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Datta Dhondiram Daware
मनुवादी किडे अधिकच वळवळत आहे..! करु शकत नाही कुणी तुझी तुलना, जळत होते आणि जळत आहे..! ज्ञानाचा पसारा तुच मांडला, न्यायहक्कासाठी तुच भांडला! केली नेस्तनाबूत जूलूमशाही, ना थेंब कधी रक्ताचा सांडला! ऊध्वस्त करण्या तुझ अस्तित्व, मनुवादी पावल पुढ वळत आहे! खरच, बा भिमा करु शकत नाही कुणी तुझी तुलना जळत होते आणि जळत आहे! ह्यांच्या सडक्या मेंदूत जन्मते सडकी घृणा.. ना कोमल मन हृदयी कठोर पाषाणा.. कधी तुझी विटंबना कधी क्रूर जातीय हल्ला.. भडवे,दलाली,मुर्दाड, तुझ्या नावावर भरत आहे गल्ला.. गुलामी केली आजवर, आता मानसीक गुलामी छळत आहे.. खरच बा भिमा करु शकत नाही कुणी तुझी तुलना, जळत होते आणि जळत आहे.. सम्राट दत्ता डावरे ९७३००३७०५३ मनुवादी विचार
सतीश तिवारी 'सरस'
डॉ. प्रकाश जी डोंगरे की पंक्तियाँ जलती सड़कों पर जो एक अकेला आदमी गुलमोहर की तलाश में नंगे पाँव जा रहा है व्यवस्था का सूरज सबसे अधिक उससे ही घबरा रहा है। ''बूढ़ा पिता और आम का पेड़'' काव्य संग्रह से साभार ©सतीश तिवारी 'सरस' #व्यवस्था
Author Harsh Ranjan
दुनिया के कानूनों ने मुझे ये सिखाया है कि घोड़ा और गधा एक है, व्यवस्था की नजर में! या कहें कि घोड़ापन अथवा है। दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है। सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है! भूख और भूख का डर जल और वायु से भी पर्याप्त है। कमाने वालों को कम खाने के गुण बताए जा रहे हैं और लोग उनकी रसोई के आटे-दाल से भंडारे करवाये जा रहे हैं। किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है, एक किसान दो फसल काटकर भी आयु में उतना कमाता है कि उसके तीन पुश्त एक भी रात भूखे न गुजारें! पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं कि बेरोजगारी के दिन-रात बिस्तर पर न गुजारें! अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था
Author Harsh Ranjan
दुनिया के कानूनों ने मुझे ये सिखाया है कि घोड़ा और गधा एक है, व्यवस्था की नजर में! या कहें कि घोड़ापन अथवा है। दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है। सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है! भूख और भूख का डर जल और वायु से भी पर्याप्त है। कमाने वालों को कम खाने के गुण बताए जा रहे हैं और लोग उनकी रसोई के आटे-दाल से भंडारे करवाये जा रहे हैं। किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है, एक किसान दो फसल काटकर भी आयु में उतना कमाता है कि उसके तीन पुश्त एक भी रात भूखे न गुजारें! पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं कि बेरोजगारी के दिन-रात बिस्तर पर न गुजारें! अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था
somnath gawade
प्रचलित व्यवस्थेविषयी 'व्यवस्थित' बोलले नाहीतर 'व्यवस्था' आपल्याला व्यवस्थित जागी पोहचविते. 🤣😂 #व्यवस्था
Mahesh Kumar
जब तक देश के गद्दारों को कानून का डर नहीं होगा । तब तक देश की समस्याओं का कोई भी हल नहीं होगा । कानून व्यवस्था
Satendra gupta
शिक्षा मे इतनी बदहाली क्यों है, पद गुरु का सारा खाली क्यों है? एक - एक कर टूट रहे है हम, शिक्षा के नाम पर थाली क्यों है? योजनायें जो भी निकलती है अब, सारी की सारी जाली क्यों है? गर पूछ लो अधिकारी से बात, तो निकलता मुँह से गाली क्यों है? इस बार हो जायेगी सबकी भर्ती, कह - कह कर टाली क्यों है? सतेन्द्र गुप्ता शिक्षा व्यवस्था
Deepa Didi Prajapati
खुशनसीब होगी उस रोज धरा, वास्तविक खुशी से खिलखिलाएगी। कानून व्यवस्था कर सके ऐसी, सरकार कभी गर मिल पाएगी। ©Deepa Didi Prajapati # कानून व्यवस्था
Godambari Negi
रहें सदा व्यवस्थित, बनी रहेगी व्यवस्था। दूर रहता संकट, बुरी न आये अवस्था।। अच्छा करो प्रबंध, रखें व्यवहार स्व कोमल। जीवन में मिले सुख, भाव जब रहता निर्मल।। ©Godambari Negi #trafficcongestion व्यवस्था