को बुलवाया, तंबू वालों को बुलवाया, किराया क्या था इनलोगों का, कहीं से था पता करवाया। घर के सजावट को लेकर, था पड़ोस से कुछ सजानेवाले आदमी को बुलवाया, था क्या? आखिर में सबको भाड़े पर ब्याह के खातिर था बुलवाया। समान की खरीददारी भी सुरु सी हो गई, अब लग रहा था मानों ब्याह की तैयारी भी शुरू सी हो गई। मेहमानों का आना भी शुरू हो चला, मानों घर में रौनक सा अब छानें लगा। ब्याह के गीत भी घर में थें गूंजने लगें, बुजुर्गो का आना -जाना भी अब लगने लगा। सबकी जान जो बसती थी परी बिटिया में, ब्याह के बहाने हीं सही, फिर से घर परी बिटिया का मुस्कुराने लगा। मेहमानों के भी क्या दिन हुआ करतें थे, न कोई खबर, न हीं कोई फिकर, जिस समारोह में जाया करते थें, उसी में रहते थे बेखबर। बुजुर्गों से मिलना -जुलना, सबकी हाल -खबर लेते रहना, खेत -खलिहान घूमना, साथ हीं हर काम में हाथ बटाना, इनका यहीं सारा काम होता था, पहर -दो -पहर। फिर क्या..... ©dashing raaz भाग -१४ बापू ने एक सपना था बुना, बिटिया की ब्याह कुछ इस कदर करवानी है, देखते रह जाएं लोग सारे, ऐसी हीं ब्याह रचानी है। मुंशी जी तैयार थे इं
अर्पिता
बेटियों को चाहे! कितने वर्षों पहले ब्याहा जाये, वो लगाव हमेशा ब्याहे जाने वाले के साथ से ज्यादा ही महत्वपूर्ण होता हैं । ©अर्पिता #ब्याह
दमन कटारिया
ई ब्याह आले सीजन मे काम कडा मन्नै यो करना सै गोत लिखा के मेरे आले तेरा नाम बडा मन्नै करना सै कण्ठी,टिका ,बाली,तागडी टुम गढाउ सोनै की पहन के ब्याह मे अपने इनके दाम मै तन्नै इजाफा करना सै अरे.. रूक जा 'दमन' कदे फेर कहदै तु आगलै साल बालका का नाम मन्नै ऐ धरना सै साडी सुट बाड मे गए लहंगा, लांजा पहरीये फेरे पै दिन आप्पै बन जागा जब चेहरा दिख्खे तेरा रोज सवेरे रै बारातियों तै तो मै कह दुगा मत खोइयो अपने आपे नै चौधरन ते कह दे मेरे बाबू की, थोडा जोर लगावै थाप्पै मै बुलाऊगा ब्याह मै अपने तेरे उस खास नै भी उसने ऐ ते तेरे ऊपर कै खील फकान का काम करना सै हरियाणवी ब्याह
JD
लड़कियाँ ब्याह दी जाती हैं सरकारी मुलाजिमों से, जमीनों से, दुकानों से, बस वो ब्याही नहीं जाती तो अच्छे विचारों से, उनकी मर्ज़ी से, दिल मिले इंसानों से ©JD #ब्याह #HappyDaughtersDay2020
CK JOHNY
बहुत हो चुका बर्बादी का रोना आज गीत आज़ादी के गायेंगे। बेरंग हो चुकी इस ज़िंदगी में आज हम तिरंगा इक रंग जायेंगे। कुर्बानी का रंग कुछ रंग अमन का हरा भरा रंग भर देंगे अपने चमन का। हर तरफ खुशियों के फूल खिल जायेंगे। बहुत हो चुका बर्बादी का रोना आज गीत आज़ादी के गायेंगे। गरीबों कुचलों के आँसू पोंचे हाथ थाम उनका कुछ सोचें। हर हाथ को काम दें पैरों पर उन्हें खड़ा करें। अपने हिंदुस्तानी होने का हक अदा करें। देखो कैसे फिर सबके दिल मिल जायेंगे। बहुत हो चुका बर्बादी का रोना आज गीत आज़ादी के गायेंगे। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 15.08.2020 आज़ादी के गीत