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Zindgi Ka Safar # priyaa
New Year 2024-25 फ़िक्र मत करो, गुज़र जाते हैं वो पल,, जिनका गुजरना मुश्किल होता हैं। । ©Zindgi Ka Safar # priyaa #NewYear2024-25 आज का विचार आज का विचार सुप्रभात आज शुभ विचार
#Newyear2024-25 आज का विचार आज का विचार सुप्रभात आज शुभ विचार
read moreDev Rishi
जीवन की धारा विरक्त धारा है, जहां.. मेहनत और वैराग्य जैसे मन चीत बनना पड़ता है। एक योग की तरह...जीना पड़ता है। ©Dev Rishi आज का विचार
आज का विचार
read moreAnjali Jain
आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है अपनी सुख सुविधाओं के लिए.... फिर स्वयं विवश होती है अपने दुःख और दुविधाओं से...!! ©Anjali Jain आज का विचार 08.12.24 आज का विचार
आज का विचार 08.12.24 आज का विचार
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White पूछती है लेखिनी कह कौन चित्त का चोर है..!! कह कौन मनमंदिर बसा कह कौन वह सिरमोर है..!! कहता हूं तब,जब जो मिला सब भावना का जोर है.. इक यंत्र हूं कुछ भी नहीं कागज़ कलम तक तोर है..!! जो जल रही है ज्योत पावन प्रेम जिसका नाम है बस है वही निर्मल छवि दैदीप्यता नहि थोर है..!! भावों की माटी में मिला मैं नीर अपने प्रेम का गढ़ता हूं जब मूरत मनोहर न दिखा कोई छोर है..!! तृण का हूं तृण, सर्वज्ञ वो , जिससे उजाला है मेरा हूँ मैं अपावन पावना वो , मैं निशा वो भोर है..!! उसमें मुझे जो भी दिखा, उसका ही उसको सौंपता फिर भी ना जाने क्यूँ लगे व्यक्तित्व वो घनघोर है..!! उससे ही मिलती प्रेरणा उससे ही मिलती है दिशा फिर भी ना जाने क्यूँ मेरी चर्चाएं चारों ओर है.. ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #अनुपमा
ashita pandey बेबाक़
कठिन उद्यमों से,मैंने जीवन की माटी ,सींची हैं तकदीरों के मस्तक पर मेहनत की ,रेखा खींची हैं जब जब घाव लगा हैं बढ़ने थोड़ी आंखें भींची हैं अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी ये दुनिया,कांच सरीखी हैं दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं रही धरा पर वास किए सभी कंटकों से जूझी स्वयं विजयश्री की हासिल नहीं कोई इक भी अखियां मेरे घावों पर भीगी हैं कठिन उद्यमों से,मैने जीवन की माटी,सींची हैं ©ashita pandey बेबाक़ #sad_quotes आज का विचार आज का विचार शुभ विचार
#sad_quotes आज का विचार आज का विचार शुभ विचार
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
अनुपमा ------------ रचते रहो नवकृति मनोहर बनके जग की प्रेरणा.. प्रेरित करो मानसहृदय सत्कर्म,सद्गुण से सदा.. कर्तव्य पथ पर बढ़ चलो संघर्ष नित करते चलो.. तुमसे प्रकाशित जग हो सारा नित्य नव कृत कर चलो.. लिख दो जरा अपनी कलम से वीरगाथा वीर की.. चलते रहे सद्मार्ग पर विचलित नही वो धीर की.. श्रृंगार पर, अवतार पर, मनुहार पर लिखते रहो.. अपनी कलम की शक्ति से इंसानियत रचते रहो.. मातृत्व पर, पितृत्व पर,भातृत्व पर मित्रृत्व पर.. हर मर्म पर लिखते रहो लिखते रहो कर्तव्य पर.. धरती गगन उपवन पवन सरिता जलधि वृष्टि सुमन.. कर दो विव्हल पाषाण हिय श्रद्धा से भर जाये नमन.. तुम दीप बन, हर लो तिमिर बन सूर्य आभा भोर से.. फहरे पताका विश्व में यशगान से जय घोष से.. तुम पर,अटल विश्वास है तुम पावनी तुम निर्मला.. ना भूत में ना भविष्य में, होगा ना तुम साअनुपमा.. ©अज्ञात #अनुपमा