Find the Latest Status about सेतु बांध रामायण from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, सेतु बांध रामायण.
Shiv Narayan Saxena
#NojotoRamleela रावण सहित सबको हतप्रभ और दिलों में दहशत भरकर श्रीराम को हनुमानजी ने माता सीता का हाल और संदेश सुनाया. सबकी सलाह पर श्रीराम दल-बल सहित समुद्र तट पर पहुंचे. इन घटनाओं के दूरगामी परिणामों को देख मंदोदरी और विभीषण ने सीती को लौटाकर समझौते का सुझाव दिया. रावण न माना और विभीषण को लंका से निकाल दिया. विभीषण ने श्रीराम की शरण ले ली. अब सबने समुद्र पार करने की बात कही. श्रीराम ने मर्यादा को महत्व देकर समुद्र से मार्ग देने का अनुरोध किया. रावण के डर से तीन दिन बीतने पर भी समुद्र ने मार्ग न छोड़ा तो श्रीराम ने क्रोध का प्रदर्शन कर अग्निबाण का संधान किया. इसपर समुद्र अपने जीव-जंतुओं का हवाला देकर क्षमा मांगने लगा. कोई मार्ग न देखकर समुद्र ने बताया कि आपके दल में नल-नील नामक वानरों के फेंके जानेवाले पत्थर डूबेंगे नहीं. इस प्रकार पुल बनाकर आप सेना सहित समुद्र पार कर सकते हैं. अब श्रीराम के निर्देश पर पुल निर्माण शुरू हुआ. किन्तु, नई समस्या यह आ गई कि नल-नील द्वारा छोड़े पत्थर डूब तो नहीं रहे थे लेकिन इकट्ठे बंधकर पुल नहीं बना पा रहे थे. इस समस्या के समाधान के लिये हनुमानजी ने अपूर्व योजना की. उन्होंने नल-नील से कहा कि तुम केवल वे पत्थर ही समुद्र में छोड़ोगे जिनपर मैं श्रीराम लिख दूँगा. अब वानर पत्थर लाते, हनुमानजी एक पर ' 'राम' का *रा* और दूसरे पर राम का *म* अक्षर लिखते. इस प्रकार *रा+म* के संयोग से तैरते हुये पत्थर अब परस्पर जुड़ते जाते थे. श्रीराम के नाम का गौरव बढ़ानेवाली हनुमानजी की इस लीला केबाद बड़े उत्साह से पुल बनने लगा. इसी अवस्था में भक्त श्रद्धा से कह उठता है कि- *दुनिया चले न श्रीराम के बिना,* *रामजी चलें न हनुमान के बिना.* 🙏🙋♀️ जै श्रीराम! 🙏🙋♂️ 🙏🙋♀️ जै हनुमान!🙏🙋♂️ ©Shiv Narayan Saxena श्रीराम सेतु निर्माण. श्रीराम सेतु निर्माण. #NojotoRamleela
Pushpendra Pankaj
विचार सेतु सफलता एक राजकुमारी है जिसकी पालकी सदैव परिश्रम, युक्ति, सामाजिकता और भाग्य चार कंधों पर चलती है । ©Pushpendra Pankaj #DarkWinters विचार सेतु
vimlesh Gautam https://youtube.com/@jindgikafasana6684
ये इश्क का सेतु है आधे तक इश्क साथी चला जनाब अब रोकर ढलान से अकेले उतरना है।। ©Vimlesh Gautam #इश्क का सेतु
Parasram Arora
सतयुग की रामायन्न क़ो कलयुग तक किसी तरह खींच लाये हैँ हम और इस लम्बी यात्रा मे राम हमसे बिछड़ गया हैँ लेकिन रावण साथ चला आया हैँ ©Parasram Arora रामायण
๔єєрคк ๔гєค๓
वैसे सची बताऊं तो रामायण अब जाकर देखी है ढंग से मैंने, बचपन में तो पूरा ध्यान बाण की लाइट और किसका बाण गायब हुआ इसी में रहता था!! ꧁ঔৣ☬✞deepak✞☬ঔৣ꧂ #रामायण
The Diary Talkies
रामायण हमारा इतिहास सीता हरण के साक्ष्य: रावण द्वारा सीता हरण करके श्रीलंका जाते समय पुष्पक विमान का मार्ग क्या था? उस मार्ग में कौनसा वैज्ञानिक रहस्य छुपा हुआ है ? उस मार्ग के बारे में लाखों साल पहले कैसे जानकारी थी ? पढ़ो इन प्रश्नों के उत्तर वामपंथी इतिहासकारों के लिए मृत्यु समान हैं। भारतबन्धुओ! रावण ने माँ सीता का अपहरण पंचवटी (नासिक. महाराष्ट्र) से किया और पुष्पक विमान द्वारा हम्पी(कर्नाटक), लेपक्षी(आँध्रप्रदेश ) होते हुए श्रीलंका पहुंचा। आश्चर्य होता है जब हम आधुनिक तकनीक से देखते हैं की नासिक, हम्पी लेपक्षी और श्रीलंका बिलकुल एक सीधी लाइन में हैं। अर्थात ये पंचवटी से श्रीलंका जाने का सबसे छोटा रास्ता है। अब आप ये सोचिये उस समय Google Map नहीं था जो Shortest way बता देता। फिर कैसे उस समय ये पता किया गया की सबसे छोटा और सीधा मार्ग कौनसा है ? या अगर भारत विरोधियों के अहम संतुष्टि के लिए मान भी लें की चलो रामायण केवल एक महाकाव्य है जो वाल्मीकि ने लिखा तो फिर ये बताओ की उस ज़माने में भी गूगल मैप नहीं था तो रामायण लिखने वाले वाल्मीकि को कैसे पता लगा की पंचवटी से श्रीलंका का सीधा छोटा रास्ता कौनसा है? महाकाव्य में तो किन्ही भी स्थानों का ज़िक्र घटनाओं को बताने के लिए आ जाता। लेकिन क्यों वाल्मीकि जी ने सीता हरण के लिए केवल उन्ही स्थानों का ज़िक्र किया जो पुष्पक विमान का सबसे छोटा और बिलकुल सीधा रास्ता था? ये ठीक वैसे ही है की आज से 500 साल पहले गोस्वामी तुलसीदास जी को कैसे पता की पृथ्वी से सूर्य की दूरी क्या है? (जुग सहस्त्र जोजन पर भानु = 152 मिलियन किमी -हनुमानचालीसा), जबकि नासा ने हाल ही कुछ वर्षों में इस दूरी का पता लगाया है। अब आगे देखिये... पंचवटी वो स्थान है जहां प्रभु श्री राम, माता जानकी और भ्राता लक्ष्मण वनवास के समय रह रहे थे। यहीं शूर्पणखा आई और लक्ष्मण से विवाह करने के लिए उपद्रव करने लगी विवश होकर लक्ष्मण ने शूपर्णखा की नाक यानी नासिका काट दी। और आज इस स्थान को हम नासिक (महाराष्ट्र) के नाम से जानते हैं। Swipe Next➡ रामायण