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"Meri baatein"
White चल वहां जाते है जहां कोई जाता है तो लौट कर नहीं आता चल वहां जाते हैं।। ©"Meri baatein" #चल
Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी पौह फटेगी अब,अंधकार भागेगा उदयाचल की और बढ़ गया सूरज अपनी किरणों से धरती को चूमेगा होगी सुबह जीवन सरपट भागेगा कलरव करते पक्षी आसमान में घोसलों से दाना चुनने भागेगा आधार जीवन का प्रकृति ही है हवा पानी सब इसके दायरे में है विकृतियां तो मानव ने पैदा की है लालच उसका नही जाता है रोगो के हवाले जिंदगी कर दी फिर वेक्सीन और दवा बनाता है खतरे में सबको करके झूठे विकास के गीत गाता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sunset_time आधार जीवन का प्रकृति ही है झूठे गीत विकास के गाता है #nojotohindi
#sunset_time आधार जीवन का प्रकृति ही है झूठे गीत विकास के गाता है #nojotohindi #कविता
read moreबादल सिंह 'कलमगार'
गीत दुनियाँ के मैं गाता। #badalsinghkalamgar Poetry Love Life #Geetkaar Dinesh Kumar Anshu writer Bhardwaj Only Budana Praveen Ja #कविता
read moreArora PR
White मै चाहता हु मेरे इस नए गीत के लिए नए छंद . असमान से ऊतरे लेकिन मेरा गीत मेरी इस बात से राज़ी नही.... क्योंकि उसे धरती के साथ. चिपके रहना ज्यादा पसंद हैँ ©Arora PR नया गीत
नया गीत #कविता
read moreGurudeen Verma
White शीर्षक - क्यों आज हम याद तुम्हें आ गये ------------------------------------------------------------- क्यों आज हम याद तुम्हें आ गये। क्यों आज तुम मिलने हमें आ गये।। कल तो नहीं थी तुम्हें मिलने की फुर्सत। क्यों आज तुम मिलने हमें आ गये।। क्यों आज हम याद-----------------------।। देख रहा हूँ तुम्हारी कहाँ हैं निगाहें। मेरा महल देख क्यों भरते हैं आहे।। छूने से डरते थे तुम मुझको कल तो, क्यों आज मिलाने हाथ तुम आ गये।। क्यों आज हम याद------------------।। कल तक की थी तुमने बुराई हमारी। करते हो आज सबसे तारीफ हमारी।। नहीं पूछते थे तुम कल हाल हमारा। क्यों आज बिछाने फूल तुम आ गये।। क्यों आज हम याद------------------।। नहीं था कबूल कल क्यों साथ हमारा। गैरों की बाँहों में था कल हाथ तुम्हारा।। तोड़ा था क्यों तुमने कल ख्वाब हमारा। क्यों आज बनाने साथी तुम आ गये।। क्यों आज हम याद-------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीत
PФФJД ЦDΞSHI
गीत...... बजने लगी शहनाईयाँ, चुभने लगी तम्हाईयाँ चाहे तुम्हे गहराईयाँ होने लगी रुसवाईयाँ चारो तरफ है परछाईयाँ,मौत भी लेती अगड़ाईयाँ, जीना भी चाहूं ज़ी ना सकूँ दिल मे बसी है वीरानियाँ...... ©PФФJД ЦDΞSHI #गीत #pujaudeshi