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Eshwari
White प्राण गेल्यावरही "नेत्र" चार तास जिवंत असतात या चार तासात आपल्या माणसांची वागणूक पाहून प्राणशून्य देहाला "मरण" म्हणजे खुप मोठं गिफ्ट वाटत असेल..... ईश्वरी ©Eshwari #मरण एक आनंद
#मरण एक आनंद
read moreShailendra Anand
रचनादिनांक,,7,, नवम्बर,,2024 वार शनिवार समय सुबह पांच बजे ््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् ्शीर्षक ् ््छाया चित्र में सृष्टि सृजन में एक नज़र में समभाव निष्ठ विचार ऐकत्व एकमेव नियती संसार जगत है,, जींव जंन्तु जीवन में एक सूर्य चंद्र दर्शन सपनो में प्यार प्रेम और विश्वास जगत पिता त्वमेव विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य ज्योति प्रकट हो प्यारा हिंदुस्तान हमारा है ्् ्््् नज़र ही नजर में एक बार की जिंदगी को, हमेशा के लिए सम्पूर्ण भारत प्रजातांत्रिक देश की व्यवस्था बेहतर बनाने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।। यही नजारा देखता हूं जो नज़र और नजरिया समझ कर खैला ही सुन्दर पल अनमोल घड़ी विलक्षण प्रतिभा को निखारना स्वयं को परखना तन मन को शांति प्रदान करे,, खोटा सिक्का चलता नहीं है,राम नाम सुखदाई है, रावण उसका सबसे बड़ा कारण मजमा लगाकर भोलेनाथ को प्रसन्न कर मदारी बनाकर अयोध्या में जन्म दिवस मंगलमय हो ऐसा खैला रावण ही कर सकता है।। , जो हर कोई ओर कर भी नहीं सकता था,, जो सेतुबंधेश्वररामेश्वरं में जो पंण्डित आचार्य दशानन रावण ही यजमान से दक्षिणा में वो सब लेता है।। जो धरती पर साकार लोक में अपना और अपने वंश का कल्याण ही जग में जगदीश्वरी मां जानकी भुमिपुत्री से सजाया गया,, जिसे हम अच्छे ख्यालात से राम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं ।। तो दुनिया में रावण का भी इन्सानी मानस में शास्त्र में,, प्रकाशवान जो सुर्य तेज पुंज सम है।। ्कवि शैलेंद्र आनंद 7,, दिसंबर,,2024,, ©Shailendra Anand भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
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रचना दिनांक। 4,, दिसंबर,,2024,, वार बुधवार समय सुबह पांच बजे ्््भाव से काम कर रहे वह आज चेहरे पर मुस्कान लिये अधरो की मुस्कान बने,, यही मेरी स्वरचित कविता भाव में स्थित सोच पर जिंदगी में, एक स्वर पुकार नाद प्रेम शब्द ही आनंद है ््् ््निज विचार ्् ्भावचित्र ् भावचित्र में सनातन वैदिक विचारधारा शाश्वत सत्यता पर ख्यालात अपने विचार व्यक्त आस्था प्रकट कर सकते हैं ् वर्तमान समय में जिस प्रकार निराकार साकार लोक में भ़मण करते हुए ईश्वर रुप में भारतीय नागरिक मतदाता होने पर एक दिलचस्प बात यह है, देश में अवाम में खुशहाली आती है तो देश आगे बढ़ेगा और आज हमारे देश में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा आयोजित सेवा में समर्पित करिष्यामि नमन वन्दंनीय है,, ्््भावचित्र है मां गौमाता को राष्ट्रीय पशु घोषित कर सकल सनातन विचार सच में एक जीवंत प्रयास करें ,, यही भाव से मेरी स्वरचित रचना में मालवी भाषा में, कुछ लिखने का प्रयास किया गया है ्शीर्षक ् मनुज जणम जोणि में धरम करम का रोणा में, रौवे जींव जगत का मैला ढोने लाग्या रै््।।1।। ।म्हणे मनुज जणम पायोजी मैंने,, थाके सेवाणी गौवंश गौसेवा में, सजल नयन अश्रुजल से,नहलायो तन मन को।।2।। चौरासी लख जणम जोणि में,, पण मण धण में जींव म्हारो असो लांगे।।3।। माणो गौरक्षधाम प्यारों श्याम सुंदर णे , माखण मिश्री की मटकी फोड़ी, ग्वाल धेनूबाल संग वन में रोटीयां से , माखण सब कुछ,बांटचुटकर खावी जावे।।4।। तण मण जोगण बरसाणा में,, लागी लगण राधिका श्याम में।।5।। मण धण में जींव म्हारो घट में,, लुफ्त है प्राण असो प्यारो लांगे रै।।6।। मण आंन्दणो जाणो माणो,, गौरक्षधामणो में पंछी बणके, रचिया बसिया चुगणा लाग्या।।7।। प्रेम भक्ति का दाणा चुगिणे ,, चाल्या अपणा अपणा घोंसला में।।8।। ््कवि शैलेंद्र आनंद ् 4, दिसंबर 2024,, ©Shailendra Anand भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
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रचना दिनांक 30,, नवम्बर,,2024 वार शनिवार समय। सुबह पांच बजे ्््भावचित्र ््् ्््निज विचार ््् ्््शीर्षक ््् ््््देश धर्म राष्ट्र कर्म ही पूजा और संविधान है,, जो जाति धर्म संप्रदाय वर्णाश्रम से सबको बांधकर रखें , वो हम में सबमें अनूठा प्रभावी रुतबा कायम दीप प्रज्जवलित करके, शहीदों की कूरबानियों का आयना नज़रिया सहज महज़ एक जीवंत, देशभक्ति गीत संविधान धर्म कर्म है ््् ््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् माना कि मेरे मित्र कलम दवात कागज पर लिखकर दे सकता हूं कि आप अपने विचार रखे ताकि सही रूप से जीवन पद्धति में आचार विचार व्यक्तित्व में निखार आता रहे,, व्यक्ति मैं जिंदगी में व्यवहार में सहजता सरलता विनम़ता में कहीं ना कहीं परम्परागत रूप से अनुवांशिकी गुणात्मक परिवर्तन हर समाज में सभ्यता संस्कृति और इतिहास पुराण में तदसमयाअनुसार तदकालीनराज्य के राजवंश में एक मानसिकता से सजाया गया सत्ता पर काबिज लोगों में समसामयिक घटनाचक्र से और लेखक और कथाकार सजीव चित्रण में राजाओं और उनके परिवार या फिर सिपाहसालारों का इतिहास जरुर उदघृत किया गया हो सकता है।।1।। तब जो भी व्यक्ति अपनी अजब गजब अनौखा सवाल उठाने वाले प्रश्न प्रतिप्रश्न में जान की जोखिम में डालकर मृत्युदण्ड तक दे दिया जाता था,, पहले इन्सान को बोलने की आजादी नहीं रहती थी।।2।। हर युग में आम से खास मुलाकात प्रतिभा को निखारना स्वयं को अग्नि परीक्षा देते हुए की महापूरुष ने समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही बदलाव कुरीतियों पर सदैव तत्पर रहते हुए अंकूश लगाना का प्रबल प्रभाव से सजाया गया है,, ,,यह एक ऐसा सवाल पूछा गयाहैजाति,धर्म,कर्म आधारित मापदण्ड से व्यक्ति अपनी दिशा आत्मप्रेम आत्मसात कर कुछ लगन से अलग से जीवन व्यतीत करते हुए समाज सभ्यता संस्कृति को दिशा देने वाला सदैव महापुरुष जाति बंधन मुक्त रहा है ।।3।। सकल मानव समाज सभ्यता के लिए सम्पूर्ण जीवन में एक स्वर पुकार नाद प्रेम से अन्तर्मन केपरिद़ष्य सम्मान किया गया है,, यह माना कि कुछ लोग अवश्य शासन में शामिल लोगों ने जातियों पर आधारित अत्याचार से यातना पीड़ित रहे होंगे किन्तु परन्तु करने वाले अच्छे लगते नहीं है सच तो सच्चाई है।। तो देश दुनिया सुनती हैं।।4।। पहले इन्सान बनाया मानव जीवन में ,, नरऔर नारी हैतो यह दुनिया में एक निशानी है,, तो जाति धर्म भाषा की बात बईमानी है।।5।। आज विश्व में सबसे विश्वसनीय और मुमकिन है,, जो धरती पर साकार लोक में पहुंच गई है।।6।। जन जन में जनमत सर्वेक्षण ज्ञान, दर्शन, विचार, विज्ञान, प्रेम और तकनीकी धमाल ने विश्व में तहलका मचाने वाली अग्नि परीक्षा हौड कुटनीतिज्ञ में मानसिक सम्प्रेषण शांति वार्ता करो,कार्रवाई दण्ड प्रक्रिया संहिता में कहा है,, काल से लेकर आज तक जनजीवन प्रभावित हुआ है सिर्फ भाग्य में लिखा गया जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।7।। आज हम दिलों से ही इस दुनिया में सबसे विश्वसनीय है तो देश में अवाम में खुशहाली आती है संविधान से सजाया गया है,, वह हिन्दूस्तान सर्व धर्म समभाव निष्ठ विचार से ही पंथनिरपेक्ष धर्मनिरपेक्ष देश भारत प्रजातांत्रिक देश है जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम लेकर चलते रहो जमाने में क्या रखा है।।8।। ््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 30,, नवम्बर,,2024,,रचना दिनांक 30,, नवम्बर,,2024 वार शनिवार समय। सुबह पांच बजे ्््भावचित्र ््् ्््निज विचार ््् ्््शीर्षक ््् ््््देश धर्म राष्ट्र कर्म ही पूजा और संविधान है,, जो जाति धर्म संप्रदाय वर्णाश्रम से सबको बांधकर रखें , वो हम में सबमें अनूठा प्रभावी रुतबा कायम दीप प्रज्जवलित करके, शहीदों की कूरबानियों का आयना नज़रिया सहज महज़ एक जीवंत, देशभक्ति गीत संविधान धर्म कर्म है ््् ््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् माना कि मेरे मित्र कलम दवात कागज पर लिखकर दे सकता हूं कि आप अपने विचार रखे ताकि सही रूप से जीवन पद्धति में आचार विचार व्यक्तित्व में निखार आता रहे,, व्यक्ति मैं जिंदगी में व्यवहार में सहजता सरलता विनम़ता में कहीं ना कहीं परम्परागत रूप से अनुवांशिकी गुणात्मक परिवर्तन हर समाज में सभ्यता संस्कृति और इतिहास पुराण में तदसमयाअनुसार तदकालीनराज्य के राजवंश में एक मानसिकता से सजाया गया सत्ता पर काबिज लोगों में समसामयिक घटनाचक्र से और लेखक और कथाकार सजीव चित्रण में राजाओं और उनके परिवार या फिर सिपाहसालारों का इतिहास जरुर उदघृत किया गया हो सकता है।।1।। तब जो भी व्यक्ति अपनी अजब गजब अनौखा सवाल उठाने वाले प्रश्न प्रतिप्रश्न में जान की जोखिम में डालकर मृत्युदण्ड तक दे दिया जाता था,, पहले इन्सान को बोलने की आजादी नहीं रहती थी।।2।। हर युग में आम से खास मुलाकात प्रतिभा को निखारना स्वयं को अग्नि परीक्षा देते हुए की महापूरुष ने समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही बदलाव कुरीतियों पर सदैव तत्पर रहते हुए अंकूश लगाना का प्रबल प्रभाव से सजाया गया है,, ,,यह एक ऐसा सवाल पूछा गयाहैजाति,धर्म,कर्म आधारित मापदण्ड से व्यक्ति अपनी दिशा आत्मप्रेम आत्मसात कर कुछ लगन से अलग से जीवन व्यतीत करते हुए समाज सभ्यता संस्कृति को दिशा देने वाला सदैव महापुरुष जाति बंधन मुक्त रहा है ।।3।। सकल मानव समाज सभ्यता के लिए सम्पूर्ण जीवन में एक स्वर पुकार नाद प्रेम से अन्तर्मन केपरिद़ष्य सम्मान किया गया है,, यह माना कि कुछ लोग अवश्य शासन में शामिल लोगों ने जातियों पर आधारित अत्याचार से यातना पीड़ित रहे होंगे किन्तु परन्तु करने वाले अच्छे लगते नहीं है सच तो सच्चाई है।। तो देश दुनिया सुनती हैं।।4।। पहले इन्सान बनाया मानव जीवन में ,, नरऔर नारी हैतो यह दुनिया में एक निशानी है,, तो जाति धर्म भाषा की बात बईमानी है।।5।। आज विश्व में सबसे विश्वसनीय और मुमकिन है,, जो धरती पर साकार लोक में पहुंच गई है।।6।। जन जन में जनमत सर्वेक्षण ज्ञान, दर्शन, विचार, विज्ञान, प्रेम और तकनीकी धमाल ने विश्व में तहलका मचाने वाली अग्नि परीक्षा हौड कुटनीतिज्ञ में मानसिक सम्प्रेषण शांति वार्ता करो,कार्रवाई दण्ड प्रक्रिया संहिता में कहा है,, काल से लेकर आज तक जनजीवन प्रभावित हुआ है सिर्फ भाग्य में लिखा गया जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।7।। आज हम दिलों से ही इस दुनिया में सबसे विश्वसनीय है तो देश में अवाम में खुशहाली आती है संविधान से सजाया गया है,, वह हिन्दूस्तान सर्व धर्म समभाव निष्ठ विचार से ही पंथनिरपेक्ष धर्मनिरपेक्ष देश भारत प्रजातांत्रिक देश है जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम लेकर चलते रहो जमाने में क्या रखा है।।8।। ््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 30,, नवम्बर,,2024,, ©Shailendra Anand Hinduism््देशभक्तिऔर संविधान में न्याय निष्ठा ही मानव धर्म कर्म है ्् कवि शैलेंद्र आनंद
Hinduism््देशभक्तिऔर संविधान में न्याय निष्ठा ही मानव धर्म कर्म है ्् कवि शैलेंद्र आनंद
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््रचनादिनाक ,29,, नवम्बर,,2024 वार,, शुक्रवार समय दोपहर 11,00 ््निज विचार ्् ््शीर्षक ्् ््लफ्ज़ निकले ध्वनि स्वर पुकार में मुखर हो गये, शायर और शायरा कवियत्री के अल्फाज़ नगीना में,, वो लफ्जो में दर्द नज़्म,ग़ज़ल, शायरी से इल्म का मक्ता जेहन से निकले, वो लफ्जो में मेरे रच बस गया ्् भावचित्र ्् आपके लफ्ज़ निकले मुखर हो गये ््नज्म, ग़ज़ल ्,शायरी, से ,, अपने इल्म का मक्ता जेहन से निकले वो दर्द का जूनून इस दिल में रच बस गया।।1।। ,वो््भावचित्र सेनयन सजल नेत्रों में झलक उठें,, समझो दिल के दरवाजे पर दस्तक हुई,।।2।। और अपने आप में ,, कोई बदलाव रिश्ते में तब्दील हो ।।3।। वो रिश्ता क्या कहलाता है यही इस मुहब्बत के लिये,, खुद ही जिंदगी में इन्सान से,प्रेम करते हुए।।4।। रब के मुलाज़िमों में,, वो शिरकत करने वाले हो जाते है ।।5।। ््कवि््शैलेन्द़ आनंद ्् 29,, नवम्बर,2024 ©Shailendra Anand लव शायरी हिंदी में कवि शैलेंद्र आनंद
लव शायरी हिंदी में कवि शैलेंद्र आनंद
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रचना दिनांक 24,, नवम्बर 2024, वार। रविवार,, समय सुबह दस बजे ्््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् ््शीर्षक ्् ््छाया चित्र में दिखाया गया फूलों से महकते रहे कला संस्कृति साहित्य और कला धर्मी रचनाकार , शब्द शिल्पी कलाकृति मुर्तिकार चित्रकार की, तुलिका से सजाया गया विचार सच है ्््निज विचार ््््भावचित्र ्् कलाधर्मी््् ््शब्द साधिका कलाप्रेमी शब्द मनिषी ््् ््््निजविचार ््् बहुत सुंदर बहुत खुब सिद्धांत सुविधाएं मांगे साक्ष्य सब कुछ उपलब्ध है ,, ,,पत्थर को तराशती तोड़ती पत्थर से निकलते झैनी और हथौड़ी से आकर प्रकार निर्राकार।। आकारहीन हवाओं में रहते,, मन से कलम दवात कागज पर लिखकर ,।। चित्र को चित्रकार,और मूर्ति को मूर्तिकार रचना संवरचनाकी धर्मी रचनाकार कवित्व शक्ति से रूबरू होकर नक्काशी वाले ,, शब्दशिल्पी अपने विचार प्रकार,,मीनु,, अलग अलग गुणों से भरपूर होते हैं ।। जो कला साहित्य विज्ञान कर्म मर्मज्ञ शब्द साधिका है ,, सुर्य के भांति संसार में जगत में चमक रही है।। ््् कवि शैलेंद्र आनंद ््् 24,,11,,2024,, ©Shailendra Anand 'अच्छे विचार' ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद
'अच्छे विचार' ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद
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भावचित्र ्् निज विचार ्् ््शीर्षक ्् ््मन की व्यथा ्् सुंदर रचना सुंदर लेखन रचना है ,, संवरचनाकी से कलम दवात कागज पर लिखकर चित्र बहुत दिल में उतर गया। मेरे मित्र आपके जस्बात से जन्मा विचार सच है,, धन्यवाद् राम में ही आवृत्ति प्रवृत्ति निरन्तर प्रगति विरोध समर्थन दोनों ही आनंद दे सकता है ।। मैं सोच रहा हूं, मैं आपके साथ खड़ा हूं। मसला मक्ता जेहन से अपना रिश्ता अनमोल वचन क्षण पल है ,, सूर्य चंद्र दर्शन सपनो में प्यार अमर उजाला है।। मन खटृटा करने से कुछ बिगड़ने वाला नहीं है,, आप आगे बढ़ो हम दिलों से सजाया गया, भाव भंगिमा इच्छा शक्ति प्रेम शब्द ग़ज़ल में , एक स्वर पुकार नाद प्रेम शब्द है ।। राम नाम सुखदाई है तो देश दुनिया सुनती हैं,, आनंद भयो जग में जगदीश्वरी मां शब्दों में।। ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ्् 22,, नवम्बर 2024 ©Shailendra Anand आज का विचार ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद
आज का विचार ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद
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White रचना दिनांक ,,21, ब नवम्बर 2024 वार गुरुवार समय सुबह ्््पांच बजे ््निज विचार ्् ््भावचित्र ्् ््््शीर्षक ््् ्््छाया चित्र में दिखाया गया गगन निहारते हुए एकाएक ही सुन्दर ,,और सार्थक, है,,, हे मेरा मानना ही जिंदगी में नवगति नव स्वपन में अभिनय कर देख रहा है, चलचित्र द़श्य और द़श्यावलोकन से अपनी दिशा में एक स्वर पुकार , नाद प्रेम शब्द संग्रह में शब्द सरोवर में स्नान करने वाले अच्छे लगते है्् स्वपन आत्मप्रेम आत्मसात करने वाले अच्छे लगते है ्् जीवन मंत्र एक जीवंत प्रयास कर रहे जीवन यात्रा में शामिल समन्वय स्थापित कर रहे हैं ,, आज के परिवेश में दिनचर्या में तीखे सवाल तौर तरीके लौकिक और अलौकिक पारलौकिक शक्तियों से, मायावी संसार में जगत में एक जीवंत मंथन चिन्तन मनन ही जिंदगी है।। ईश प्राप्ति हेतु गुप्त मंत्रसिद्ध स्फटिक माला से जप साधना , अष्टलक्ष्मी धनवंतरी पूजणऔषधीय गुणान्चा माला वैजन्ती माला से जप करें ।। शुभप्रद परिणाम प्राप्त होंगे यह दर्शन करने वाले अगहन मास में मुख्य रूप है ,, मेरे निज विचार है करे साधना प्रकृति में आनंद स्वरुपिणी दैवीय, स्वाहादैवीय स्वपत्नी स्वधादैवीय ,नरनारायण नमोस्तुते नमोस्तुते नमस्ते दैवीय नमः।। अन्न, धन, संपत्ति, धनधान्य से पूर्ण सम्पूर्ण विश्व जगत में निहित निष्ठा और लगन जुनून है,, मेरा जीवन क्षण क्षणिका एहसास क्षणिका में एक स्वर में प्रेम शब्द से, अखिल विश्व में जनजीवन मंगलमय हो प्यारा हिंदुस्तान हमारा है।। आज अशांति और वैमनस्यता से जन्मा है,, वैचारिक मतभेद और जहरीले दंश झेल रही । आकुलता से व्याकूलता से जनजीवन हैरान परेशान जमाने में लोग,, अवश्य ही जिंदगी से जुड़ी हुई घटनाओं से बहुत ही परेशान हैं यह साम्प्रदायिक भेद भाव और धार्मिक उन्माद से जन्मा विचार सच में जहरीले सांप प्रतीत हो रहा है।। ््््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 21,, नवम्बर,,2024,, ©Shailendra Anand #sad_quotes मोटिवेशनल कोट्स ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ््
#sad_quotes मोटिवेशनल कोट्स ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ््
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रचना दिनांक,,,15,, नवम्बर,,2024 वार,,,, शुक्रवार समय सुबह दस बजे ्््निज विचार ््् ््भावचित्र ््निज विचार ्् ्भावचित्र ् ्शीर्षक ् ््दर्द ऐं ग़म पर जमाना हंसेगा, फ़कत अश्क आंखों में हमको छुपाना पड़ा्् कहे तो जाने अंजाने में,, आंखें यूंही बदनाम हो गई ्् प्यार करने वाले खूद ही खुद से,, सवाल जवाब बन गये।।1 ।। जो प्यार नहीं करते है वो प्यार के,, मायने क्या समझेगे।।2 ।। वो बस झुठे किस्से ख्याली पुलाव,, बनाने वाले होते हैं ।।3 ।। जिन्हें किसी की मोहब्बत भरी नज़रों से,, ना था कोई वास्ता ना,ही, कोई रिश्ता नाता, बस वो ग़म ऐं द़र्द पर जिंदगी के मज़ाक उड़ाते हैं।।4 ।। वो लफ्जो का मोल अश्कों का तोल ,, और मेरे प्यारे नयनों में ढलकते अश्कों के छुपने का प्रहर।।5 ।। मेरी मुस्कान मन्द अधर पर ले उड़े होश का आनंद लें,, जो कोमल सा गुलाबी से लाल हो,प्यारी सी जीवन शैली ।।6 ।। शैलेंद्र आनंद की सज गई तस्वीर,, मेरे प्यार की रंगत इस ज़माने में।।7 ।। ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ©Shailendra Anand सायरी मोटिवेशन ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद
सायरी मोटिवेशन ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद
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White रचना दिनांक ्19््10््2024्् वार ््शनिवार ् समय सुबह ्््पांच बजे ्् ्््निजविचार ्् ्््भावचित्र ्््् ्््शीर्षक ््् ्््भारतीय संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में गुंथी हुई घटनाओं और परम्पराओं में ,, चंद्रमा से अपनी रूह में पति पत्नि परमेश्वर से दर्शन करने वाले , करवा पूजन चतुर्थी व्रत चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी है ््् झिलमिलाते वस्त्र धारण करना और अपने आप में कुछ सपने बुनते हैं , जो खून से लथपथ हो प्यारा सा जीवन में एक दर्शन करने वाले चंन्द् माहौल में मस्त रहते हैं ।। महिलाएं ही जिंदगी में पतिवृता वृत करने वाली करवा चतुर्थी व्रत चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी पर , चंद्र दर्शन करने वाले दर्शन में पति का स्वरूप में आंखें खोल कर देखें रही ,, मनोकामनी दृश्य दृष्टि दृष्टिकोण से सजाया गया जिसे हम कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी व्रत , चन्द्रोदय व्यापिनी से अपनी रूह को कंपकंपा देने वाली अग्नि परीक्षा प्रेम श्रद्धा प्यार समर्पण में , सिर्फ त्वमेव त्वमेव विद्या से पति और पत्नी दोनों के प्रेम शब्द से जन्मा विचार ही सुन्दर छबि , मनोमय प्यारी सी मुस्कान होंठ रख कर मधुर मुस्कान मन्द अधर में लटकी हुई , चन्द्रोदय में जीवन यापन कर रही है प्रेम शब्द में प्राणपण लफ्ज़ में समा गई है।। प्रेम की अन्तिम समर्पित करिष्यामि,, नमन वन्दंनीय ््् भावचित्र छबि ही सुन्दर और सार्थक और सारगर्भित आलेख में जीवन जरूरी है।। जो धरती पर साकार लोक में दर्शन भारतीय जनजीवन में कलासाहित्य में, मानसिक रूप से धार्मिक तर्क कथन, कथा साहित्य कोश किंवदंतियां प्रचलित है।। हमारे समाज सभ्यता संस्कृति में, समकालीन परिदृश्य में नजर आएंगी अदृश्य शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है।। यही सच्चाई देखकर सहसा रुक गई तस्वीर छपी ,, मेरे दिल के दरवाजे मन दर्पण दर्शन प्रेम में अटूट आस्था रिश्ते में, प्यार हो प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है।। चित्र मानस में शास्त्र में प्रकाशवान में एक जीवंत प्रयास कला संस्कृति में गुंथी हुई धुन में, मगन मस्त प्यारा सा जीवन है।। अमृत बरसाता है प्रेम शब्द ही जिन्दगी में पहली से आखिरी सांस तक चलायमान है ,, जीवन सार सार्थक निर्णय स्वप्रयास ही सुन्दर छबि है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 19,,,10,,2024्् ©Shailendra Anand #karwachouth Extraterrestrial life ््भावचित्र ््््् में एक जीवंत कलाकृति होती है धन्यवाद् कवि शैलेंद्र आनंद
#karwachouth Extraterrestrial life ््भावचित्र ््््् में एक जीवंत कलाकृति होती है धन्यवाद् कवि शैलेंद्र आनंद
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