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Sadhna Sarkar
Blue Moon आकाश की ऊंचाइयों को छूने की कोशिश में ज़मीन को छोड़ रहे हैं मनुष्य का चोला पहने इंसान किसी जानवर सा सुलूक कर रहे हैं आधुनिकता की होड़ में अपनी अच्छी परंपराओं को तोड़ रहे हैं फैशन के नाम पर अपने तन पर वस्त्र के कुछ चिथड़े लपेट रहे हैं ज्ञान का है जब भंडार अपने देश में तो क्यों विदेशों में भीख मांग रहे हैं भ्रष्टाचार की गिरफ्त में ख़ुद को फंसा कर तरक्की की बात कर रहे हैं राह चलती किसी स्त्री या बच्ची को यूं लार टपकाएं आंखों से निगल रहे हैं आज़ भी किसी स्त्री या बच्ची को बेखौफ कहीं निकलने में थोड़ा तो झिझकते हैं कहीं पर किसानों की उपजाऊ जमीन कौड़ी के दर से बिक रहे हैं तो कहीं अनुपजाऊ वाली ज़मीन चालाकी से सोने के भाव में बिक रहे हैं एक ही देश एक ही समाज के लोग होने के बाद भी इतने असामाजिक हो रहे हैं क्या करें की अब तो लगभग लोगों के होठों पर चुप्पी के ताले पड़े हुए हैं ©Sadhna Sarkar #ankahe_jazbat मन के विचारों को लिखा है, इसे लिखने में हुई मेरी भूल त्रुटि को क्षमा करें 🙏
!! Akash Maurya!!
Bulbul varshney
प्रेम पत्र जब लिखा था हमने जब उनसे पहली बार पहली मुलाकात और पहली मोहब्बत का एहसास हुआ था। ©Bulbul varshney #Likho #love प्रेम पत्र लिखा है हमने।
Koyes Ali
आता नही था मुझे दिल लगाना ! पता नही कैसे सीख गए प्यार करना! रुकते नहीं थे कभी एक पल किसी के लिए ! अब जन्म जन्म इंतजार करना अच्छा लगता है तुम्हारे लिए! ©Koyes Ali ##प्यार के लिए दो लाइन लिखा है अच्छा लगा तो लाइक कमेंट करए ##
bhim ka लाडला official
kuldeep singh (akku Bhai)
हम बंदेमात्रम ट्रेन नही है हम तो वो कौआ है जो एक _एक कंकड़ डालकर पानी पीना पसंद करता है ©kuldeep singh (akku Bhai) #retro बंदे मातरम ट्रेन
Snehi Uks
Arun Mahra
खुद हमारे नसीब में दुख है खुशी हमारे नसीब में है कहां कोई हमसे प्यार करे ना हम जी रहें हैं अभी ना हम इस वक्त हैं अभी माता धरती के ऊपर हम इतने खुशनसीब कहां ©Arun Mahra खुद हमारे नसीब में लिखा है दुख तो आप आज हमे कहां ढूंढ रहें हैं ये कुदरत का खेल है हर प्यार को पाने के लिए
Dev Rishi
Village Life वो लिखा ही नहीं..... खुली खेतों की पगडंडी पर मस्ती से चलना धान गेहूं मक्का के शीश को तोड़ फिर वही फेक देना हमने वह भी किया जामुन के पेड़ों पर दिन भर लटकना पर कौन लिखें, ..? वो दिन ....वह बचपना के मस्ती भरी बातें जिक्र अब कर लेते हैं, हां शब्दों में रख लेते हैं पर हम किसी से ये नहीं कह पाते हैं कि...... उन दिनों की याद शहरों में रोज आतें हैं.... जब एक कमरे में दिन की सूय बल्ब हो... गांव छोड़ शहर के किसी मकान में जब घर हो हां ये सच है कि उस कमरे को रूम ही कहते हैं, घर की रौनक वहां कहां, , क्योकि अपना घर तो गांव में होते हैं हमने वो लिखा ही नहीं, जब से शहर ए जाम हाला पीएं है गांव की भूख लगते ही शहर छोड़ गांव की ओर भागे है बहुत छुपाना पड़ता है अपने आप को ...... कुछ झूठी कहानी बतानी पड़ती है अपनों को.... हां इतना बड़े हो जाते हैं कि सब ख़ुद ही देख लेते हैं घर से फ़ोन जब भी आएं सब ठीक है यही सब बतलाते हैं भले दिन औ रात यूं खुले आंखों में बीतें हो सपना और सफ़र कुछ नहीं समझ में आतें हो शब्दों की गाढ़े भी मन को मजबूत न कर पाते हो तब ख़ुद शब्द बन कुछ कहने, लिखने को आतुर हुए है.... फिर भी वह लिखा ही नहीं...... वही जो दर्द ए ताज बनी है.... ©Dev Rishi #villagelife #वो लिखा ही नहीं
Rahul Kushvaha
🥰तेरे प्यार में मैं मर जाना तेरे नाम यह दिल कर जाना हमें ना भुलाना साजन हमें ना भुलाना दूर नहीं जाना हमसे दूर नहीं जाना वादा किया तो वादा करके निभाना🥰 ©Rahul Kushvaha यह गाना लिखा है कैसा लगा बताना